न्यूजीलैंड की सांसद लॉरा मैक्लर ने संसद में दिखाई अपनी न्यूड फोटो, डीपफेक के खिलाफ कड़े कानून की मांग रखी Read it later

Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament: न्यूजीलैंड की सांसद लॉरा मैक्लर ने संसद में अपनी एक AI-जेनरेटेड न्यूड फोटो दिखाकर डीपफेक टेक्नोलॉजी के बढ़ते खतरे को उजागर किया। उन्होंने बताया कि यह फोटो असली नहीं है, लेकिन इसे बनाना बेहद आसान था।

लॉरा ने कहा, “यह मेरी न्यूड तस्वीर है, लेकिन यह असली नहीं है। मुझे ऐसी डीपफेक तस्वीरें बनाने में पांच मिनट से भी कम समय लगा।”

Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament
न्‍यूजीलैंड की संसद में अपनी AI-जनरेटेड इमेज दिखातीं लॉरा मैक्लर।

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डीपफेक टेक्नोलॉजी का बढ़ता खतरा

लॉरा ने संसद में बताया कि कैसे एक साधारण गूगल सर्च के जरिए उन्होंने ऐसी वेबसाइट्स पाईं, जो किसी भी व्यक्ति की न्यूड फोटो बना सकती हैं। उन्होंने कहा, “मैंने बस एक बॉक्स पर टिक किया कि मैं 18 साल से ऊपर हूं और यह मेरी तस्वीर है।”

कानून में बदलाव की जरूरत

लॉरा मैक्लर ने ‘Deepfake Digital Harm and Exploitation Bill‘ का समर्थन किया, जो बिना सहमति के बनाए गए डीपफेक्स को अपराध घोषित करेगा। उन्होंने कहा, “समस्या तकनीक में नहीं है, बल्कि इसका गलत इस्तेमाल करके लोगों को परेशान करने में है। हमें इसका हल निकालना होगा।”

महिलाएं डीपफेक का मुख्य निशाना 

विशेषज्ञों के अनुसार, ज्यादातर डीपफेक पोर्न बिना सहमति के बनाए जाते हैं और इनका निशाना ज्यादातर महिलाएं होती हैं। लॉरा ने कहा, “किसी को भी बिना सहमति के डीपफेक पोर्न का निशाना नहीं बनना चाहिए। यह साफ तौर पर उत्पीड़न है। हमारे कानूनों को जल्दी अपडेट करने की जरूरत है।”

न्यूजीलैंड में डीपफेक से प्रभावित युवाओं की बढ़ती संख्या

लॉरा ने संसद में बताया कि एक 13 वर्षीय छात्रा ने डीपफेक के कारण आत्महत्या का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ मजाक नहीं है। यह वास्तव में बहुत हानिकारक है।”

अन्य देशों में भी बढ़ रहा है डीपफेक का खतरा

ऑस्ट्रेलिया में भी डीपफेक के मामले सामने आए हैं, जहां स्कूलों में छात्राओं की फर्जी न्यूड तस्वीरें बनाई गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए समाज को जागरूक होना होगा और कानूनों को सख्त करना होगा।

न्यूजीलैंड सांसद: लॉरा मैक्लर के बारे में जानिए अहम बातें

 Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament

जन्म और प्रारंभिक जीवन
  • जन्म: 3 अगस्त 1985

  • स्थान: क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड

  • करियर की शुरुआत: फॉर्मसी (Pharmacy) क्षेत्र से की

राजनीतिक सफर
  • लॉरा मैक्लर ने वर्ष 2020 में ACT पार्टी जॉइन की

  • वर्ष 2023 में न्यूजीलैंड की संसद की सदस्य बनीं

  • संसद में समान अधिकारों के लिए मुखर आवाज़ बनकर उभरीं

डीपफेक नियंत्रण पर सक्रिय भूमिका
  • संसद में एक प्रस्तावित बिल पेश किया जिसका उद्देश्य डीपफेक टेक्नोलॉजी को नियंत्रित करना है

  • यह बिल “Crimes Act” और “Harmful Digital Communications Act” में जरूरी संशोधन करने की मांग करता है

अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण और समर्थन
  • मैक्लर न्यूजीलैंड में यूके, यूएस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तरह सख्त डिजिटल कानूनों की वकालत करती हैं

  • वह मानती हैं कि AI और डीपफेक से उत्पन्न खतरों को रोकने के लिए स्पष्ट और सख्त नियम जरूरी हैं

Deepfake Content में 95% अश्लीलता, 90% महिलाएं होती हैं निशाना

न्यूजीलैंड सांसद Laura McClure ने संसद में बताया कि डीपफेक फोटो या वीडियो जनरेट करने की प्रक्रिया हैरान कर देने वाली है। बस एक बॉक्स में टिक करना होता है कि आप 18 वर्ष से ऊपर हैं और चित्र में दिख रहे व्यक्ति की सहमति आपके पास है। लेकिन वास्तव में, अधिकतर मामलों में consent ली ही नहीं जाती।

90-95% Deepfake Videos अश्लील, महिलाओं के खिलाफ

Law Association की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट पर मौजूद Deepfake Videos में से करीब 90 से 95 प्रतिशत कंटेंट गैर-सहमति वाले और sexually explicit होते हैं। इनमें से लगभग 90% वीडियो में महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से दर्शाया जाता है, जो सीधे तौर पर मानसिक उत्पीड़न का कारण बनते हैं।

Sextortion और Deepfake Threat से परेशान हैं यूथ

Laura McClure ने यह भी खुलासा किया कि कई पीड़ित उनसे संपर्क कर चुके हैं जो deepfake-based threats, sextortion, या AI-generated harassment जैसी स्थितियों का सामना कर चुके हैं। खासतौर पर किशोर और युवा इससे बुरी तरह प्रभावित हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है।

McClure का बिल, सरकार की बेरुखी

Laura McClure ने डीपफेक तकनीक को नियंत्रित करने और बिना सहमति के बनाए गए deepfake pornography को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए एक विधेयक प्रस्तुत किया है। लेकिन एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि फिलहाल New Zealand Government इस प्रस्ताव को आधिकारिक कानून का दर्जा देने पर विचार नहीं कर रही है। McClure इस रुख से असंतुष्ट हैं और मांग कर रही हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और डिजिटल निजता को प्राथमिकता दी जाए।

Laura McClure के Deepfake Bill की अहम विशेषताएं

न्यूजीलैंड सांसद Laura McClure द्वारा पेश किया गया Deepfake Digital Harm and Exploitation Bill डिजिटल अपराधों को रोकने की दिशा में एक ठोस पहल है। यह कानून AI-generated content, non-consensual recordings और deepfake exploitation जैसे मामलों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान करता है।

डिजिटल शोषण और अश्लीलता के खिलाफ सुरक्षा

इस बिल का उद्देश्य मौजूदा कानूनों में बदलाव कर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर मौजूद harmful content, obscene visuals, और unauthorized recordings को नियंत्रित करना है। यह कानून ऐसे आपत्तिजनक कंटेंट को बनाने और साझा करने को अपराध घोषित करेगा।

पीड़ितों को मिलेगा हटाने और मुआवजे का अधिकार

Laura McClure के प्रस्तावित बिल में यह व्यवस्था शामिल है कि कोई भी व्यक्ति, जो Deepfake या अन्य डिजिटल छेड़छाड़ का शिकार हुआ है, वह कानूनी रूप से उस कंटेंट को हटाने की मांग कर सकता है और साथ ही compensation for emotional and reputational loss का भी हकदार होगा।

बिना अनुमति फोटो-वीडियो इस्तेमाल को माना जाएगा जुर्म

इस बिल के तहत किसी भी व्यक्ति की image, video, या voice recording को उसकी जानकारी और सहमति के बिना बनाना या शेयर करना एक दंडनीय अपराध होगा। यह नियम ऑनलाइन सुरक्षा, निजता और महिलाओं की डिजिटल पहचान की रक्षा के लिए बेहद अहम है।

लॉरा मैक्लर का यह साहसी कदम डीपफेक के खतरे को उजागर करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीक का गलत इस्तेमाल कितना खतरनाक हो सकता है और हमें इसके खिलाफ सख्त कानूनों की जरूरत है।

