आजाद भारत का सबसे बड़ा गैंगरेप स्कैंडल: 30 साल पहले 100 लड़कियों से यौन शोषण‚ अजमेर दरगाह के खादिम ने दिया था घटना को अंजाम, अब सलमान चिश्ती चर्चा में Read it later

Ajmer Blackmail Scandal:  21 अप्रैल 1992 को (Farooq Chisti and Nfis Chisti Ajmer Blackmail Scandal) राजस्थान के अजमेर शहर का वो दिन था जब लोगों ने अलसुबह अखबार पड़ा तो लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई। मामला ही कुछ ऐसा था…।  अखबार था स्थानीय समाचार पत्र दैनिक नवज्योति। ये खबर थी गैंगरेप स्कैंडल की। इसे आजाद भारत का अब तक का सबसे बड़ा गैंगरेप स्कैंडल कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

इस स्कैंडल को अंजाम देने वाले थे अजमेर दरगाह के खादिम जिन्होंने खादिम के पेशे तक को बदनाम कर दिया।  लोग इस घिनौनी हरकत की खबर पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे। इसलिए वे एक-दूसरे के पास पहुंचकर खबर की पुष्टि करने लगे और और ये खबर इतनी फैली की अजमेर शहर को ही बंद करना पड़ा। 15 मई को जब अखबार में इसी रिपोर्ट का दूसरा भाग धुंधली तस्वीरों के साथ प्रकाशित हुआ तो पूरा शहर सिहर उठा।

 

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स्कूल-कॉलेज की लड़कियों के यौन शोषण से शहर में बवाल मच गया था (Ajmer Blackmail Scandal)

तस्वीरें स्कूल-कॉलेज की लड़कियों की थीं जिनका यौन शोषण किया गया और आरोप शहर के सबसे अमीर और सबसे शक्तिशाली परिवारों में से एक चिश्ती परिवार के खिलाफ थे। ये वही  चिश्ती परिवार है जिनके खानदान के लोग अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में खादिम हुआ करते हैं।

पूरे शहर को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि खादिम परिवार के लड़के फारूक चिश्ती और नफीस चिश्ती, जो सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक स्थिति में शहर के शीर्ष परिवारों में हैं, वहीं आरोप में सेंटर पॉइंट में हैं। उस दौरान ये दोनों ही युवा कांग्रेस के प्रभावी नेता थे।

 

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अजमेर दरगाह का खादिम एक बार फिर चर्चा में, हिस्ट्रीशीटर है खादिम

उसी अजमेर से एक और चिश्ती एक बार फिर चर्चा में है। सलमान चिश्ती खुद को ख्वाजा की दरगाह का खादिम कहता हैं। उसने नुपुर शर्मा की हत्या करने वालों को अपना घर देने की पेशकश का वीडियो बनाया, जो वायरल हो गया। बहरहाल अब सलमान को गिरफ्तार कर लिया गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार सलमान के विरुद्ध दरगाह पुलिस स्टेशन में पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। वो एक हिस्ट्रीशीटर हैं। उपरोक्त में 1992 की घटना के बारे में जो आपको बताया गया है उसके मुख्य आरोपियों में से एक नफीस चिश्ती भी हिस्ट्रीशीटर है और ये फिलहाल जमानत पर जेल से बाहर है। 1992 के अजमेर ब्लैकमेल मामले (Ajmer Blackmail Scandal) में फारूक समेत पांच आरोपियों के साथ पॉक्सो कोर्ट में आज भी मुकदमा चल रहा है।

 

जब नाबालिग थीं तब रेप हुआ, 30 साल से केस लंबित, अब वहीं पीड़िताएं दादी-नानी बन चुकीं

