बीते दिनो इंग्लैंड के खिलाफ वुमन क्रिकेट मैच के दौरान इंडिया की ओर से हरलीन देओल ने शानदार कैच लपका। जिसके बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री से लेकर प्रियंका गांधी और सचिन तेंदुलकर तक हरलीन के कैच की तारीफ कर चुके हैं। सचिन तेंदुलकर ने तो ट्वीट करते हुए इस कैच को अपने लिए साल का सर्वश्रेष्ठ कैच बताया।
हालांकि भारतीय टीम यह मैच हार गई, लेकिन मैच के नतीजे से ज्यादा हरलीन के कैच की चर्चा छाई रही। वहीं इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड को भी हरलीन की तारीफ करनी पड़ी।
खेल के मैदान में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। आपने ऊपर वीडियो में देखा होगा कि 9 जुलाई को हरलीन देओल ने किस तरह कैच पकड़ने के दौरान बेहद कम समय रणनीति अपनाई,
That was a brilliant catch @imharleenDeol. Definitely the catch of the year for me!pic.twitter.com/pDUcVeOVN8
— Sachin Tendulkar (@sachin_rt) July 10, 2021
अमूमन हम इस तरह का कैच कई इंटरनेशनल मैच में देख चुके हैं, लेकिन वुमन क्रिकेट में इस तरह का कैच पहली बार दिखने को मिला।
दरअसल हरलीन ने बाउंड्री पर एक शानदार कैच लपका और उसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि उनका पैर बाउंड्री के पार जा रहा है,
यह महसूस करते हुए उन्होंने तुरंत गेंद को मैदान के अंदर उछाल दिया और बाउंड्री के भीतर आकर बॉल को लपक लिया।
भारत भले ही ये मैच हार गया हो, लेकिन 23 साल की हरलीन का ये कैच सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। मैच के 19वें ओवर में उन्होंने शिखा पांडे की गेंद पर एमी जोंस का कैच पकड़ा था।
अब आप हरलीन देओल के बारे में जरूर जानना चाहते होंगे
आपको बता दें कि हरलीन देओल का परिवार मूल रूप से पटियाला जिले का है, जबकि इनकी माता का परिवार यानि हरलीन का ननिहाल संगरूर है।
लेकिन हरलीन भारतीय क्रिकेट टीम में हिमाचल प्रदेश को रिप्रजेंट कर रही हैं, उनके माता-पिता वर्तमान में मोहाली में रहते हैं।
हरलीन के पिता बीएस देओल बिजनेसमैन हैं और मां चरणजीत कौर देओल पंजाब की सरकार में कर्मचारी हैं।
हरलीन की मां चरणजीत कौर कहती हैं, हरलीन को बचपन से ही खेलों से बड़ा प्यार रहा है। उसकी कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा है कि वो आज इस मुकाम पर हैं।
मां चरणजीत कौर के के अनुसार हमारे परिवार में किसी की भी खेलों में रूचि नहीं थी, लेकिन हरलीन बचपन से ही खेलों में हिस्सा लेती थीं।
हरलीन के घर का नाम हैरी है और वह बचपन में क्रिकेट के बजाय फुटबॉल खेला करती थी। उसने चार साल की उम्र से लड़कों के साथ फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया था।
यही कारण था कि मोहाली के यदविंद्र पब्लिक स्कूल में उसे चार साल तक फुटबॉल की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया।
इसके बाद उसने क्रिकेट की ओर रुख किया और लड़कों की टीम के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया। जब स्कूल की क्रिकेट टीम बनी तो हरलीन को टीम में जगह मिली।
चरणजीत कौर कहती हैं, हरलीन ने पहली बार आठ साल की उम्र में सब-जूनियर स्तर के राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लिया था। फिर पंजाब टीम में चुनी गईं और उसके बाद वह अपने खेल को सुधारने के लिए गर्ल्स क्रिकेट अकादमी, धर्मशाला में शामिल हुईं और अब तक वह अकादमी से जुड़ी हुई हैं।
हरलीन मौजूदा भारतीय टीम में ऑलराउंडर के तौर पर खेल रही हैं। वह अच्छी बल्लेबाजी के अलावा एक अच्छी लेग स्पिनर भी हैं। हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में हरलीन ने कहा कि लड़कियों को लड़कों की तरह खेलों में आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
हरलीन कहती हैं यदि लड़कियों को मौका दिया जाए तो उन्हें लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता।
IMHARLEENDEOL/TWITTER |
क्या है हरलीन के फिटनेस का सीक्रेट
चरणजीत कौर कहती हैं, उनकी बेटी 2012 से अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रख रही है, पिछले साल कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान वह कुछ महीने अपने परिवार के साथ रहीं। चरणजीत कौर के मुताबिक, हरलीन न तो मिठाई खाती हैं और न ही आइसक्रीम।
चरणजीत कौर बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी हरलीन अभ्यास करती रहीं। इसके लिए उन्होंने घर में ही जिम बनाया और छत को खेल का मैदान बनाया।
उन्होंने यह भी बताया कि खेलों पर ध्यान देने की वजह से हरलीन किसी पारिवारिक कार्यक्रम में भी शामिल नहीं होती हैं। मां कहती हैं, हरलीन अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी से घर में कई चीजें तोड़ चुकी है।
अब हरलीन से होती है परिवार की पहचान
हरलीन की मां पंजाब सरकार में कर्मचारी हैं, लेकिन उनका कहना है कि आज परिवार की पहचान उनकी बेटी से है। हरलीन का एक बड़ा भाई है जो डॉक्टर है।
चरणजीत कौर के मुताबिक, हरलीन ने मैच के बाद उनसे फोन पर बात की और वह काफी खुश हुईं।
फोन पर हरलीन ने बताया कि उन्हें कई लोगों के बधाई संदेश मिल रहे हैं। वहीं परिवार को भी लोग फोन कर बधाईयां दे रहे हैं।
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