डिजिटल मीडिया पर प्रतिबंध: ऑनलाइन समाचार पोर्टल अब सूचना प्रसारण मंत्रालय के रेग्यूलेशन लाए जाएंगे, फेक न्यूज को रोकने की कवायद Read it later

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फोटो सोशल मीडिया।

केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और न्यूज कंटेंट प्रोवाइडर (कंटेंट प्रोवाइडर) लाए जाएंगे। सरकार ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इस फैसले से देश में आनन-फानन में बढ़ रहे ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर लगाम लगेगी, साथ ही, गलत सूचना को रोकने में मदद मिलेगी।

टीवी की तुलना में ऑनलाइन का रेग्यूलेशन ज्यादा जरूरी है

केंद्र सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि टीवी की तुलना में ऑनलाइन मीडिया का विनियमन अधिक महत्वपूर्ण है। अब सरकार ने मंत्रालय के तहत ऑनलाइन समाचार या सामग्री माध्यम लाने का कदम उठाया है। ऑनलाइन सामग्री या समाचार पोर्टल पर अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं है। इस मामले में हमेशा अदालत और सरकार के बीच बहस होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफार्मों पर अपने स्वयं के विनियमन की मांग वाली याचिका पर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी। अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस भेजे थे। इस याचिका में कहा गया है कि इन प्लेटफार्मों के कारण, फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को सेंसर बोर्ड से डर और प्रमाणन के बिना अपनी सामग्री जारी करने का मौका मिला है।

डिजिटल मीडिया के नियमन की जरूरत

मंत्रालय ने एक अन्य मामले में अदालत से कहा था कि डिजिटल मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने यह भी कहा था कि अदालत मीडिया में अभद्र भाषा के मद्देनजर दिशानिर्देश जारी करने से पहले एक समिति का गठन कर सकती है। समाचार पोर्टल ओटीटी प्लेटफार्मों के साथ-साथ हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन प्राइम वीडियो जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों पर आते हैं।

मीडिया की स्वतंत्रता पर लगाम नहीं है

पिछले साल, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे मीडिया की स्वतंत्रता प्रभावित हो। प्रेस काउंसिल प्रिंट मीडिया, समाचार चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और विज्ञापन के लिए विज्ञापन मानक परिषद का विनियमन है। इसी समय, फिल्मों के लिए एक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड है। लेकिन ऑनलाइन के लिए कोई नियमन नहीं है।

झूठी और गलत खबरों पर नियंत्रण 

इस नए फैसले से अब बिना किसी सबूत और झूठी खबरों के सेवारत ऑनलाइन पोर्टल पर अंकुश लगाया जा सकेगा। इससे कानून-व्यवस्था भी बढ़ेगी, क्योंकि कई मामलों में देश में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए दी जाने वाली सामग्री भी अपराधों या दंगों को बढ़ावा देती है। हालाँकि सभी राज्यों के पुलिस विभाग की साइबर शाखा इस पर नज़र रखती है, लेकिन कई बार लोग इसके लिए कोई नियमन नहीं करने के कारण बच जाते हैं।

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