न्यूज वेबसाइट द प्रिंट के अनुसार दिसंबर 2021 में अजमेर के पॉक्सो कोर्ट रूम में कुछ महिलाएं गुस्से में पुलिस अधिकायों से झगड़ती दिखीं… उनका कहना था.. अब 30 वर्ष हो गए हैं…। हम दादी, नानी बन चुकी हैं…। आपलोग क्यों बार-बार बुलाते हैं हमें…? उन्होंने पॉक्सो कोर्ट के जज और वकीलों पर भी अपना गुस्सा उतारा… कोर्ट में यौन शोषण करने वाले भी थे…  महिलाएं बोलीं…अब हम सब परिवार वाली बन चुकी हैं। अब तो हमें बख्श दीजिए…। ये महिलाएं कोई और नहीं बल्कि 1992 में सामने आए अजमेर यौन ब्लैकमेल कांड की शिकार ​पीड़िताएं थीं।  2004 का दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) के एमएमएस कांड तो आपको याद ही होगा… अजमेर का ये ब्लैकमेल स्कैंडल उससे बहुत पहले का है।

 

आखिर क्या थी 100 लड़कियों के साथ दुष्कर्म और सामुहिक दुष्कर्म की शर्मनाक घटना 

दरअसल अजमेर के ख्वाजा मुइनिद्दीन चिश्ती दरगाह से जुड़े रसूखदार चिश्ती परिवार पर स्कूल-कॉलेज की करीब 100 लड़कियों से यौन शोषण करने की शर्मनाक घटना में आरोपों के सेंटर में था। मोबाइल आने के बाद आप और हम आज वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर दुष्कर्म की घटनाएं आए दिन पढ़ते हैं, लेकिन 30 साल पहले हुई इस घटना में भी लड़कियों के दुष्कर्म के वीडियो और फोटो लिए जाते थे और इसी से ब्लैकमेल कर गैंगरेप पीड़िताओं को अपनी सहेलियों को बुलाने के लिए मजबूर किया जाता था।

इसी कड़ी में एक के बाद एक करीब 100 लड़कियां इन हैवानों का शिकार बनती चली गईं। वो जामाना था जब अंधेरे कमरे में रील को साफ कर निगेटिव से फोटो तैयार किए जाते थे। ऐस में जिस लैब में नग्न लड़कियों की रील धोकर तस्वीर निकाली जाती थी, उसका कारीगर भी इस स्कैंडल में शामिल हो गया। जो जो लड़किया इन दरिंदों के चंगुल में फंसती उनका महीनों तक गैंगरेप होता रहा।

 

मुख्य आरोपियों में दो फारूक चिश्ती और नफीस चिश्ती यूथ कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हुआ करते थे

दरगाह से जुड़ा परिवार होने के कारण शहर में परिवार का धार्मिक व सामाजिक स्तर पर अच्छा खासा रसूख था। वहीं आर्थिक रूप से संपन्न भी थे तो उनकी राजनीतिक पैठ भी थी। मुख्य आरोपियों में दो फारूक चिश्ती और नफीस यूथ कांग्रेस के प्रभावशाली नेता हुआ करते थे। उस दौरान आरोपियों के पास रॉयल एनफिल्ड बुलेट, येज्दी और जावा जैसी बाइक हुआ करती थीं।

स्थानीय स्तर पर वे प्रसिद्ध हस्तियों जैसा रसूख रखते थे। ओपन जीप, एंबेसडर और फिएट कार में घूमा करते थे। ये बात उस वक्त की है जब गिनती के चुनिंदा रसूखदार घरों में ही घरेलू गैस और फोन कनेक्शन होता था और ऐसे घरों को रईस माना जाता था।

चिश्ती परिवार के पास ये सब था। इन हैवानों का शिकार हुईं कई लड़कियां अच्छे घरानों की थीं। जिनके गार्जियन गवर्नंमेंट जॉब में हुआ करते थे। ऐसे में जब खबर सार्वजनिक हुई तो कई परिवारों ने तो अजमेर तक छोड़ दिया।

 

