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ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque case) पर माहौल गर्म होता जा रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में इस पर सुनवाई चल रही है। दूसरी तरफ ज्ञानवापी मस्जिद में आज जुमे की नमाज भी हुई, जिसको लेकर वहां कड़े सुरक्षा इंतजाम किये गए। वहीं सुप्रीम कोर्ट (gyanvapi masjid news supreme court) ने ज्ञानवापी मस्जिद केस जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी ज्ञानवापी से जुड़े मामले पर सुनवाई हुई, जिसे 6 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को तीसरी बार बैठी। तीन जजों की बेंच ने केस वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया। यानी अब मामले की सुनवाई बनारस के जिला जज करेंगे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 51 मिनट चली सुनवाई में साफ शब्दों में कहा कि मामला हमारे पास जरूर है लेकिन पहले इसे वाराणसी जिला कोर्ट में सुना जाए। कोर्ट ने कहा कि जिला जज 8 हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करेंगे। तब तक 17 मई की सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देश जारी रहेंगे।
किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना वर्जित नहीं है: जस्टिस चंद्रचूड़
अहमदी ने कहा कि पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बदलने पर स्पष्ट रूप से रोक है। आयोग का गठन क्यों किया गया था? यह देखना था कि वहां क्या था?
जस्टिस चंद्रचूड़- लेकिन किसी स्थान के धार्मिक चरित्र का पता लगाना वर्जित नहीं है।
मान लीजिए कोई अगियारी है। मान लीजिए कि अगियारी के दूसरे हिस्से में क्रॉस है। क्या अगियारी की उपस्थिति क्रॉस को अगियारी बनाती है? या क्रॉस की उपस्थिति अगियारी को ईसाई जगह बनाती है?
ईसाई धर्म के एक लेख की उपस्थिति इसे ईसाई नहीं बनाएगी और पारसी की उपस्थिति इसे ऐसा नहीं बनाएगी।
क्या ट्रायल जज अधिकार क्षेत्र से बाहर चला गया था और क्या रिपोर्ट लीक हुई थी, यह अलग-अलग मुद्दे हैं। हम बाद में देखेंगें।
अहमदी- कमीशन नियुक्त करने का मतलब ये पता लगाना था कि परिसर में किसी देवता की मूर्ति या धार्मिक चिह्न तो नहीं हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कहीं अगियारी और क्रॉस मिलते हैं तो दो धर्मों का अस्तित्व बताते हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद केस (Gyanvapi Mosque case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शुक्रवार को तीसरी बार बैठी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई की। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अंतरिम फैसला जारी रहेगा। कोर्ट (gyanvapi masjid news supreme court) ने कहा कि (Gyanvapi Mosque) मामला जिला जज के पास भेजा जाए। उनके पास 25 साल का लंबा अनुभव है। इस मामले में सभी पक्षों के हित को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है।
उधर, मामले पर हिंदू पक्ष ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट आ गई है। पहले उसे भी देखा जाए। इसके बाद ही निर्णय लेवें। मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि सर्वे को लेकर जो भी निर्देश दिए गए हैं, वो पूरी तरह से अवैध है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने लोअर कोर्ट के फैसले को भी पूरी तरह से अवैध बताया। वहीं हिंदू पक्ष ने कहा है कि पहले रिपोर्ट देख लीजिए। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट लीक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश में एक नैरेटिव तैयार किया जा रहा है। इससे संप्रदायिक तनाव बढ़े सकता। इसे सिर्फ एक केस न मानें, देश में बड़ा प्रभाव डालेगा।
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19 मई को दूसरे दिन की सुनवाई में ये हुआ था
बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महज 5 मिनट ही बात की। सुबह 11 बजकर 3 मिनट पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू की और 11 बजकर 8 मिनट पर सुनवाई खत्म कर दी थी। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि निचली अदालत, यानी बनारस कोर्ट, जहां सुनवाई हो रही है, वो इस मामले पर कोई भी एक्शन लेने से बचे। साथ ही कोर्ट ने कहा कल तक इस मामले में सुनवाई टाल दें।
सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में क्या हुआ (Gyanvapi Mosque case)
एससी (Supreme Court) में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच में सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कहा कि हमने अभी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, इसलिए और वक्त दिया जाए, जिसके पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि आपको कोई दिक्कत है?
इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है, बस लोअर कोर्ट में दीवार तोड़ने और वजूखाने को लेकर सुनवाई होनी है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम ऑर्डर जारी कर रहे हैं कि कोई भी एक्शन वाराणसी लोअर कोर्ट से ना लिया जाए।
वाराणसी की निचिली अदालत ने दिया था सर्वे का निर्देश
वाराणसी कोर्ट ने 16 अप्रैल को दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की याचिका पर सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस सर्वे के लिए कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया था।
18 अगस्त 2021 को चारों महिलाओं ने एक याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। (Gyanvapi Mosque case) ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए।
17 मई की सुनवाई में क्या हुआ था
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि लोगों को नमाज अदा करने से नहीं रोका जाना चाहिए। सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच में हुई।
मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हुफैजा अहमदी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूजा-अर्चना के लिए है, न कि मालिकाना हक के लिए। इस पर अहमदी ने कहा था कि ऐसे में वहां के हालात ही बदल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हिंदू पक्ष को भी नोटिस जारी किया है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्देश दिया- यदि शिवलिंग मिला है तो हमें संतुलन बनाना होगा। हम डीएम को निर्देश देंगे कि वह उस स्थान की सुरक्षा करें, पर मुस्लिमों को नमाज से न रोका जाए।
सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की 3 अहम बातें
1. शिवलिंग के दावे वाली जगह को सुरक्षित किया जाए।
2. मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोका जाए।
3. सिर्फ 20 लोगों के नमाज पढ़ने वाला ऑर्डर अब लागू नहीं।
17 मई को किस पक्ष ने क्या दलील रखी
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