Jhansi Medical College Fire: झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड (SNCU) में शुक्रवार रात भीषण आग लग गई, जिससे वहां भर्ती नवजात बच्चों की जान पर बन आई। हादसे में अब तक 10 नवजात बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इस हृदयविदारक घटना के बाद चाइल्ड वार्ड की खिड़कियां तोड़कर शवों को बाहर निकाला गया। प्रशासनिक अधिकारी और District Magistrate मौके पर पहुंच चुके हैं। फायर ब्रिगेड और सेना के दमकल वाहनों की मदद से आग बुझाने का कार्य जारी है। अब तक 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, लेकिन वार्ड में अभी भी 50 से ज्यादा बच्चों के फंसे होने की आशंका है।
आग लगने का कारण और प्रशासन की प्रतिक्रिया (Jhansi Medical College Fire)
हादसे का कारण सिलेंडर ब्लास्ट बताया जा रहा है। Chief Minister Yogi Adityanath ने घटना का संज्ञान लेते हुए तत्काल राहत और बचाव कार्यों के निर्देश दिए हैं। मौके पर DM समेत कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद हैं, जो राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि घटना रात लगभग साढ़े 10 बजे की है, जिसके बाद पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन महौर ने बताया, “एनआईसीयू वार्ड में 54 नवजात बच्चे भर्ती थे। अचानक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के अंदर आग लग गई। आग को बुझाने की कोशिश की गई, लेकिन कमरे में ऑक्सीजन की अधिकता होने के कारण आग तेजी से फैल गई। कई बच्चों को बचा लिया गया है, लेकिन दुर्भाग्य से 10 बच्चों की मौत हो गई है। घायल बच्चों का उपचार जारी है।”
#WATCH | Sachin Mahor, Chief Medical Superintendent says, ” There were 54 babies admitted in the NICU ward. Suddenly a fire broke out inside Oxygen concentrator, efforts to douse the fire were done but since the room was highly oxygenated, fire spread quickly…many babies were… https://t.co/Ki57EngJTf pic.twitter.com/HwqjpgbcGU
— ANI (@ANI) November 15, 2024
आग के बाद मची अफरा-तफरी
सिलेंडर ब्लास्ट के बाद स्थिति बिगड़ गई, और कुछ देर तक किसी को समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या है। जैसे ही कर्मचारियों ने SNCU Ward से धुंआ निकलते देखा, अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों के साथ रोते-बिलखते परिजन भी वार्ड की ओर भागे, लेकिन आग और धुंआ के कारण किसी को अंदर जाने का साहस नहीं हुआ। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड और पुलिस टीम ने खिड़कियों के शीशे तोड़कर Rescue Operation शुरू किया।
शुक्रवार रात लगभग 10:30 बजे झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लग गई, जिसके बाद दमकल की दो गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में ऐसा लग रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी है।
VIDEO | Jhansi Medical College Fire: “The fire broke out at 10.30 pm (on Friday) following which two fire tenders were rushed to the spot. It looks like the fire broke out due to a short circuit,” says a police official.#Fire #Jhansifire
(Source: Third Party)
(Full video… pic.twitter.com/Pwu4BN1CNH
— Press Trust of India (@PTI_News) November 15, 2024
Safety Alarm की विफलता
चौंकाने वाली बात यह है कि आग लगने के बावजूद अस्पताल में Safety Alarm नहीं बजा, जिससे हादसा और भीषण हो गया। अगर समय पर अलार्म बज जाता, तो इतनी बड़ी त्रासदी को रोका जा सकता था। दमकल कर्मियों ने मुंह पर रुमाल बांधकर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा, और अब तक कई बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है।
डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य विभाग की टीम झांसी रवाना