रेप की फोटो और वीडियो बनाकर किया जाता था ब्लैकमेल

साल 2003 एक पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ होती थीं तब नफीस और फारूक उनसे कई बार मिले थे। एक बार जब वो बस स्टैंड जा रही थीं उसी दौरान मारुति वैन में सवार नफीस और फारूक ने उसे कांग्रेस में एक बड़ा प्रॉजेक्ट दिलाने की बात कही।

इन दोनों के मिलने वाले सैयद अनवर चिश्ती ने लड़की को कांग्रेस का फॉर्म लाकर भी दिया। एक दिन जब वो स्कूल जा रही थीं तभी रास्ते में नफीस और फारूक ने उसे अपनी गाड़ी से स्कूल छोड़ने की बात कही। तब तक उनकी जान पहचान अच्छी हो गई थी इसलिए लड़की मान गईं। लेकिन गाड़ी स्कूल की बजाय एक फार्महाउस पर रुकी।

 

लड़की को लगा शायद कांग्रेस के किसी बड़े नेता से मिलवाने फार्म हाउस पर लाए हैं, लेकिन…

गाड़ी में लाई गई लड़की को आभास हुआ कि शायद किसी कांग्रेस के नेता से मुलाकात करवाने उसे लाया गया है, लेकिन कुछ देर बाद नफीस ने उसे दबोचते हुए धमकी दी कि कि यदि वो चिल्लाई तो उसे जान से मार देगा। फिर धमकियां के बल पर आरोपी बार-बार बलात्कार करते रहे।

लेकिन आरोपी हैवान यहीं नहीं रुके अब उन हैवानों की भूख और बढ़ चुकी थी। उन्होंने लड़की की न्यूड तस्वीरें लीं और वीडियो भी बनाए, फिर लड़की को ब्लैकमेल किया कि यदि वो अपनी सहेलियों को नहीं लाएगी तो ये फोटो और वीडियो वो अन्य लोगों को दे देंगे।

इसी तरह जो जो लड़की एक बार इन दरिंदों का शिकार होती चली गई उन सभी लड़कियों को इन दरिंदों ने इसी तरह ब्लैकमेल कर उनके साथ गैंगरेप किया गया।  मामला उजागर तब हुआ जब इन लड़कियों की तस्वीरें एक के बाद एक अन्य लोगों के हाथ लगती रहीं।

 

21 अप्रैल 1992 को दैनिक नवज्योति अखबार में छपी रिपोर्ट से हुआ खुलासा

एक दिन इस स्कैंडल (Ajmer Blackmail Scandal) की भनक दैनिक नवज्योति के क्राइम रिपोर्ट संतोष गुप्ता तक पहुंची और फिर 21 अप्रैल 1992 को दैनिक नवज्योति अखबार में गुप्ता की पहली इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट प्रकाशित हुई। तस्वीरें विश्व हिंदू परिषद (VHP) के स्थानीय नेताओं को भी उपलब्ध कराई गई।

जिसके बाद उन्होंने पुलिस को तस्वीरें दी और मामला दर्ज किया गया। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई, लेकिन अखबार में जब इसी गैंगरेप स्कैंडल (Ajmer Blackmail Scandal) की दूसरी खबर 15 मई 1992 को पीड़ित लड़कियों की धुंधली तस्वीरें के साथ प्रकाशित हुई तो शहर में कोहराम मच गया। शहरभर में इस घटना का भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। (Ajmer Blackmail Scandal) जिसके चलते दो दिन तक अजमेर बंद रहा।

मामला इतना बढ़ा कि दंगे जैसे हालात बन गए… ऐसा इसलिए क्योंकि गैंगरेप (Ajmer Blackmail Scandal) के ज्यादातर आरोपी मुस्लिम कम्यूनिटी और उनकी शिकार लड़कियां ज्यादातर हिंदू कम्यूनिटी से थीं। एक महिला ने बताया जब उनका गैंगरेप होता था तब उनकी उम्र महज 18 साल थी। एक बार गैंगरेप के बाद नफीस ने पीड़िता को 200 रुपये थमाते हुए कहा था कि इन पैसे से अपने लिए लिप्सटिक खरीद लेना…।

 

Farooq Chisti and Nfis Chisti Ajmer Blackmail Scandal
इसी मारुति वैन में लड़कियों को लाया और ले जाया जाता था। दाईं ओर फार्म हाउस की तस्वीर, यहीं कई लड़कियों का गैंगरेप किया गया। (फोटो पुलिस रिकॉर्ड अनुसार)

 

जांच में 18 हैवानों को नामजद आरोपी बनाया गया

मामला (Ajmer Blackmail Scandal) बढ़ने के बाद 27 मई को पुलिस ने कुछ आरोपियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत नोटिस दिया। तीन दिन बाद तात्कालीन नॉर्थ अजमेर डीएसपी हरि प्रसाद शर्मा ने एफआईआर दर्ज की। फिर सीआईडी-क्राइम ब्रांच के एसपी एनके पटनी को जांच के लिए जयपुर से अजमेर भेजा गया।

सितंबर 1992 में एनके पटनी ने 250 पन्नों की पहली चार्जशीट फाइल की जिसमें 128 गवाहों के नाम और 63 सबूतों के बारे में बताया गया था। अजमेर कोर्ट ने 28 सितंबर को मामले की सुनवाई शुरू की।

उस दौरान आठ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई… लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई, मासूम बालिकाओं के यौन शोषण करने वालों का खुलासा भी होता चला गया। इस तरह, कुल 18 आरोपियों का खुलासा हुआ और इस सनसनीखेज मामले में इन सभी आरोपियों पर मुकदमा दर्ज हुआ।

 

जब खुलासा हुआ तो पिड़िताएं सुसाइड करने लगीं

उस समय अजमेर के डीआईजी रहे ओमेंद्र भारद्वाज कहते हैं… यौन शोषण की शिकार पीड़ित लड़कियां उन दिनों आरोपियों के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थीं…। ऐसे में मामलों का खुलासा एक के बाद एक होने लगा… तो शोषित लड़कियां सुसाइड करने लगीं। इनमें ज्यादातर स्कूल या कॉलेज गोइंग लड़कियां थीं…।  मामले में एक आरोपी पुरुषोत्तम ने 1994 में आत्महत्या कर ली थी…।

ये इतनी बड़ी घटना थी कि  जब पूरे 1990 के दशक में स्थानीय अखबार के दफ्तर में अक्सर लोग यह पता करने आ जाते थे… कि जिस लड़की के साथ शादी के लिए रिश्ता तय हुआ है…, क्या उसका भी ब्लैकमेल करके रेप हुआ था…?  दरअसल, जैसे ही पता चला कि अजमेर दरगाह से जुड़े मुसलमानों ने ब्लैकमेलिंग (Ajmer Blackmail Scandal) से 100 के करीब स्कूली लड़कियों का रेप किया है…, तो इलाके में हिंदू लड़कियों के पिताओं की मुश्किलें बढ़ गईं…। सबको पता चल गया कि इलाके में हिंदू लड़कियों का मुसलमानों ने बलात्कार किया है…। इसलिए कोई भी वहां की लड़की को बहु बनाकर अपने घर नहीं लाना चाहता था…।

 

यूं चला केस…

  • 1992 में जब इस सनसनीखेज गैंगरेप स्कैंडल (Ajmer Blackmail Scandal) का खुलासा हुआ तब से पुलिस ने कुल 6 चार्जशीट दायर कर कुल 18 दरिंदों को नामजद आरोपी बनाया। मामले में 12 पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, 30 से अधिक थाना अध्यक्ष, दर्जनों एसपी, डीआईजी, डीजीपी शामिल हुए। ये समय इतना लंबा रहा कि  राजस्थान में पांच सरकारें तक बदल गईं। शुरुआत जांच में 17 लड़कियों ने अपना बयान दर्ज करवाया… लेकिन बाद में ज्यादातर विटनेस बनने से मुकर गईं। केस जिला अदालत से राजस्थान हाई कोर्ट… और फिर सुप्रीम कोर्ट…, फास्ट ट्रैक कोर्ट…, महिला अत्याचार अदालत… और पॉक्सो कोर्ट में चक्कर खाता रहा।

