Gaganyaan Mission Astronauts: भारत ने इंडो यूएस स्पेस मिशन के लिए अपने प्राइम एस्ट्रोनॉट का चयन कर लिया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Group Captain Shubhanshu Shukla) इस मिशन के मुख्य एस्ट्रोनॉट होंगे। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) ने शुक्रवार 2 अगस्त को बताया कि इस मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए कैप्टन प्रशांत नायर को भी चुना गया है। वह बैकअप के तौर पर इसका हिस्सा होंगे।
दरअसल SRO के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) ने ISS के लिए अपने अपकमिंग एक्सिओम-4 मिशन (Axiom-4 mission) के तहत अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सिओम के साथ एक अंतरिक्ष उड़ान समझौता (SFA) किया है। इस मिशन में दो भारतीय एस्ट्रोनाॅट शामिल होंगे। जिन्हें प्रमुख और बैकअप मिशन पायलट की कमान संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।
शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) कब जाएंगे, इसकी तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। हालांकि, इस महीने के पहले हफ्ते से दोनों की ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। इसरो (International Space Station: ISRO ) ने बताया कि ह्यूमन स्पेस फ्लाइट सेंटर (HSFC) ने ISS के अपने आगामी Axiom-4 मिशन के लिए यूएस स्थित Axiom स्पेस के साथ स्पेस फ्लाइट एग्रीमेंट (SFA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
4 गगनयात्रियों में शुभांशु का चयन (Gaganyaan Mission)
इसरो ने कहा, ‘4 गगनयात्रियों में से नेशनल मिशन असाइनमेंट बोर्ड ने शुभांशु और प्रशांत का चयन किया है। भारत-अमेरिका अंतरिक्ष मिशन समझौते से भारत को अपने आगामी गगनयान मिशन को पूरा करने में मदद मिलेगी।’
गगनयान मिशन क्या है? (What is Gaganyaan Mission?)
गगनयान मिशन का मकसद तीन अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाना और मानवयुक्त अंतरिक्ष यान भेजने की भारत की क्षमता का प्रदर्शन करना है। अगर गगनयान मिशन सफल होता है तो भारत अंतरिक्ष में मानवयुक्त मिशन भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन यह उपलब्धि हासिल कर चुके हैं।
पिछले साल भारतीय वायुसेना के चार परीक्षण पायलटों का चयन किया गया और गगनयान मिशन के लिए उनका प्राथमिक प्रशिक्षण इसरो के बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में शुरू किया गया। इनके नाम हैं- ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्ण और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला। इन चारों को लड़ाकू विमान उड़ाने का अनुभव है। अब इन्हें ‘गगनयात्री’ भी कहा जाता है।
अंतरिक्ष यात्रियों के बारे में खास बातें…
- 1. चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्री बेंगलुरु स्थित भारतीय वायुसेना के एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट के टेस्ट पायलट हैं।
- 2. अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए बड़ी संख्या में पायलटों ने आवेदन किया था। इनमें से 12 ने सितंबर 2019 में पहले स्तर की चयन प्रक्रिया पूरी की। कई चयन दौर के बाद इन 4 का चयन किया गया।
- 3. जून 2019 में इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच पायलटों के प्रशिक्षण के लिए समझौता हुआ था। इसके बाद इन पायलटों को रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया। यहां इन्हें फरवरी 2020 से मार्च 2021 तक प्रशिक्षण दिया गया।
- 4. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इनमें से एक अंतरिक्ष यात्री को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी प्रशिक्षण देगी। यह प्रशिक्षण 2024 के अंत में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक मिशन के लिए होगा।
आगे क्या होगा – शुभांशु और प्रशांत जाएंगे अमेरिका (Gaganyaan Mission Astronauts)
ग्रुप कैप्टन शुभांशु और ग्रुप कैप्टन प्रशांत दोनों को अगस्त के पहले सप्ताह से अमेरिका में मिशन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। अंतरिक्ष मिशन के दौरान चयनित गगनयात्री वैज्ञानिक शोध और तकनीकों का परीक्षण करेंगे। इसके अलावा वे अंतरिक्ष में आउटरीच गतिविधियों में भी शामिल होंगे।
सुखोई और मिग जैसे लड़ाकू विमान उड़ा चुके हैं शुभांशु
शुभांशु 38 साल के हैं। वे फाइटर पायलट और कॉम्बैट लीडर हैं। उन्हें 2000 घंटे से ज्यादा उड़ान का अनुभव है। वे अब तक सुखोई-30एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 जैसे विमान उड़ा चुके हैं।
शुभांशु का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। शुभांशु राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के पूर्व छात्र भी हैं। उन्हें 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में कमीशन मिला था।
कैप्टन प्रशांत नायर गगनयात्रियों में सबसे बुजुर्ग हैं
कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर (Captain Prashant Balakrishnan Nair) चार गगनयात्रियों में सबसे बुजुर्ग (47 वर्ष) हैं। प्रशांत एनडीए (NDA) के पूर्व छात्र भी हैं। उन्हें वायुसेना अकादमी में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला था। प्रशांत का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के थिरुवाझियाद में हुआ था। उन्हें 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में कमीशन मिला था।
ग्रुप कैप्टन नायर क्लास-ए फ्लाइट ट्रेनर हैं। उन्हें 3000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। उन्होंने सुखोई-30एमकेआई, मिग-21, मिग-29, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 विमान भी उड़ाए हैं।
प्रशांत ने सुखोई-30एमकेआई स्क्वाड्रन की कमान संभाली है। वह स्टाफ कॉलेज, यूएसए के पूर्व छात्र भी हैं। इसके अलावा, वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर्स स्कूल, ताम्बरम में डायरेक्टिंग स्टाफ में भी रहे हैं।
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