नए आईटी नियमों को लेकर केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने शनिवार को फेसबुक की अर्जी पर कड़ी फटकार लगाई।
दरअसल, फेसबुक के अधिकारियों ने कंपनी की कोविड नीति का हवाला देते हुए अगली बैठक में शारीरिक रूप से शामिल होने के बजाय वर्चुअल आने का अनुरोध किया। इस पर पैनल ने कहा कि आप अपने अधिकारियों को भेजिए, हम वैक्सीनेशन करा देंगे।
फेसबुक ने क्या कहा अर्जी में ?
फेसबुक ने कहा कि कंपनी के नियमों के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर की अवधि के दौरान अधिकारियों को किसी भी बैठक में शारीरिक रूप से शामिल होने पर रोक है। इसलिए समिति से अनुरोध है कि हमें वर्चुअल मीटिंग में हाजिर होने की अनुमति दें।
कमेटी ने जवाब में लगाई फटकार
एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि, फेसबुक की दलील पर संसदीय समिति ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा, ‘कोई भी बैठक ऑनलाइन नहीं हो सकती है। इसलिए फेसबुक के अधिकारियों को शारीरिक रूप से उपस्थित रहना ही होगा। इसके साथ ही समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने फेसबुक के उन अधिकारियों की सूची मांगी, जिन्हें कंपनी समिति के समक्ष भेजना चाहती है।
थरूर ने कहा कि संसदीय समिति ऐसे अधिकारियों को वैक्सीन लगवाएगी और उनके हाजिर होनें के लिए पर्याप्त समय भी देगी। संसदीय पैनल के फैसले पर फेसबुक के रुख के बारे में पूछे जाने पर कंपनी अफसरों ने जवाब देने से इनकार कर दिया।
समिति ने यह भी कहा है कि Google, YouTube, Facebook और अन्य कंपनियों को भी पैनल के समक्ष उपस्थित होना होगा। हालांकि अभी तक इन कंपनियों को कॉल करने की कोई निर्धारित तारीख तय नहीं की गई है।
शुक्रवार को ट्विटर के अधिकारी सामने आए
शुक्रवार को ट्विटर के प्रतिनिधियों को आईटी मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए। ट्विटर को कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने अपने मंच के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे पर तलब किया था।
ट्विटर इंडिया की लीगल विंग की आयुषी कपूर और पॉलिसी विंग की शगुफ्ता कामरान ने अपना पक्ष रखा।
समिति ने कंपनी के अफसरों से पूछा कि क्या आप भारत देश के कानून का पालन कर रहे हैं? इस पर ट्विटर के प्रतिनिधियों ने कहा- हम अपनी नीति का पालन करते हैं, जो देश के कानून के मुताबिक है।
इस तर्क पर आपत्ति जताते हुए समिति ने कंपनी से कड़े लहजे में कहा कि यहां देश का कानून सबसे बड़ा है, आपकी नीति नहीं।
समिति ने दोनों अधिकारियों से महत्वपूर्ण नीतियों पर निर्णय लेने की शक्तियों और कंपनी में चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति के संबंध में भी पूछताछ की थी।
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