BJP National President Election 2025: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद (National President Post) के लिए मंथन तेज हो गया है। बीते बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपने आवास पर भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ एक अहम बैठक की, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर गहन चर्चा हुई। जानकारी के मुताबिक, अगले एक हफ्ते के भीतर भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की आधिकारिक घोषणा कर सकती है।
पार्टी के संविधान के अनुसार भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। वर्तमान में जेपी नड्डा (JP Nadda) जनवरी 2020 से इस पद पर हैं, जिनका कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म होना था। लेकिन महत्वपूर्ण चुनावों के मद्देनजर उनके कार्यकाल को पार्टी हाईकमान ने कुछ समय के लिए बढ़ा दिया था। हालांकि अब पार्टी नेतृत्व ने संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करने का मन बना लिया है।
चुनाव में देरी की ये तीन वजहें अहम
1. विपक्षी नैरेटिव की काट:
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि नया अध्यक्ष वर्ष 2029 तक पार्टी का नेतृत्व करेगा। ऐसे में पार्टी इस चुनाव को काफी संवेदनशीलता के साथ देख रही है। विपक्षी दल भाजपा के निर्णयों को अक्सर एकतरफा और थोपा हुआ बताकर नैरेटिव बनाते हैं। भाजपा इस बार किसी भी प्रकार की आलोचना को मौका नहीं देना चाहती, इसलिए काफी सोच-समझकर ही फैसला किया जा रहा है।
2. महिलाओं को मिलेगा 33% आरक्षण:
नए अध्यक्ष की घोषणा के बाद पार्टी की राष्ट्रीय परिषद, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, केंद्रीय चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड जैसे महत्वपूर्ण निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत तक प्रतिनिधित्व देने की योजना है। भाजपा यह कदम महिला वोट बैंक को मजबूत करने और नेतृत्व में महिला भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उठा रही है।
3. युवाओं के लिए RSS का खास जोर:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चाहता है कि भाजपा सहित उसके सभी आनुषांगिक संगठनों में वैचारिक रूप से समर्पित युवा कार्यकर्ताओं को प्रमुखता दी जाए। संघ ने साफ संकेत दिया है कि वैचारिक प्रतिबद्धता और समर्पण ही जिम्मेदारी देने का आधार हो। युवाओं को महत्वपूर्ण पदों पर लाकर पार्टी को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना RSS का मुख्य एजेंडा है।
ऐसे चुना जाता है भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष
भाजपा के संविधान (धारा-19) में अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से परिभाषित है, जिसके अनुसार—
चुनाव प्रक्रिया इस प्रकार है:
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भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्यों से मिलकर गठित इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है।
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राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा बनाए गए नियमों के अंतर्गत यह चुनाव संपन्न होता है।
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अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म भरना अनिवार्य है।
उम्मीदवार के लिए आवश्यक योग्यताएं:
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अध्यक्ष पद के उम्मीदवार का पार्टी में कम से कम 15 वर्षों तक प्राथमिक सदस्य होना जरूरी है।
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इलेक्टोरल कॉलेज के न्यूनतम 20 सदस्यों का समर्थन प्रस्ताव के रूप में आवश्यक होता है।
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प्रस्ताव में कम से कम 5 ऐसे राज्यों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए, जहां पार्टी की प्रदेश परिषद का चुनाव पहले ही पूरा हो चुका हो।
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प्रस्ताव के साथ उम्मीदवार का हस्ताक्षर अनिवार्य है।
मतदान और परिणाम प्रक्रिया:
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नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतदान कराया जाता है।
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मतदान की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, सभी मतों की गणना के लिए मतपेटियों (बैलेट बॉक्स) को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय लाया जाता है।
कार्यकाल की अवधि:
भाजपा के संविधान की धारा-20 के तहत एक व्यक्ति तीन-तीन वर्षों के लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रह सकता है। यानी कोई भी नेता अधिकतम 6 वर्षों तक इस पद पर बना रह सकता है।
जेपी नड्डा: भाजपा के अध्यक्ष पद पर पांच वर्षों का कार्यकाल
संसदीय बोर्ड बैठक में अहम भूमिका
2019 में जब अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री बने, तब पार्टी ने संगठन की जिम्मेदारी जेपी नड्डा को सौंपी। पहले उन्हें जून 2019 में भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया, और बाद में 20 जनवरी 2020 को सर्वसम्मति से पूर्णकालिक राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया।
कार्यकाल विस्तार की वजह
जेपी नड्डा का निर्धारित कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म होना था। हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया। लोकसभा चुनावों के बाद, नड्डा कैबिनेट मंत्री बने, जिसके चलते महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों के चुनावों के कारण पार्टी अध्यक्ष का चुनाव टलता रहा।
अध्यक्ष चुनाव के नियम
भाजपा के संविधान के अनुसार, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष तभी चुना जा सकता है, जब देश के कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा हो जाए। इसी संवैधानिक व्यवस्था के तहत अध्यक्ष पद का चुनाव कराया जाएगा।
अध्यक्ष के कार्यकाल का प्रावधान
भाजपा के संविधान में यह स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति लगातार दो बार ही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है। सूत्रों के मुताबिक, जेपी नड्डा के स्थान पर अब पार्टी जल्द ही नया चेहरा चुन सकती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के ये 8 दावेदार (BJP National President Election 2025)
1. शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan):
चार बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज RSS की पहली पसंद बताए जा रहे हैं। लाडली बहना योजना की सफलता और संगठनात्मक पकड़ उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
2. सुनील बंसल (Sunil Bansal):
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक रणनीतिकार माने जाने वाले सुनील बंसल का नाम प्रमुख दावेदारों में है। यूपी, बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में पार्टी विस्तार में उनकी अहम भूमिका रही है।
3. धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan):
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की संगठनात्मक क्षमता बेहद मजबूत मानी जाती है। ओडिशा और राष्ट्रीय स्तर पर उनका प्रभाव पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
4. रघुवर दास (Raghubar Das):
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, जो OBC समुदाय से आते हैं, सामाजिक समीकरण के लिहाज से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
5. स्मृति ईरानी (Smriti Irani):
महिला चेहरों में स्मृति ईरानी सबसे आगे हैं। उनके पास कई मंत्रालयों के संचालन का अनुभव है और पार्टी में उनकी लोकप्रियता भी काफी है।
6. वानति श्रीनिवासन (Vanathi Srinivasan):
तमिलनाडु की मजबूत भाजपा नेता वानति श्रीनिवासन, जिन्होंने अभिनेता कमल हासन को हराकर सुर्खियां बटोरी थीं, भी प्रमुख दावेदार हैं। वह दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार की कुंजी हो सकती हैं।
7. तमिलिसाई सौंदर्यराजन (Tamilisai Soundararajan):
तमिलनाडु में भाजपा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तमिलिसाई सौंदर्यराजन की मोदी-शाह से नजदीकी और संगठनात्मक अनुभव उन्हें एक अहम उम्मीदवार बनाता है।
8. डी. पुरंदेश्वरी (D. Purandeswari):
आंध्र प्रदेश की भाजपा अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी का राजनैतिक परिवार से संबंध, दक्षिण भारत में भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
नए अध्यक्ष के सामने 12 चुनावों की चुनौती
नए अध्यक्ष (BJP National President Election 2025) के सामने अपने तीन साल के कार्यकाल में लगभग 12 महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव कराने की जिम्मेदारी होगी। इसमें 2025 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी शामिल हैं। इन चुनावों के नतीजे भाजपा की आगामी राजनीतिक दिशा को भी निर्धारित करेंगे।
ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव न केवल संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाले वर्षों में पार्टी की राजनीतिक रणनीति और नेतृत्व को भी स्पष्ट करेगा। पार्टी हाईकमान पूरी सावधानी के साथ ही इस बड़े निर्णय को अंतिम रूप देगा।
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