डीपफेक वीडियो को पहचानने के आसान तरीके

चेहरे और बॉडी लैंग्वेज का मेल देखें

Deepfake वीडियो में अक्सर चेहरे के हावभाव और शरीर की गति में असामंजस्य पाया जाता है। चेहरे की बनावट या स्किन टोन शरीर से थोड़ी अलग लग सकती है, जिससे शक की गुंजाइश बनती है।

आवाज़ और लिप-सिंक पर गौर करें

AI-जेनरेटेड Deepfake ऑडियो में आवाज़ थोड़ी अजीब, रोबोटिक या नकली लग सकती है। अगर लिप मूवमेंट और आवाज़ में तालमेल नहीं है, तो यह Deepfake का संकेत हो सकता है।

वीडियो क्वालिटी की जांच करें

Deepfake क्लिप में चेहरे के आसपास हल्का धुंधलापन, पिक्सेलेशन या कंपकंपी जैसी विजुअल गड़बड़ी दिखाई देती है, खासकर तेज़ हरकतों के दौरान।

तकनीकी टूल्स की मदद लें

Reverse Image Search, Deepfake Scanners और Frame-by-frame Analysis जैसे टूल्स की मदद से Deepfake वीडियो को आसानी से पहचाना जा सकता है। ये टूल्स पैटर्न और इनपुट डेटा के आधार पर वीडियो की सत्यता जांचते हैं।

अमेरिका में बिना अनुमति फोटो इस्तेमाल करना अब अपराध

अमेरिका में non-consensual image usage को रोकने के लिए मई 2025 में राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा Take It Down Act पर हस्ताक्षर किए गए। इस कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी तस्वीर या वीडियो को इंटरनेट या सोशल मीडिया पर पोस्ट करना अपराध माना जाएगा।

इस अधिनियम के मुताबिक, यदि कोई पीड़ित रिपोर्ट करता है तो सोशल मीडिया कंपनियों को उस आपत्तिजनक सामग्री को 48 घंटे के भीतर हटाना अनिवार्य होगा। इस नियम का मुख्य उद्देश्य Deepfake Technology के दुरुपयोग और digital harassment को रोकना है।

भारतीय सेलिब्रिटीज़ भी Deepfake का शिकार

Rashmika Mandanna, जो दक्षिण भारतीय फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्री हैं, नवंबर 2024 में एक AI-generated deepfake video के जरिए डिजिटल शोषण का शिकार हुईं। इस वीडियो में एक लोकप्रिय इंफ्लुएंसर के चेहरे पर रश्मिका का चेहरा मॉर्फ किया गया था।

Rashmika Mandanna AI-generated deepfake video | Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament

वीडियो की realistic facial expressions और उच्च गुणवत्ता के कारण हजारों यूज़र्स ने इसे असली मान लिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस वीडियो के वायरल होने से यह स्पष्ट हो गया कि deepfake content अब इतना उन्नत हो चुका है कि इसे पहचान पाना आम लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है।

यह घटना AI misuse, deepfake exploitation, और digital identity theft के गंभीर खतरे को उजागर करती है, जो कानून और तकनीक दोनों से सख्त नियंत्रण की मांग करता है।

प्रियंका चोपड़ा भी Deepfake एड का बनीं शिकार

priyanka chopra deepfake | Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament

दिसंबर 2023 में Priyanka Chopra का एक वीडियो सामने आया जिसमें उन्हें एक फर्जी ब्रांड प्रमोशन करते और अपनी सालाना आय का खुलासा करते दिखाया गया। इस AI-manipulated video में प्रियंका का चेहरा नहीं बदला गया था, लेकिन उनकी original voice और ऑडियो लाइन को नकली एड के स्क्रिप्ट से बदल दिया गया था। यह उदाहरण दिखाता है कि Deepfake सिर्फ विजुअल हेराफेरी तक सीमित नहीं, बल्कि audio manipulation के जरिए भी गंभीर भ्रम फैलाया जा सकता है।

Alia Bhatt दो बार Deepfake वीडियो का निशाना बनीं

Laura McClure Nude Deepfake Awareness in New Zealand Parliament | Alia Bhatt deepfake

बॉलीवुड एक्ट्रेस Alia Bhatt को भी दो बार AI deepfake manipulation का सामना करना पड़ा। एक वायरल क्लिप में उन्हें काले कुर्ते में मेकअप करते और कैमरे की ओर देखते हुए दिखाया गया। इस वीडियो को असली मानकर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। इन घटनाओं ने डिजिटल निजता और मशहूर हस्तियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता खड़ी की है।