हादसे के बाद माहौल में भय और दुख का माहौल है। परिजन इस हादसे से टूट चुके हैं और लगातार अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए Deputy CM Brajesh Pathak और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को झांसी के लिए रवाना किया गया है। कानपुर से डॉक्टरों की एक बड़ी टीम को भी झांसी भेजा गया है, ताकि घायलों का बेहतर उपचार किया जा सके।
DSP का बयान
झांसी की DSP ने बताया कि फायर ब्रिगेड की एक छोटी और बड़ी गाड़ी ने मिलकर आग पर काबू पा लिया है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह हादसा Electrical Overload के कारण हुआ है। जब हम यहां पहुंचे, तब तक डॉक्टर और कर्मचारी बच्चों को बाहर निकालने में लगे थे। उन्होंने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस बल की भारी तैनाती की गई है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
बुंदेलखंड के लोगों के लिए मेडिकल कॉलेज का महत्व
झांसी के इस मेडिकल कॉलेज में न सिर्फ झांसी बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र से मरीज आते हैं। खासतौर पर प्रसूति और शिशु चिकित्सा के लिए यह अस्पताल महत्वपूर्ण माना जाता है। इस हादसे के बाद अस्पताल के बाहर परिजनों का रुदन और चीत्कार सुनाई दे रही है, जो इस हादसे की भयावहता को दर्शाता है।
आग लगने के बाद की स्थिति और प्रशासनिक व्यवस्था
इस भयंकर हादसे के बाद प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी है। झांसी के DM ने घटनास्थल का मुआयना करते हुए राहत कार्यों की स्थिति पर नजर रखी। स्थिति को नियंत्रित रखने के लिए अस्पताल के प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया है और किसी भी प्रकार की अफवाहों पर नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
VIDEO | Uttar Pradesh: Rescue operation continues at Jhansi Medical College where a fire broke out on Friday. #Fire #Jhansifire
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/TFras9L3jz
— Press Trust of India (@PTI_News) November 15, 2024
परिजन बोले – डॉक्टर की कमी से गई बच्चे की जान
गम और आंसुओं में डूबे एक परेशान दंपती ने कहा, “9 तारीख से हमारा बच्चा यहां भर्ती था। डॉक्टरों की कमी की वजह से हमारे बच्चे की मौत हो गई। हमारा बच्चा यहीं पैदा हुआ था और उसे ऑक्सीजन पर रखा गया था, लेकिन अब वो हमारे पास नहीं है। यहां करीब 50 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से आधे बच्चे बच पाए हैं और बाकी की जान चली गई है।”
संतरा नामक व्यक्ति ने बताया, “मेरे बेटे राज किशन सविता का बेटा वार्ड में भर्ती था। हम दवा लेने गए थे, तभी अचानक आग लग गई। हम उसे बचा नहीं पाए। सब लोग चिल्लाने लगे कि आग लग गई है, लेकिन हम अंदर नहीं जा सके। हमारा बच्चा अभी तक हमें नहीं मिला है और डॉक्टर अंदर जाने नहीं दे रहे हैं।”
आग लगने का संभावित कारण और पूर्व तैयारी का अभाव
प्रारंभिक जांच के अनुसार, आग लगने का कारण सिलेंडर ब्लास्ट या विद्युत ओवरलोड माना जा रहा है। यह घटना दर्शाती है कि अस्पताल में सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त नहीं थे। Fire Safety Measures में कमी और Safety Alarm की विफलता ने हादसे की गंभीरता को बढ़ा दिया। इस हादसे के बाद सरकार और प्रशासन पर अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा उपायों को कड़ा करने का दबाव बढ़ गया है।
CM योगी का बयान और संवेदना
CM Yogi Adityanath ने घटना को संज्ञान में लेते हुए संवेदना व्यक्त की और कहा कि सरकार इस दुखद घटना से प्रभावित सभी परिवारों के साथ है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत और बचाव कार्य में किसी भी प्रकार की कमी न रहे।
झांसी के मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू (नवजात गहन देखभाल इकाई) के अंदरूनी हिस्से में शुक्रवार रात लगभग 10:30 से 10:45 बजे के बीच शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हादसे में 10 नवजातों की मौत होने की आशंका है। फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। झांसी के डीएम अविनाश कुमार के अनुसार, इस घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है जो अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी।
