फोटोः सोशल मीडिया। |
अक्षय कुमार (Akshay Kumar) अपनी आने वाली बहुप्रतीक्षित फिल्म राम सेतु (Ram Setu Controversy) को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) के टार्गेट पर आ गए हैं। स्वामी ने आरोप लगाया है कि अक्षय की फिल्म में राम सेतु के बारे में गलत तथ्यों का फिल्मांकन किया गया है। शनिवार को ही दो ट्वीट कर स्वामी ने फिल्म के मेकर्स और अक्षय कुमार के खिलाफ मामला दर्ज करने की बात कही। स्वामी ने का कहना है कि यदि अक्षय कुमार विदेशी नागरिक हैं तो हम उनकी गिरफ्तारी और उन्हें देश से बेदखल करने की मांग कर सकते हैं।
भाजपा नेता स्वामी ने पहले ट्वीट में लिखा, ‘मैं अक्षय कुमार और उनकी कर्मा मीडिया के खिलाफ केस दर्ज कराने जा रहा हूं…. उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म राम सेतु को गलत तरीके से पेश किया है…। उनकी फिल्म ने राम सेतु की छवि को नुकसान पहुंचाया है…। मेरे वकील सत्य सभरवाल ने मामले के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया है…।
स्वामी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि ‘अक्षय कुमार एक विदेशी नागरिक हैं तो हम उन्हें अरेस्ट करने के साथ देश से बेदखल करने के लिए कह सकते हैं।’
राम सेतु के पोस्टर में मशाल और टॉर्च को एक साथ दिखा कर भी ट्रोल हुए थे अक्षय
बीते दिनों ही राम सेतु का एक पोस्टर जारी किया गया था, इसे देखकर अक्षय कुमार को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया गया था। दरअसल इस पोस्टर में अक्षय एक गुफा जैसी जगह पर खड़े हैं और हाथ में मशाल को थामे कुछ देखने की जद्दोजहद कर रहे हैं। वहीं उनके साथ खड़ी जैकलीन के हाथ में भी सेल वाली टार्च थी। ऐसे में मशाल और टार्च को एक साथ देखकर यूजर्स ने दोनों कलाकारों की खूब खिंचाई की थी।
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अक्षय फिल्म में आर्कियोलॉजिस्ट का किरदार निभा रहे
राम सेतु में, अक्षय एक पुरातत्वविद् की भूमिका में हैं‚ वे फिल्म में भारत और श्रीलंका के बीच राम सेतु की सच्चाई का पता लगाने के लिए काम करते दिखेंगे। फिल्म की शूटिंग मुंबई के साथ अयोध्या और उत्तर प्रदेश के कई विभिन्न स्थानों पर की गई है। शूटिंग वैसे तो मुंबई से शुरू हुई‚ मगर इसका मुहूर्त शॉट अयोध्या में लिया गया था।
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जैकलीन और नुसरत अहम किरदारों में‚ अक्टूबर में आएगी फिल्म
फिल्म में अक्षय के साथ जैकलीन फर्नांडीज और नुसरत भरूचा भी अहम किरदार में हैं। फिल्म को अभिषेक शर्मा डायरेक्टर कर रहे हैं। वहीं विक्रम मल्होत्रा और अरुणा भाटिया इसक निर्माता है। पृथ्वीराज चौहान का निर्देशन कर चुके डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी इस फिल्म के क्रिएटिव प्रोड्यूसर हैं। गौरतलब है कि ये फिल्म इसी साल 24 अक्टूबर को सिनेमाघराें में आ रही है।
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क्या है राम सेतु का रहस्य (What is the truth behind Ram Setu?)
समुद्र पर बने रामसेतु को दुनियाभर में एडेम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ये एक ऐसा पुल है जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने वानर सेना के साथ लंका पहुंचने के लिए बनवाया था। यह पुल भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार को जोड़ता है।
श्रीराम का सेतु वो कहानी है जिसे कई लोग विज्ञान से जोड़कर एक प्राकृतिक घटना बता देते हैं‚ लेकिन साल 2017 में अमेरिकन साइंस चैनल और हिस्ट्री चैनल ने दावा किया था कि राम सेतु वास्तव में मौजूद है और इसे रामायण काल से संबंधित बताया गया।
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अमेरिकी वैज्ञानिक भी ये मान चुके हैं कि रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच कई ऐसे पत्थर हैं जो करीब 7000 साल पुराने हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देने वाले ईश्वर का चमत्कार मानते हैं, जबकि अमेरिका के इस प्रमाण के बाद यह एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।
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नल और नील ने बनाया था रामसेतु
All you need to know about Ram Setu: रावण का वध करने के लिए जब भगवान श्रीराम रामेश्वर तक पहुंचे तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या रावण के लंका तक पहुंचना था। इसके लिए भगवान श्री राम को इस समुद्र को पार करना था। इसके लिए उन्होंने एक पुल निर्माण की योजना बनाई।
इसके निर्माण क लिए जब भगवान श्रीराम ने समुद्र देव से मदद मांगी तो समुद्र देव ने ही बताया कि आपकी सेना में नल और नील ऐसे ऐसे प्रांणी हैं‚ जिन्हें इस पुल के निर्माण की पूरा जानकारी है।
