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Maharashtra Political crisis: महाराष्ट्र में जारी पॉलिटकल हंगामा अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath shinde) की ओर से हरीश साल्वे ने पैरवी की जबकि शिवसेना (Shivsena) की ओर से कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी मौजूद रहे। शिंदे गुट के 15 विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इसमें बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने और अजय चौधरी को विधायक दल का नेता बनाने को लेकर डिप्टी स्पीकर के नोटिस को चुनौती दी गई है। दोनों पक्षों की दलील के बाद एससी ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर 11 जुलाई शाम साढ़े पांच बजे तक रोक लगा दी है।
2020 में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को छोड़कर एक भी ऐसा मामला नहीं है जब अदालतों ने स्पीकर के समक्ष मौजूद कार्यवाहियों में दखल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी
डेप्युटी स्पीकर बेवजह जल्दबाजी में हैं। उन्होंने आज शाम पांच बजे तक का समय दिया है। ये प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। 22 जून को नोटिस दिया गया कि आप शाम को मीटिंग में आएं। उसके बाद 23 जून को स्पीकर के पास अयोग्यता को लेकर अर्जी दी गई। स्पीकर ने केवल 2 दिनों का समय दिया। स्पीकर का नोटिस जारी करना गलत है। स्पीकर इस मामले में जल्दी में थे।
एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल
बेवजह की जल्दबाजी हो रही है लेकिन वो दूसरी बात है। पहली बात यह है कि स्पीकर इस मामले में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। आज स्पीकर को हटाने के नोटिस पर बात होनी चाहिए।
एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल
एकनाथ शिंदे और अन्य विधायक हाई कोर्ट नहीं गए… वे राज्य मशीनरी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और हमारे घरों पर हमले करा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि हमारे शव असम से लौटेंगे। मुंबई में अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिए माहौल हमारे अनुकूल नहीं है।
एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल
स्पीकर तो खुद अविश्वास के दायरे में हैं, वे विधायकों की अपात्रता का फैसला कैसे ले सकते हैं: शिंदे के वकील
शिंदे के वकील ने कहा कि स्पीकर के पास विधायकों की अपात्रता का फैसला करते समय सभी सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है ये नियम कहता है। तभी तो वे फैसला कर सकते हैं। जबकि इस मामले में खुद स्पीकर ही अविश्वास के दायरे में आ चुके हैं। शिंदे के वकील सुप्रीम कोर्ट के अरुणाचल प्रदेश मामले में दिए गए एक फैसले का भी जिक्र किया।
राज्य सरकार बागी विधायकों और उनके परिजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होगी। वहीं कोर्ट ने ये भी कहा कि राज्य सरकार सभी बागी विधायकों और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाएं। सरकार को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि विधायकों की संपत्ति को नुकसान न पहुंचे।
गौरतलब है कि शिवसेना समर्थकों के बवाल के चलते बागी विधायकों ने अपने और अपने परिजनों के लिए सुरक्षा मांगी है। ऐसे में केंद्र सरकार ने बागी विधायकों की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए वाई प्लस कैटेगिरी की सुरक्षा दी है।
राज्यपाल ने केंद्र से बागी विधायकों के लिए मांगी थी सुरक्षा
दरअसल महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने बागी विधायकों के लिए केंद्र से सुरक्षा मांगी की थी। उन्होंने राज्य के डीआईजी को भी विधायकों के घरों पर पुलिस तैनात करने के लिए कहा था। वहीं बागी फ्लोर टेस्ट के लिए राजी हैं। शिंदे खेमे के 51 विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने संजय राउत को एक मामले में नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए कार्यालय तलब किया है।
When the CM was hospitalised, they (rebel MLAs) sold themselves. I would like to ask them, is there no humanity left? We trusted them: Maharashtra minister and Shiv Sena leader Aaditya Thackeray to Shivsainiks in Byculla, Mumbai pic.twitter.com/ATygSKAAX1
— ANI (@ANI) June 27, 2022
सुप्रीम कोर्ट में शिंदे खेमे ने क्या कहा
शिंदे गुट ने दलील दी कि डिप्टी स्पीकर की ओर से सदस्यता रद्द करने का दिया गया नोटिस असंवैधानिक है। शिंदे गुट ने कहा कि उन्हें धमकाया जा रहा है और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ये हमारे अधिकारों का हनन है। ऐसे में वे सीधे अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में आ सकते हैं।
शिंदे गुट ने तर्क दिया कि जबकि अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव लंबित है, तो मौजूदा विधायकों को अयोग्य घोषित करके विधानसभा को बदलना अनुच्छेद 179 (C) का उल्लंघन होगा। शिंदे गुट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर ने दबाव से प्रेरित होकर नोटिस भेजने की जल्दबाजी की।
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