VIDEO | Jhansi Medical College Fire: “The fire broke out between 10.30 pm and 10.45 pm (on Friday) in the inner unit of the NICU (neonatal intensive care unit) due to a short circuit. As per reports, 10 infants are feared dead in the incident. Rescue operation is underway. An… pic.twitter.com/r97HlejDRT
— Press Trust of India (@PTI_News) November 15, 2024
अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल
इस घटना के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के सभी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। सरकार पर अब दबाव है कि वह अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना से बचा जा सके।
झांसी हादसे की 3 बड़ी लापरवाहियां
1. एक ही एंट्री और एग्जिट का रास्ता, रेस्क्यू में हुई देरी
अस्पताल के NICU (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में बच्चों को रखा गया था, जिसका दो भागों में विभाजन था। इसमें सबसे अंदर की ओर क्रिटिकल केयर यूनिट थी, जहां सबसे अधिक गंभीर स्थिति में बच्चों को रखा गया था। यहीं पर सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई। हादसे का सबसे बड़ा कारण यह था कि इस वार्ड में एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही रास्ता था।
आग लगने के बाद इसी रास्ते में धुआं भर गया, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन बाधित हो गया। धुएं के कारण न तो अंदर कोई प्रवेश कर सका और न ही बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। इस एकल प्रवेश और निकास मार्ग ने स्थिति को और गंभीर बना दिया, जिससे कई मासूम बच्चों की जान चली गई।
2. फायर अलार्म सिस्टम की विफलता
अस्पताल में फायर अलार्म सिस्टम तो लगा हुआ था, लेकिन हादसे के समय यह काम ही नहीं किया। आग लगने के बावजूद फायर अलार्म ने चेतावनी नहीं दी, जिससे हादसे की जानकारी समय पर नहीं मिल सकी। सूत्रों के अनुसार, फायर अलार्म सिस्टम का उचित रखरखाव नहीं करवाया गया था, जिसके कारण यह आवश्यक समय पर काम नहीं कर सका।
अगर फायर अलार्म समय पर बज जाता, तो बचाव कार्य तुरंत शुरू हो सकता था और कई बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। यह गंभीर लापरवाही अस्पताल प्रबंधन की ओर से मानी जा रही है, जो इस हादसे का प्रमुख कारण बनी।
3. परिजनों का आरोप: मेडिकल स्टाफ ने छोड़ा साथ
इस भीषण हादसे के दौरान परिजनों का आरोप है कि पैरा मेडिकल स्टाफ और अस्पताल का अन्य स्टाफ बच्चों को बचाने की कोशिश करने के बजाय मौके से भाग खड़ा हुआ। परिजनों का कहना है कि जब आग लगी, तो पैरामेडिकल स्टाफ ने रेस्क्यू में मदद नहीं की, बल्कि वे खुद को बचाने के लिए भाग गए।
डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ में से कोई भी इस हादसे में घायल नहीं हुआ है, जबकि बच्चों के परिजन और मासूम बच्चे इस हादसे में बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। यह सवाल खड़ा करता है कि अस्पताल का स्टाफ इस तरह की आपात स्थिति में प्रशिक्षित क्यों नहीं था और क्यों उन्होंने बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी नहीं निभाई।
इस हादसे ने अस्पताल की लापरवाहियों को उजागर कर दिया है। एक तरफ NICU में एकल एंट्री और एग्जिट का इंतजाम, दूसरी ओर फायर अलार्म सिस्टम की विफलता और तीसरी बड़ी लापरवाही पैरामेडिकल स्टाफ का हादसे के वक्त अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लेना, इन सभी कारणों ने मिलकर झांसी के इस भीषण हादसे को जन्म दिया।
यह हादसा अस्पतालों में सुरक्षा के मानकों और स्टाफ की आपातकालीन जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है, जिनका जवाब प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन को देना चाहिए।
ये भी पढ़ें –
लॉरेंस बिश्नोई गैंग का विदेशी चेहरा: अनमोल बिश्नोई पर NIA का बड़ा एक्शन, रखा 10 लाख का इनाम
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin