Mulayam Singh Yadav Death: समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह करीब 8 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। निधन के बाद उनकी देह को पैतृक गांव सैफई (saifai) पहुंच गया। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर को नेताजी के सैफई स्थित आवास पर रखा गया है। इस दौरान अखिलेश यादव, डिंपल यादव और शिवपाल समेत अन्य परिवार के सदस्य और पार्टी नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
जिलाधिकारी अविनाश राय के अनुसार नेताजी का अंतिम संस्कार (Mulayam Singh Yadav Death) कल दोपहर 3 बजे किया जाएगा। सैफई में प्राथमिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम मुस्तैद हो गई है। बता दें कि सैफई से रवाना होने से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मेदांता पहुंचे और मुलायम सिंह यादव के अंतिम दर्शन कर परिवार और शुभचिंतकों के प्रति अपनी संवेदना भी व्यक्त की।
Uttar Pradesh CM Yogi Adityanath pays tribute to former UP CM Mulayam Singh Yadav at his ancestral village Saifai. UP Minister Swatantra Dev Singh and BJP state president Bhupendra Singh Chaudhary were also present.
Mulayam Singh Yadav’s last rites will be held there tomorrow. pic.twitter.com/fgitM1lziM
— ANI (@ANI) October 10, 2022
सैफई पहुंची नेताजी की पार्थिव देह
मथुरा टोल प्लाजा के पास नेताजी के शव (Mulayam Singh Yadav Death) को ले जा रही एंबुलेंस खराब हो गई थी। रास्ते में नेताजी के चाहने वालों ने उनकी एंबुलेंस पर पुष्प वर्षा की। मुलायम सिंह यादव के निधन पर पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मायावती और सीएम योगी व राजा भैया समेत कई नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया।
#WATCH | Mortal remains of former Defence Minister and former UP CM Mulayam Singh Yadav reached his ancestral village Saifai in Uttar Pradesh.
His last rites will be held there tomorrow, on October 11 pic.twitter.com/NiTjHAHjPS
— ANI (@ANI) October 10, 2022
नेताजी के निधन के बाद कहा जा रहा था कि उनकी देह को लखनऊ ले जाया जाएगा। (Mulayam Singh Yadav Death) अंतिम दर्शन के लिए नेताजी की देह को पहले लखनऊ और फिर विधानसभा में रखा जाएगा। जहां देश और राज्यभर से लोग आकर उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे। लेकिन परिवार ने मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सैफई ले जाना मुनासिब समझा।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
आदरणीय नेता जी का पार्थिव शरीर सैफ़ई पहुंचा। pic.twitter.com/qlXnjw47ti
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
आदरणीय नेता जी का पार्थिव शरीर सैफ़ई पहुंचा। pic.twitter.com/mYxMDTEOja
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 10, 2022
दोपहर 3 बजे सैफई में होगा मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार
सपा संरक्षक दिवंगत मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार (Mulayam Singh Yadav Death) कल दोपहर 3 बजे सैफई में ही किया जाएगा। नेताजी के भाई और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रो. राम गोपाल यादव ने बताया कि पार्थिव देह को यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते मेदांता अस्पताल से सैफई और करहल कट से आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे ले जाया गया है। मुलायम सिंह का अंतिम संस्कार 11 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे सैफई में ही किया जाएगा।
Photo | ANI |
इससे पहले पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए आवास पर रखा जाएगा। इधर मुलायम सिंह यादव के निधन (Mulayam Singh Yadav Death) की सूचना मिलने के बाद सैफई में अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी नेताजी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनकी पार्थिव देह को निर्धारित रोड मैप के जरिए सैफई पहुंचाया गया है।