इसके बाद समुद्र देव ने भगवान राम से कहा कि नल और नील आपकी आज्ञा से सेतु निर्माण कार्य में अवश्य सफल होंगे। इसके बाद जब राम सेतु बनकर तैयार हुआ तो वानर सेना ने ही इसका नाम रामसेतु रखा।
क्योंकि भगवान श्रीराम की कृपा से ही सेतु निर्माण का कार्य संभव हो पाया। वजह ये कि जिन पत्थरों का सेतु में इस्तेमाल हुआ वो भगवान की लीला से ही समुद्र में तैरने लगे थे।
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मात्र 5 से 6 दिन के भीतर हुआ था रामसेतु का निर्माण
रामसेतु के निर्माण मात्र 5 से 6 दिनों में पूरा कर लिया गया था। आपको ये जानकर थोड़ा अजीब लगेगा‚ लेकिन इसके निर्माण में केवल 5 से 6 दिन ही लगे थे। इस बात को अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी स्वीकारा है। बता दें समुद्र की लंबाई लगभग 100 योजन मानी गई है। एक योजन में लगभग 13 से 14 किलोमीटर होते हैं। रामसेतु की लंबाई करीब 48 किलोमीटर है।
लंका से लौटने के बाद सेतु को दुबारा समुद्र में बदल दिया था
रावण का वध कर लंका से लौटने के बाद भगवान राम ने रामसेतु को समुद्र में ही समा दिया था। ताकि भविष्य में इसका कोई दुरुपयोग न कर सके। यह घटना युगों पहले की बताई जाती है‚ लेकिन कालांतर में बताया गया कि समद्र का जल स्तर घटता गया और सेतु फिर से ऊपर से दिखने लगा।
भगवान राम ने रखा था सेतु निर्माण के लिए व्रत
रामसेतु के निर्माण के समय सेतु के निर्माण कार्य के पूरा होने के लिए भगवान राम ने विजया एकादशी के दिन स्वयं बकदालभ्य ऋषि के कहने पर व्रत रखा। नल और नील की सहायता से रामसेतु का निर्माण पूरा हो सका था।
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अमेरिकी साइंटिस्ट भी मा चुके रामसेतु के अस्तित्व की बात
अमेरिका साइंस चैनल ने भी ये माना है कि रामसेतु वास्तव में मौजूद था। एक रिसर्च के बाद साइंटिस्ट्स ने रामसेतु को मानव निर्मित बताया। साइंटिस्ट्स ने बताया कि भारत और श्रीलंका के बीच लगभग 50 किलोमीटर लंबी रेखा चट्टानों से बनी है और ये चट्टान लगभग 7 हजार साल पुरानी मानी गई है। वहीं जिस बालू पर यह टिकी है वह 4 हजार साल पुरानी है।
15वीं शताब्दी तक पुल से पैदल दूरी तय किया करते थे
ऐसी मान्यता है कि 15वीं शताब्दी तक लोग रामसेतु से पैदल रामेश्वरम से मन्नार की दूरी तय किया करते थे। इस पर लोग पारंपरिक वाहनों से जाया करते थे। नासा की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पुल लगभग सात हजार साल पुराना बताया गया है।
विभिन्न नामों से जाना जाता है ये रामसेतु
रामायण काल के सूय इस पुल का नाम भगवान राम ने हि नील पुल रखा था। इसके बाद श्रीलंका के मुस्लिमों ने इस पुल को आदम पुल नाम दे दिया था। वहीं इसाईयों ने इसे एडम ब्रिज का नाम दिया। उनका मानना था कि एडम इस पुल से होकर गुजरे थे। लेकिन रामायण में इस पुल का नाम रामसेतु होने का उल्लेख है।
राम सेतु के पत्थर तैरने का राजॽ (ram setu floating stone facts)
वैज्ञानिक कई सालों से इस पत्थर के रहस्य पर रिसर्च कर रहे थे‚ जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इसका कारण खोज निकाला है। विज्ञान के नजरिए के अनुसार रामसेतु को बनाने के लिए जो पत्थर इस्तेमाल हुए थे वे कुछ खास पत्थर थे। इन्हें प्यूमिक स्टोन (pumice stone) कहा जाता है।
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ये पत्थर ज्वालामुखी के लावा से बनते हैं। जब लावा की गर्मी और वातावरण की गर्म हवा या पानी आपस में मिलते हैं, तो ये खुद को कण में बदल लेते हैं। और इन्हीं से कई बार ऐसे पत्थर निर्मित हो जाते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रक्रिया से ऐसे पत्थर बनते हैं जिनमें कई सुक्ष्म छेद होते हैं। छेद के कारण यह स्पंजी आकार लेते हैं। वहीं इनका वजन अन्य पत्थर से थोड़ा कम होता है।
इन पत्थरों के (science behind floating stone) छेद में हवा होने से ये पानी में जल्दी नहीं डूबते हैं। लेकिन जब इनके छेद में पानी भर जाए तो यह डूबने लगते हैं। बता दें कि नासा ने सेटेलाइट की सहायता से इस पुल को खोजा निकाला था।
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नासा से मिली तस्वीर के अनुसार और नासा के ही अनुसार एक ऐसा पुल अवश्य था, जो भारत के रामेश्वरम से श्रीलंका के मन्नार दीप तक बना था। कुछ समय पहले रामेश्वरम में लोगों को ऐसे पत्थर मिले जिन्हें प्यूमाइस स्टोन कहा जाता है। ये पत्थर बहकर किनारे पर आए। बाद में इनकी पहचान रामसेतु पत्थर के रूप में हुई।
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