 

  • 1998 में अजमेर की सेशन कोर्ट ने आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई लेकिन न्याय यहां भी कमजोर पड़ गया, दरअसल राजस्थान हाई कोर्ट ने 2001 में उनमें से चार को बरी कर दिया।

 

  • 2003 में उच्चतम न्यायालय ने बाकी चारों की सजा आजीवन कारावास से घटाकर 10 साल कर दी। इनमें मोइजुल्ला उर्फ पुत्तन, इशरत अली, अनवर चिश्ती और शम्शुद्दीन उर्फ माराडोना का नाम शामिल था। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दुर्भाग्यवश मामले के गवाह सामने आने से कतराते रहे थे। इस कारण आरोपियों को दंडित कर पाना मुश्किल हो गया।

 

  • 2007 में अजमेर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फारूक चिश्ती को भी दोषी ठहराया… जिसे पहले पागल घोषित किया गया था…।

 

  • 2012 में आत्मसर्पण करने वाला सलीम चिश्ती ही 2018 तक जेल में रहा। तब सुहैल पुलिस हिरासत में था और बाकियों को जमानत मिल गई थी।

 

  • 2013 में राजस्थान हाई कोर्ट ने फारूक चिश्ती की आजीवन कारावास की सजा घटा दी, कोर्ट ने दलील दी कि ये जितनी अवधि तक जेल में रह चुका है, वो पर्याप्त है। अब वो दरगाह पर आदर पाता है।

 

आज भी दरगाह पर सम्मान पा रहे हैवान 

मुख्य आरोपी में से एक नफीस चिश्ती 2003 तक फरारी काटता रहा, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसे बुरके में भागने की कोशिश करते हुए दबोच लिया। एक आरोपी इकबाल भट्ट 2005 में गिरफ्तार हो पाया। सुहैल गनी चिश्ती ने 26 साल बाद 15 फरवरी 2018 को अजमेर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया।

नफीस चिश्ती, इकबाल बट्ट, सलीम चिश्ती, सैयद जमीर हुसैन, नसीम उर्फ टार्जन और सुहैल गनी पर पॉक्सो कोर्ट में अभी भी मुकदमा चल रहा है, लेकिन ये सभी जमानत पर जेल से बाहर घूम रहे हैं। आज नफीस और फारूक चिश्ती अजमेर में काफी आराम पसंद जिंदगी जी रहे हैं। दोनों अक्सर दरगार शरीफ जाते हैं और अनजान श्रद्धालु आज भी इन हैवान के हाथ चूमते हैं।

 

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नफीस आदतन अपराधी है। 2003 में उस 24 करोड़ रुपए कीमत की स्मैक के साथ दबोचा गया था। उसके खिलाफ किडनैपिंग, यौन उत्पीड़न, अवैध हथियार रखने और जुआ में संलिप्त होने के आरोप है। जमानत पर छूटने के बाद फारूक की शानो शौकत में भी कोई कमी नहीं आई।

न्यूज वेबसाइट द प्रिंट के अनुसार,  (Ajmer Blackmail Scandal) आज भी लोग उसे दरगाह शरीफ के खादिम परिवार के बड़े भाई की तरह इज्जत देते हैं। एक अन्य आरोपी अलमास महाराज अभी भी फरार है। बताया गया कि वो शायद अमेरिका भाग गया था।  सीबीआई ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। बहरहाल ये सभी आरोपी भले ही आजाद घूम रहे हों… या इन्हें लोगों से इज्जत मिल रही हो, लेकिन ये क्या कभी खुद की नजरों से बच पाएंगे… या क्या खुदा की नजरों से बच पाएंगे…?

 

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