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अमेरिकी सांसदों ने हाल ही में जर्नलिज्म कॉम्पिटिशन एंड प्रिजर्वेशन एक्ट (Journalism Competition and Preservation Act-JCPA) का रिफॉर्म वर्जन प्रस्तुत किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बिल के माध्यम से गूगल और फेसबुक जैसी बिग टेक कंपनियों के प्लेटफॉर्म के साथ न्यूज पब्लिशर्स का एक साथ सीधा संपर्क और बातचीत संभव हो पाएगी।
वहीं इससे पब्लिशर्स को उनके कंटेंट के वाजिब रेवेन्यू मिलने में भी हेल्प मिल पाएगी। बता दें कि गूगल-फेसबुक जैसी कंपनीज़ अपने प्लेटफॉर्म पर न्यूज ऑर्गेनाइजेशन के कंटेंट का यूज करती आ रही हैं‚ लेकिन इन कंपनियों की ओर से इसका सही तरीके से रेवेन्यू शेयर नहीं किया जाता है। ऐसे में अमेरिका का ये कदम भारत के लिए भी अहम और आने वाले समय में लाभकारी माना जा रहा है।
दरअसल भारत सरकार और देश की न्यूज ऑर्गनाइजेशंस दोनों ही डिजिटल मीडिया स्पेस को डेमोक्रेटाइज यानी लोकतांत्रिकरण करना चाहते हैं। वहीं अब अमेरिका का ये कदम भारत के डिजिटल मीडिया स्पेस को डेमोक्रेटाइज करने की ओर एक बड़ा कदम होगा। वजह ये कि अमेरिका को डेमोक्रेटेड और फ्री स्पीच के एक लाइट हाउस के तौर पर देखा जाता है।
वहीं डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (DNPA) ने अमेरिका के इस कदम की सराहना की है। आपको बता दें कि DNPA इंडिया के प्रमुख मीडिया ऑर्गेनाइजेशन्स के डिजिटल आर्म का एक प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है। जिसका कार्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गलत और भ्रामक खबरों के प्रति यूजर्स को अवेयर करने के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म की अहमितय और सुविधाओं के बारे में बताना भी है।
ये एक बेहतर कदम
DNPA के एक सूत्र ने कहा है कि अमेरिकी सांसदों के लिए यह खुशी की बात है कि Google जैसे शक्तिशाली प्लेटफार्मों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति को रोकने के लिए इस तरह का कदम उठाया गया है। यह सही दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। गौरतलब है कि DNPA बीते कुछ सालों से इंडिया में डिजिटल मीडिया हाउसेज के साथ Google के राजस्व साझाकरण मॉडल को और अधिक ट्रांसपरेंस बनाने की मांग कर रहा है।
यही कारण है कि इसी साल की शुरुआत में कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया ने डीएनपीए की कम्प्लेन पर Google के खिलाफ जांच शुरू की थी।
पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी ने मोनोपॉलिस्टिक पैक्ट्रिसेज पर जवाब के लिए बुलाया था कंपनियों को
बता दें कि अमेरिका से यह खबर ऐसे समय में आई है जब कई बिग टेक कंपनियां‚ मीडिया हाउसेज व अन्य डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स भारत में के पार्लियामेंट्री पैनल के सामने अपनी डिजिटल एक्टिविटीज के बारे में बता रहे हैं।
इसी कड़ी में 23 अगस्त को फाइनेंस पर पार्लियामेंट्री स्टेंडिंग कमेटी ने देश में बिग टेक की मोनोपॉलिस्टिक पैक्ट्रिसेज (एकाधिकारवादी प्रथाओं) पर कुछ कठिन व प्रमुख प्रश्नों का सामना करने के लिए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन, नेटफ्लिक्स और कुछ अन्य के रिप्रजेटेटिव्स को बुलाया था।
कैनेडा और ऑस्ट्रेलिया बन चुका ये एक्ट
इससे पहले गूगल जैसे न्यूज बिचौलियों की मोनोपॉली और अपनी पोजिशन के मिसयूज को लेकर कैनेडा और ऑस्ट्रेलिया में इस तरह का कानून पास किया जा चुका है। कैनेडियन ऑर्डर में न्यूज पब्लिशर्स के साथ वाजिब रेवेन्यू शेयर करने के प्रोविजन तैयार किए गए हैं।
ऑस्ट्रेलिया में भी टेक कंपनीज को डिजिटल प्रकाशकों के साथ उचित रेवेन्यू शेयर करना पड़ता है। असल में न्यूज मीडिया कंपनीज की ओर से तैयार किया गया कंटेंट एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म उपल्ब्ध कराता है‚ जिसपर विज्ञापन चलाए जा सकते हैं। इसी रेवेन्यू शेयरिंग को लेकर डीएनपीए कदम उठा रहा है।
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