CBI जांच में हुआ था मुलायम के राज़ का खुलासा
नेताजी के निजी जीवन से जुड़ी एक घटना भी है, जब मुलायम सिंह बैकफुट पर आने के साथ उन्होंने कोर्ट में हलफनामा देकर दो पत्नियां का होना स्वीकार किया था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2 जुलाई 2005 को मुलायम के विरुद्ध हलफनामा दायर कर पूछा था कि 1979 में 79 हजार रुपये की संपत्ति वाला समाजवादी करोड़ों का मालिक कैसे बन गया? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से मुलायम की संपत्ति की जांच करने को कहा।
अदालत के आदेश पर जांच एजेंसी ने अगले दो साल यानी 2007 तक मुलायम सिंह की संपत्ति से जुड़े पुराने पन्नों की तलाशी ली। उस रिपोर्ट के बाद ही पता चला कि मुलायम की दूसरी पत्नी का नाम साधना गुप्ता है।
Mulayam singh yadav | Getty Images |
CBI की जांच के आधार पर मुलायम सिंह ने अपनी दूसरी पत्नी होने की बात मानी थी, उस जांच में क्या लिखा था? (Mulayam singh Second Wife)
- 1994 से पूर्व भी मुलायम की दूसरी पत्नी और बच्चा हैं।
- 1994 में प्रतीक गुप्ता ने स्कूल के फॉर्म में अपने परमानेंट रेसिडेंस में मुलायम सिंह का ऑफिशियल पता लिखा था।
- प्रतीक ने मां का नाम साधना गुप्ता और पिता का एमएस यादव लिखा था।
- साल 2000 में प्रतीक के गार्जियन के तौर पर मुलायम का नाम लिखा गया था।
- 23 मई 2003 को मुलायम ने सार्वजनिक तौर पर साधना को अपनी पत्नी स्वीका किया था।
40 साल पहले सैफई के अस्पताल से शुरू हुई थी मुलायम की लव स्टोरी (mulayam singh yadav personal life)
मुलायम और साधना की प्रेम कहानी 40 साल पहले सैफई के एक अस्पताल में शुरू हुई थी। लेकिन साधना 1988 में सही तौर पर मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) की जिंदगी में आईं और 1989 में ही मुलायम सिंह यादव यूपी के सीएम बने। सीएम बनने के बाद से ही वे साधना को भाग्यशाली मानने लगे।
उनकी ये बात पूरा परिवार जानता था‚ लेकिन कोई कुछ नहीं कहता था। जब सब कुछ सामने आया तो 2007 में मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) ने अपने खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था। जानिए मुलायम और साधना की पूरी प्रेम कहानी के बारे में
बात उस दौर की है जब देश में कांग्रेस टूटती जा रही थी वहीं उत्तर प्रदेश में पिछड़े वर्गों विशेषकर यादवों का दबदबा बढ़ता जा रहा था। मुलायम सिंह यादव तब सबसे ज्यादा चर्चित थे। उस दौरान समाजवादी पार्टी अस्तित्व में नहीं थी। राष्ट्रीय लोक दल ही थी।
वहीं, उरैया जिले के बिधूना निवासी कमलापति की 23 वर्षीय पुत्री साधना गुप्ता नर्सिंग की ट्रेनिंग ले रही थी। वह राजनीति में कुछ करना चाहती थीं इसलिए राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होती थीं।
इसी दौरान मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) की मुलाकात साधना से हुई। तब दोनों कैसे करीब आए और क्या- क्या हुआ और क्या नहीं ये सब मुलायम सिंह के एक ही राजदार व्यक्ति जानते थे। जिनका नाम है अमर सिंह। बहरहाल वे अब इस दुनिया में नहीं हैं।
डिंपल यादव के संग मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी दिवंगत साधना गुप्ता:- Getty Images |
मुलायम की इस कहानी के कुछ राज पर पत्रकार सुनीता एरोन ने अखिलेश की बायोग्राफी की में खोले थे
एक जर्नलिस्ट और राइटर सुनीता एरोन ने अखिलेश यादव की बायोग्राफी ‘बदलाव की लहर’ लिखी थी। इसमें कुछ पन्ने उन्होंने मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) की लव स्टोरी पर भी भरे थे।
सुनीता एरोन के अनुसार “शुरुआत में साधना और मुलायम की आम मुलाकातें हुईं। मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) की मां की वजह से दोनों करीब आए। मुलायम की मां मूर्ती देवी बीमार रहती थीं। साधना ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम और बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मूर्ति देवी की देखभाल की।
