कोरोना पर Supreme Debate : केंद्र – कोर्ट कार्यपालिका की नितियों में दखल नहीं दे सकता‚ SC – जब जनता के अधिकारों पर हमला हो तो न्यायापालिका मूक दर्शक नहीं बन सकती Read it later

कोरोना पर Supreme Debate
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कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दवा, इलाज, ऑक्सीजन और टीकाकरण के मुद्दे पर सरकार से अहम सवाल पूछे हैं। हालांकि, जब सरकार ने इस दौरान अदालत के अधिकारों पर सवाल उठाया तो अदालत ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जब लोगों के अधिकारों पर हमला होता है तो वह चुप नहीं रह सकती।

टीकाकरण को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि कोर्ट सरकारी नीतियों में दखल नहीं दे सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा- संविधान द्वारा हमें जो भूमिका सौंपी गई है, हम उसका पालन कर रहे हैं।

 संविधान के अनुसार, जब कार्यपालिका लोगों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो न्यायपालिका को मूक दर्शक नहीं बनना चाहिए।

मनमानी और तर्कहीन फैसलों के खिलाफ कार्रवाई

सरकार के फैसलों की न्यायिक समीक्षा की बात करते हुए अदालत ने गुजरात मजदूर सभा बनाम गुजरात राज्य का उदाहरण भी दिया। कोर्ट ने कहा कि समय-समय पर न्यायपालिका लोगों के अधिकारों के हनन से जुड़े फैसलों में दखल देती रही है।

 इसके बाद कोर्ट ने कहा कि दुनियाभर की अदालतों ने महामारी की के दौरान मनमानी और तर्कहीन नीतियों के खिलाफ कार्रवाई की है।

नेत्रहीन और जिनके पास मोबाइल नहीं उनका टीकाकरण कैसे होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने देश में 18 से 44 साल के बीच के लोगों के पेड टीकाकरण के फैसले को मनमाना और तर्कहीन करार दिया। कोर्ट ने यह भी पूछा कि ब्लाइंड पर्सन्स कोविन एप का इस्तेमाल कैसे करेंगे, देश की आधी आबादी के पास मोबाइल फोन नहीं है, उनका टीकाकरण कैसे होगा।

केंद्र सरकार ने टीकाकरण के लिए कहां खर्च किया पैसा

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एलएन राव और जस्टिस एसआर भट्ट की बेंच ने पूछा कि आपने टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है, अब तक कहां खर्च किया। कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन का हिसाब भी मांगा। यह भी पूछा कि ब्लैक फंगस के संक्रमण की दवा के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है।

केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने 6 जवाब मांगे

1. टीकाकरण पर फंड खर्च का हिसाब मांगा

टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण चीज है। केंद्र सरकार के सामने यह अकेला सबसे बड़ा काम है। केंद्र ने इस साल टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है। केंद्र को स्पष्ट करना चाहिए कि अब तक इस फंड को कैसे खर्च किया गया है। यह भी बताएं कि 18-44 आयु वर्ग के नि:शुल्क टीकाकरण के लिए इसका उपयोग क्यों नहीं किया गया।

2. कितनों को वैक्सीन मिली,  डेटा के साथ बताएं 

पहले, दूसरे और तीसरे चरण में कितने लोग टीका लगवाने के योग्य थे और इनमें से कितने प्रतिशत लोगों को अब तक टीका लगाया जा चुका है। इनमें सिंगल डोज और डबल डोज दोनों शामिल करें। इनमें ग्रामीण इलाकों और शहरी इलाकों में कितनी आबादी को वैक्सीन मिली इसका भी आंकड़ा न्यायालय में बताएं।

3. वैक्सीन का हिसाब-किताब दीजिए

Coveshield, Covaxin और Sputnik-V के अब तक कितने टीके खरीदे गए हैं। वैक्सीन के लिए ऑर्डर की तारीख, टीके की ऑर्डर की गई मात्रा और इसकी सप्लाई का समय बताएं की कब करेंगे।

4. शेष आबादी का टीकाकरण कैसे करेंगे

केंद्र ने कहा है कि इस साल के अंत तक देश की सभी टीकाकृत आबादी का टीकाकरण किया जाएगा। हमें ये बताइए कि पहले, दूसरे और तीसरे चरण में बचे हुए लोगों को सरकार कब और कैसे टीका लगाएगी।

5. निशुल्क टीकाकरण पर राज्य का स्पष्ट रुख

केंद्र ने कहा था कि राज्य सरकारें अपनी आबादी का मुफ्त में टीकाकरण करा सकती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि राज्य सरकारें इस संबंध में अदालत के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वे ऐसा करने जा रही हैं या नहीं। 

अगर राज्य अपने लोगों का मुफ्त टीकाकरण के लिए राजी हो जाते हैं तो यह मूल्यों की बात हो जाती है। 

ऐसे में यह नीति राज्यों को जवाब में बताई जानी चाहिए ताकि उनके राज्य के लोगों को यकीन हो सके कि उन्हें टीकाकरण केंद्र पर मुफ्त टीकाकरण का अधिकार मिलेगा। राज्यों को दो सप्ताह में हमें अपनी स्थिति बताएं और अपनी-अपनी नीतियां रखें।

6. हमें पॉलिसी के दस्तावेज दें

कोविड टीकाकरण नीति पर केंद्र की सोच को दर्शाने वाले सभी आवश्यक दस्तावेज न्यायालय के समक्ष रखे जाने चाहिए।

18-44 टीकाकरण पर 3 सशक्त टिप्पणियाँ सरकार पर

1. टीकाकरण के पहले दो चरणों में केंद्र ने सभी को नि:शुल्क टीका उपलब्ध कराया। जब 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग की बारी आई, तो केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों पर टीकाकरण की जिम्मेदारी डाल दी।

 उन्हें इस आयु वर्ग के टीकाकरण के लिए भुगतान करने के लिए कहा गया था। केंद्र का यह आदेश पहली नजर में मनमाना और तर्कहीन लगता है।

2. सुप्रीम कोर्ट ने उन रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया जिनमें बताया गया था कि 18 से 44 साल की उम्र के लोग न सिर्फ कोरोना संक्रमित थे, बल्कि उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा था। कई मामलों में इस आयु वर्ग के लोगों की मौत भी हुई।

3. कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के बदलते स्वरूप को देखते हुए ओ आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।

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