PK को लेकर राहुल गांधी बोले: प्रशांत कांग्रेस पार्टी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना चाहते थे Read it later

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Prashant-Kishor-Rahul-Gandhi (Photo source Indian express)

चुनावी स्ट्रेटेजिस्ट प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने हाल ही कांग्रेस की शर्तों पर पार्टी जॉइन (Congress leadership) करने से साफ मना कर दिया था। अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शालि नहीं होने की बात पहले ही भांप ली थी। दरअसल कांग्रेस में प्रशांत किशोर के आने पर बात शुरुआत में थी तभी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कह दिया था कि पीके कांग्रेस जॉइन नहीं करेंगे। 

 राहुल ने कहा था कि यदि प्रशांत पार्टी में शामिल होते हैं, तो वह हर राज्य में छोटी पार्टियों के साथ सौदेबाजी में कांग्रेस का इस्तेमाल करेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि प्रशांत कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव या उपाध्यक्ष बनने की डिमांड कर रहे थे। इधर, प्रशांत किशोर के करीबियों की मानें तो शक की स्थिति दोनों ओर से थी।

प्रशांत के कांग्रेस में आने की ये पहली नहीं बल्कि 8वीं बार था जब कांग्रेस पीके को पार्टी जॉइन कराना चाह रही थी

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा कि ‘यह पहला मौका नहीं है जब पीके को पार्टी में जगह देने की बात हुई। यह 8वीं बार था जब प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन इस बार दोनों ने आगे आकर बात की। इस बार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का रोडमैप क्या होना चाहिए, इस पर डिस्कशन करने के लिए कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाने की मांग की थी।

राहुल या प्रियंका से मिलना चाहते थे PK

प्रशांत किशोर के इस प्रस्ताव पर जब राहुल गांधी ने गौर नहीं किया तो PK ने प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Wadra) से मिलने पर जोर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने एक समिति बनाई, जिसके सदस्यों ने प्रशांत के प्रस्ताव पर विचार किया। इस दौरान 2 मुख्यमंत्रियों को PK से बात करने के लिए भी कहा गया। समिति ने कहा कि प्रशांत किशोर अन्य पार्टियों के लिए काम करते हुए कांग्रेस के साथ भी जुड़े रहना चाहते थे। ऐसे में पार्टी नेताओं ने PK को पार्टी जॉइन कराने को ना कह दिया।

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दूसरी ओर प्रशांत किशोर के सूत्रों का कहना है कि PK को शक था कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उनके सख्त फैसलों को सीरियसली लेगा। इसका मतलब ये कि पीके की  पूरे प्रजेंटेशन को कांग्रेस नेताओं ने गंभीरता से लिया ही नहीं। पार्टी को सख्त फैसले न लेने के ढुल मुल रवैये पर पीके का मानना था कि कांग्रेस ने कई सालों से पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया ही नहीं है।

इधर पी. चिदंबरम ने पीके की प्लानिंग की तारीफ की

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि पीके को एक दिन पहले ही पार्टी में शामिल होने प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन उन्होंने पता नहीं क्यों हमारे साथ जुड़ने से मना कर दिया। वहीं चिदंबरम ने पीके की प्रेजेंटेशन और डेटा एनालिसिस की सराहना की। चिदंबरम ने कहा कि उनके कुछ सुझावों पर पार्टी विचार कर अमल में ला सकती है।

कांग्रेस में फ्री हैंड चाहते थे पीके

बताया जा रहा है कि प्रशांत ने मांग की थी कि प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जाए और साथ ही वे पार्टी के अंदर सुधारों के लिए फ्री हैंड यानी हर तरह की छूट चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी पार्टी में अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी को ही स्थापित करना चाहती हैं। ऐसे में राहुल गांधी की वजह से पीके को पार्टी में आने से पहले बाहर का रास्ता देखना पड़ गया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार सुबह तक सब कुछ ठीक था। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए ‘एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024’ के गठन की घोषणा की थी और प्रशांत किशोर को इस ग्रुप में शामिल होने का ऑफर दिया था, लेकिन प्रशांत ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, अच्छी लीडरशिप और बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है।

कांग्रेस में फ्री हैंड चाहते थे पीके

मंगलवार सुबह AICC प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट के जरिए प्रशांत को प्रस्ताव दिए जाने और उनके इसे ठुकरा देने की जानकारी दी। इसके बाद से ही बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। 

प्रशांत का दावा: मुझ पर सिर्फ चुनावों की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया गया

प्रशांत के कांग्रेस में शामिल होने से इनकार करने को लेकर दो स्तर की असहमतियां दिखीं। कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि उन्हें एक निश्चित जिम्मेदारी लेने के लिए कहा गया था, जबकि प्रशांत किशोर ने दावा किया कि उन पर चुनावों की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया गया।

प्रशांत का दावा: मुझ पर सिर्फ चुनावों की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया गया

प्रशांत ने अपने ट्वीट में साफतौर पर कहा भी कि कांग्रेस उनकी तरफ से सुझाए गए बड़े पैमाने पर जरूरी सुधारों को स्वीकारने को तैयार नहीं है, जिनमें AICC के ढांचे में बदलाव के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल का मुद्दा शामिल है और पार्टी उन्हें केवल चुनावी रणनीति तक सीमित रखना चाहती है।

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