“गलत इंजेक्शन लगाने से रोकने पर साधना से इम्प्रेस हो गए थे मुलायम”
सुनीता एरोन अपने लेखन में लिखती हैं, “मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी। उसी दौरान साधना वहां मौजूद थीं और उन्होंने नर्स को ऐसा करने से रोक दिया। साधना की वजह से ही मूर्ति देवी की जिंदगी बची थी।”
मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) इसी बात से प्रभावित हुए थे और दोनों का रिश्ता शुरू हो गया। तब अखिलेश यादव स्कूल में स्टूडेंट थे। साधना खुद नर्स रही और उन्होंने शुरुआती दिनों में कुछ दिनों तक नर्सिंग होम में काम भी किया था। इसलिए उन्हें इंजेक्शन का आइडिया था।
फोटो में दिवंगत साधना, ब्लैक टी-शर्ट में प्रतीक यादव और उनके साथ पत्नी अपर्णा यादव। वर्ष 2003 में मुलायम ने साधना को अपनी पत्नी और प्रतीक को अपना बेटा स्वीकार कर लिया था। |
6 साल तक मुलायम सिंह के राजदार अमर सिंह ने मुलायम की लव-स्टोरी छिपा कर रखा
साल 1982 से 1988 तक अमर सिंह इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो जानते थे कि मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) को प्यार हो गया है। उन्होंने किसी से कहा नहीं, क्योंकि मुलायम के घर में उनकी पहली पत्नी मालती देवी और बेटे अखिलेश मौजूद थे।
साल 1988, तीन चीजें एक साथ हुईं
- मुलायम मुख्यमंत्री बनने के एकदम बॉर्डर पर आ खड़े हुए।
- साधना अपने पति चंद्र प्रकाश गुप्ता से अलग रहने लगीं थी। उनकी गोद में एक बच्चा था।
- मुलायम ने अखिलेश को साधना से मिलवा दिया।
22 नवंबर 1939 को सैफई जन्मे थे मुलायम
22 नवंबर 1939 को सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव 1967 (Mulayam Singh Yadav Death) में पहली बार एमएलए बने। इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। बाद में 2 बार और मुख्यमंत्री बने। मुलायम ने अपना राजनीतिक अभियान जसवंत नगर विधानसभा सीट से शुरू किया था। सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से राजनीति में आगे बढ़े। मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक का इंतजार करना पड़ा।
केंद्र और यूपी में जनता पार्टी की सरकार बनी। वे राज्य सरकार में मंत्री बनाए गए। बाद में चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष भी बने। विधायक का चुनाव लड़े और हार गए। 1967, 1974, 1977, 1985, 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रहे। 1982-85 में विधान परिषद के सदस्य रहे। 8 दफा राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया।
Mulayam singh yadav | Getty Images |
वर्ष 2019 से पहले मुलायम सिंह यादव 23 साल तक लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग के सरकारी बंगले में रहे थे, लेकिन 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बंगला खाली करना पड़ा था। इसके बाद वे साधना के साथ सी-3/13 अंसल गोल्फ सिटी में शिफ्ट हो गए थे। तब से वे अखिलेश यादव के परिवार की जगह साधना के साथ रहते थे।
2014 में मोदी लहर में भी मैनपुरी में मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) ही राजनीति के धुरंधर साबित हुए। सपाई किले को कोई हिला भी नहीं सका। सियासत की कुश्ती में चार बार पहले जीत हासिल कर चुके मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) ने 2014 में पांचवी बार भी जीत हासिल की। इसके साथ ही मैनपुरी में सपा की यह लगातार नौवीं लोकसभा जीत बन गई।
इस बीच, चंद्रशेखर से भी मतभेदों के कारण उन्हें नई पार्टी बनानी पड़ी। मुलायम (Mulayam Singh Yadav Death) की नाराजगी के कारण तत्कालीन संचार मंत्री जनेश्वर मिश्र ने चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। जनेश्वर छोटे लोहिया के नाम से जाने जाते थे। मुलायम से नजदीकियों के लिए भी। इस बीच राजीव की मृत्यु के बाद चंद्रशेखर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के करीब हो गए।
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