Narendra Modi ने Deepfake के खतरे पर दी चेतावनी

एक वीडियो में Prime Minister Narendra Modi जैसे दिखने वाले व्यक्ति को गरबा करते हुए देखा गया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। पीएम मोदी ने इसे AI deepfake risk बताते हुए कहा कि इस तरह के वीडियो समाज में भ्रम और अराजकता फैला सकते हैं। उन्होंने जनता और मीडिया से अपील की कि वे डिजिटल कंटेंट को लेकर सतर्क रहें।

Sachin Tendulkar के नाम से गेमिंग स्कैम

Sachin Tendulkar

Cricket legend Sachin Tendulkar का एक fake promotional video सामने आया जिसमें उन्हें एक ऑनलाइन गेम को प्रमोट करते हुए दिखाया गया था। वीडियो में दावा किया गया कि उनकी बेटी सारा गेम में भाग लेकर रोज़ 1.8 लाख रुपए कमा रही है। सचिन ने इस फर्जी क्लिप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए इसे एक deepfake fraud करार दिया।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि deepfake technology न सिर्फ हस्तियों की छवि को नुकसान पहुंचा रही है बल्कि आम लोगों को भी misinformation, scam और digital manipulation के जाल में फंसा रही है।

Deepfake क्या है और इसे कैसे बनाया जाता है?

Deepfake एक ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़ और हावभाव को किसी अन्य व्यक्ति के वीडियो या ऑडियो पर इस तरह से फिट किया जाता है कि फेक कंटेंट असली जैसा लगे। यह तकनीक इतनी परिष्कृत होती है कि आम दर्शक के लिए फर्क कर पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल साल 2017 में Reddit पर हुआ था, जहां एक यूज़र ने “deepfake” नाम की ID से मशहूर हस्तियों जैसे Emma Watson, Gal Gadot, और Scarlett Johansson के AI-manipulated porn videos पोस्ट किए थे। इसने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया था।

AI और Machine Learning से बनता है Deepfake Content

Deepfake बनाने में Artificial Intelligence और Machine Learning Algorithms का इस्तेमाल होता है। ये एल्गोरिद्म वीडियो या ऑडियो को स्कैन करके चेहरे और आवाज़ के डेटा को प्रोसेस करते हैं और फिर किसी और के साथ उसे “स्वैप” कर देते हैं।

Voice cloning, facial mapping, और lip-sync adjustment जैसी तकनीकों से बनाए गए ये वीडियो आज बेहद रीयलिस्टिक दिखते हैं। साइबर एक्सपर्ट Puneet Pandey बताते हैं कि अब Deepfake के लिए रेडीमेड टूल्स और सॉफ्टवेयर खुले तौर पर उपलब्ध हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति इस तकनीक का दुरुपयोग कर सकता है।

भारत में Deepfake के खिलाफ कानूनी प्रावधान

भारत में Deepfake को लेकर नियम सख्त किए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति Deepfake content का शिकार होता है, तो वह या उसका प्रतिनिधि FIR दर्ज कर सकता है।

  • Social media platforms अब यूज़र्स से ये डिक्लेरेशन लेंगे कि वे कोई deepfake video या AI-generated content पोस्ट नहीं करेंगे।

  • यूज़र को कंटेंट पोस्ट करने से पहले एक consent alert message दिखाई देगा। सहमति देने के बाद ही वह अकाउंट को एक्सेस कर सकेगा।

  • किसी भी शिकायत की स्थिति में 24 घंटे के भीतर Deepfake कंटेंट को हटाना अनिवार्य होगा।

  • जो यूज़र Deepfake कंटेंट अपलोड करेगा, उसका अकाउंट बंद कर दिया जाएगा और उसकी जानकारी अन्य प्लेटफॉर्म्स को भी भेजी जाएगी ताकि वह अन्य सोशल साइट्स पर भी ऐसा न कर सके।

इस तरह भारत सरकार Deepfake जैसे डिजिटल खतरों को नियंत्रित करने के लिए AI Regulation और Cyber Safety Framework को मजबूत कर रही है।

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