Manoj Kumar Death: बॉलीवुड के आइकॉनिक अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार (Manoj Kumar) अब हमारे बीच नहीं रहे। शुक्रवार सुबह मुंबई के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 87 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
देशभक्ति फिल्मों से बनी थी ‘भारत कुमार’ की पहचान
मनोज कुमार को हिंदी सिनेमा में patriotic Bollywood films के लिए जाना जाता था। उनकी फिल्मों में देशप्रेम, सामाजिक सरोकार और आम जनता की आवाज़ गूंजती थी।
Manoj Kumar की प्रमुख देशभक्ति फिल्में:
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Upkar (1967)
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Purab Aur Paschim (1970)
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Roti Kapda Aur Makaan (1974)
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Kranti (1981)
Early Life of Manoj Kumar दिल्ली के रिफ्यूजी कैंप में शुरू हुआ। यहां उन्होंने पढ़ाई की और हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी की तलाश शुरू की। एक दिन स्टूडियो में काम ढूंढते हुए उन्हें लाइट सेटिंग के लिए खड़ा किया गया और वहीं से उनकी किस्मत बदल गई।
1957 में फिल्म “Fashion” से डेब्यू किया। इसके बाद 1960 की “कांच की गुड़िया” से उन्हें पहला लीड रोल मिला। ‘रेशमी रुमाल’, ‘चांद’, ‘वो कौन थी’, ‘गृहस्थी’ जैसी फिल्मों ने उन्हें इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।
Bollywood Journey में बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने प्रधानमंत्री Lal Bahadur Shastri के आग्रह पर “उपकार” बनाई। हालांकि शास्त्री जी इसका प्रदर्शन नहीं देख सके। “Upkar” ने 1968 में बेस्ट फिल्म, डायरेक्टर, स्टोरी और डायलॉग जैसे चार Filmfare Awards जीते। मनोज कुमार को कुल 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले।
इन फिल्मों ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाई, बल्कि उन्हें लोगों के दिलों में ‘Bharat Kumar’ बना दिया।
शुरुआती जीवन और अभिनय की शुरुआत
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मनोज कुमार का असली नाम Harikrishna Giri Goswami था।
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उनका जन्म 24 जुलाई 1937 को हुआ था।
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उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म Fashion से की।
धीरे-धीरे वे एक ऐसे अभिनेता के रूप में उभरे जिन्होंने Indian Cinema Legends में अपना स्थान पक्का कर लिया।
🎥 फिल्मों में पहला मौका और शुरुआती सफर
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1957 की फिल्म Fashion में छोटा रोल
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1960 में Kaanch Ki Gudiya में पहला लीड रोल
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शुरुआती सफल फिल्में:
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रेशमी रुमाल
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चांद
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बनारसी ठग
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गृहस्थी
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वो कौन थी
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🧒 शुरुआती जीवन और विभाजन का दर्द
Focus Keyword: Early Life of Manoj Kumar
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असली नाम: हरिकृष्ण गोस्वामी
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जन्म: 24 जुलाई 1937, एबटाबाद (अब पाकिस्तान)
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1947 में देश के विभाजन के दौरान परिवार ने दिल्ली में शरण ली
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2 माह के भाई की दंगों के दौरान इलाज के अभाव में मृत्यु
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मां की हालत भी गंभीर थी, डॉक्टर नहीं मिल रहे थे
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10 साल की उम्र में मनोज ने लाठी उठाकर विरोध जताया
🎭 क्यों रखा नाम ‘मनोज कुमार’?
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Dilip Kumar की फिल्म Shabnam (1949) में उनके किरदार “मनोज” से प्रभावित होकर
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मनोज कुमार खुद दिलीप साहब के बड़े फैन थे
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उन्हीं के किरदार से प्रेरित होकर अपना फिल्मी नाम रखा “Manoj Kumar”
Upkar ने बनाया ‘भारत कुमार’
Upkar (1967) उस साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म का आइकोनिक गाना “Mere Desh Ki Dharti Sona Ugle” आज भी देशभक्ति की पहचान है। इस फिल्म में मनोज कुमार का किरदार ‘भारत’ था और इसी नाम से मीडिया ने उन्हें पहचान देना शुरू कर दी।
धीरे-धीरे वे Bharat Kumar के नाम से मशहूर हो गए, जो उनका एक अलग ही ब्रांड बन गया।
सम्मान और पुरस्कारों की लंबी सूची
उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले:
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Padma Shri Award (1992)
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National Film Awards
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Multiple Filmfare Awards
- 2016: सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान Dadasaheb Phalke Award Winner बने
वे न सिर्फ एक सफल अभिनेता, बल्कि एक प्रभावशाली निर्देशक और लेखक भी रहे।

Lal Bahadur Shastri से मिली प्रेरणा, बनी Upkar
शास्त्री जी ने मनोज कुमार को ‘Jai Jawan, Jai Kisan‘ पर फिल्म बनाने की सलाह दी। उस वक्त मनोज को ना तो फिल्म लेखन का अनुभव था, न डायरेक्शन का, फिर भी उन्होंने हिम्मत की।
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मुंबई से दिल्ली की Rajdhani Express में सफर करते हुए उन्होंने Upkar की आधी कहानी लिखी और लौटते वक्त बाकी स्क्रिप्ट पूरी की।
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इसी फिल्म से उन्होंने डायरेक्शन में कदम रखा और ये उनके करियर की टर्निंग पॉइंट बन गई।
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Upkar नहीं देख पाए शास्त्री
यह फिल्म Lal Bahadur Shastri के कहने पर बनी थी, लेकिन वे इसे देख नहीं सके। 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते के बाद, 11 जनवरी को शास्त्री जी का निधन हो गया। Upkar Movie 11 अगस्त 1967 को रिलीज हुई और यह अफसोस मनोज कुमार को हमेशा रहा कि शास्त्री जी उनकी फिल्म नहीं देख पाए।
Manoj Kumar Death के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर
मनोज कुमार के निधन की खबर से Bollywood industry in mourning है। सोशल मीडिया पर अभिनेता, फिल्म निर्माता और फैंस उन्हें याद कर रहे हैं।
उनका निधन एक cinematic loss है जो देशभक्ति की भावना को परदे पर जीवित रखने वाले युग का अंत कहा जा सकता है।
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