बिहार के मधुबनी जिले में एक थाना प्रभारी (SHO) और एक दारोगा (SI) ने एक जज पर पिस्तौल तान दी. बात यहीं नहीं रुकी। दोनों पुलिस अधिकारी जज के कक्ष में घुस गए और उनके साथ गाली-गलौज व मारपीट भी की। मामला झंझारपुर व्यवहार न्यायालय का है।
घोघडीहा थाने में तैनात थाना प्रभारी (SHO) गोपाल प्रसाद और दारोगा (SI) अभिमन्यु कुमार एक शिकायत पर चल रही सुनवाई के लिए गुरुवार को न्यायाधीश अविनाश कुमार के समक्ष पेश हुए। सुनवाई के दौरान दोनों पुलिसकर्मियों ने जज पर हमला कर दिया। फिलहाल अभी तक घटना के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है।
जज ने आरोपी को मुफ्त में कपड़े धोने की शर्त पर जमानत दी थी
इस साल सितंबर में जज अविनाश कुमार ने छेड़छाड़ के आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी थी कि उसके गांव की सभी महिलाएं कपड़े धोकर प्रेस करें। आरोपी को लगातार छह माह तक यह सेवा नि:शुल्क दी जानी है। जज ने इसकी निगरानी की जिम्मेदारी गांव के पंच-सरपंच को सौंपी थी। 6 महीने पूरे होने पर दोषी को फ्री सर्विस का सर्टिफिकेट लेकर कोर्ट में जमा करने का भी आदेश दिया गया। आरोपी 20 साल का है और पेशे से धोबी है।
हंगामे के बाद जज के केबिन के बाहर लगा जमावड़ा। |
जज साहब डरे हुए थे
इस पूरे घटनाक्रम पर झंझारपुर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बलराम साह ने कहा कि हंगामा होते ही हम जज के चैंबर में दाखिल हो गए। हमने देखा कि एसआई अभिमन्यु कुमार जज अविनाश कुमार को पिस्टल ताने खड़े थे और गंदी गालियां भी दे रहे हैं। इसके बाद वहां मौजूद तमाम वकीलों और कोर्ट में रहने वाले पुलिसकर्मियों ने आकर जज को छुड़ाया। वे डर से कांप रहे थे।
झंझारपुर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बलराम साह ने दोनों पुलिस अधिकारियों और SP पर कार्रवाई की मांग की। |
मधुबनी एसपी पर भी कार्रवाई की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही एसपी-डीएसपी समेत अन्य अधिकारी कोर्ट पहुंचे और जज के साथ बैठकर मामले की जानकारी ली। इस मामले में झंझारपुर बार एसोसिएशन ने पुलिस अधिकारियों के साथ ही मधुबनी एसपी दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्हें इस मामले में आरोपित करने की मांग की गई है। बलराम साह का कहना है कि ऐसा नहीं होने तक झंझारपुर सिविल कोर्ट में काम ठप रहेगा।
पुलिस एसोसिएशन ने भी निष्पक्ष जांच की मांग की है
इसी कड़ी में बिहार पुलिस संघ के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने एक बड़ी मांग की है। उन्होंने पटना हाईकोर्ट के एक जज से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। निष्पक्ष जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी मजिस्ट्रेट को पुलिसकर्मियों को गाली देने का अधिकार नहीं दिया है। देर से पहुंचने पर उन्होंने पुलिसकर्मियों को गालियां दीं। उनका अपमान किया। जिसके बाद दोनों पक्षों में कहा-सुनी हो गई। इसके बाद ही मामला और बढ़ गया। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात कह रहे हैं. इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
झंझारपुर थाने में मामला दर्ज
जज अविनाश कुमार ने मामले में डीएसपी नेहा कुमारी के सामने अपना बयान दर्ज कराया है। बयान में उन्होंने कहा है कि दोनों पुलिस अधिकारियों ने उन्हें अभद्र भाषा से बात की और पीटा। घोघरडीहा पुलिस स्टेशन (एसएचओ) गोपाल प्रसाद ने अपनी सर्विस पिस्टल मुझ पर तान दी और मुझे जान से मारने की धमकी दी।
उन्होंने ‘अपने बॉस एसपी साहब’ के सहयोग से ऐसा करने की बात कही। फिलहाल झंझारपुर थाने के एसआई अरविंद कुमार को आईपीसी व आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मामला संख्या 255/2021 दर्ज कर जांच की जिम्मेदारी दी गई है।
पटना हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
पटना हाईकोर्ट ने न्यायाधीश अविनाश कुमार द्वारा भेजे गए पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बिहार के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी एसपी को नोटिस जारी किया है। डीजीपी को 29 नवंबर तक सीलबंद लिफाफे में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। मामले में अगली सुनवाई उसी दिन होगी।
दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई : एसपी
मधुबनी एसपी डॉ सत्य प्रकाश ने बताया कि झंझारपुर कोर्ट के जज और पुलिस कर्मियों के बीच हाथापाई का मामला सामने आया है। मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्हें किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
जज अविनाश कुमार अपने अनोखे फैसलों से लाइमलाइट में रहे हैं। |
जज अविनाश कुमार इन फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहे थे
जज अविनाश कुमार ने इस साल सितंबर में लोखा थाने के एक मामले में अनोखा आदेश दिया था। जज ने छेड़छाड़ के आरोपी ललन कुमार सफी को महिलाओं के कपड़े धोने और इस्त्री करने की शर्त पर 6 महीने तक नियमित जमानत दी थी। एक अन्य मामले में शिक्षक को पहली से पांचवीं कक्षा तक के गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की शर्त पर जमानत दी गई।
न्यायाधीश अविनाश कुमार की अदालत ने भैरव स्थान थाने में दर्ज प्राथमिकी में पोक्सो एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 लागू नहीं करने पर 14 जुलाई 2021 को केंद्र और राज्य सरकार को संयुक्त पत्र जारी किया था।
इसमें मधुबनी एसपी, झंझारपुर डीएसपी और भैरव स्थान थाने के अलावा व्यवहार न्यायालय के एक अधिकारी पर भी सवाल उठाए गए. उन्हें बताया गया कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं है।
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