सिंधु जल संधि पर भारत की रोक से पाकिस्तान बौखलाया, भारत को क्‍या फायदा और पाक को क्‍या नुकसान, जानिए सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं Read it later

22 अप्रैल 2025 को कश्मीर की बैसारन घाटी में हुए Pahalgam Terror Attack के बाद भारत सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए India Pakistan Indus Water Treaty Suspension की घोषणा की है। अब तक तीन युद्धों के बावजूद यह संधि कायम रही, लेकिन इस बार भारत ने सीधे पाकिस्तान के वाटर डिपेंडेंसी सिस्टम पर असर डालने का संकेत दिया है।

Table of Contents

क्या है India Pakistan Indus Water Treaty Suspension?

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में बनी थी। इसमें भारत, सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों के कुछ जल प्रवाह का उपयोग नहीं करता था, ताकि पाकिस्तान की irrigation और drinking water needs पूरी हो सकें। लेकिन अब सरकार ने आतंक के खिलाफ water diplomacy का इस्तेमाल किया है।

पाकिस्तान की कृषि और जल सुरक्षा पर पड़ेगा सीधा असर

पाकिस्तान की लगभग 90% सिंचाई व्यवस्था इन्हीं नदियों के पानी पर आधारित है। अगर भारत ने इस पानी को रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी तो पाकिस्तान में crop failure, hydropower generation में गिरावट और water scarcity जैसी समस्याएं तेजी से उभर सकती हैं।

भारत ने लिए 5 निर्णायक फैसले: जानिए उनके इम्पैक्ट
1. सिंधु जल संधि पर रोक

भारत ने स्पष्ट किया कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता रहेगा, तब तक यह संधि स्थगित रहेगी। इससे पाकिस्तान को economical और ecological pressure दोनों का सामना करना होगा।

2. अटारी-वाघा बॉर्डर तुरंत बंद

भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा सड़क मार्ग Attari-Wagah Border पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। केवल 1 मई तक कानूनी रूप से पहुंचे लोगों को वापसी की अनुमति दी गई है।

3. SAARC वीजा स्कीम पर रोक

अब कोई भी पाकिस्तानी नागरिक SAARC Visa Exemption Scheme के तहत भारत नहीं आ सकेगा। पहले से जारी वीजा रद्द कर दिए गए हैं। भारत में रह रहे पाकिस्तानियों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।

4. पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकार निष्कासित

दिल्ली स्थित Pakistani High Commission में तैनात सभी रक्षा और सैन्य सलाहकारों को 7 दिनों के भीतर देश छोड़ने को कहा गया है।

5. उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 की गई

दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 किया जाएगा। यह कदम 1 मई 2025 से लागू होगा।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी दिया कड़ा संदेश

भारत ने इन फैसलों के जरिए यह साफ कर दिया है कि अब terror and talks can’t go together. पाकिस्तान को यह समझना होगा कि शांति की हर पहल आतंक की साज़िशों में दब नहीं सकती।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: घबराहट और चेतावनी

पाकिस्तान ने इन कदमों को “hostile diplomatic act” बताया है और कहा है कि सिंधु जल संधि पर रोक को वो “water war declaration” मानेगा। लेकिन भारत ने स्पष्ट किया है कि ये कदम आत्मरक्षा में लिए गए हैं।

भारत के फैसलों से पाकिस्तान पर क्या पड़ेगा असर? जानिए विशेषज्ञ की राय

BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय का कहना है कि भारत सरकार ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि terrorism tolerance का समय खत्म हो चुका है। पाकिस्तान की कमजोर और अस्थिर सरकार को यह सीधा संदेश है कि यदि आतंकवाद जारी रहा, तो strategic pressure और बढ़ेगा।

Indus Waters Treaty Impact on Pakistan
Indus Waters Treaty Suspension
1960 की ऐतिहासिक तस्वीर: जब भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए। सबसे दाईं ओर वर्ल्ड बैंक के वाइस प्रेसिडेंट विलियम इलिफ भी मौजूद थे, जिन्होंने इस समझौते में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच Indus Waters Treaty क्या है?

Indus Waters Treaty यानी सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच नदी जल के बंटवारे को लेकर किया गया एक ऐतिहासिक समझौता है, जो 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुआ था।

सिंधु नदी प्रणाली और उसका क्षेत्रफल

इस संधि के दायरे में कुल 6 नदियां आती हैं – सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज। इन नदियों का जलक्षेत्र लगभग 11.2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें से:

  • 47% क्षेत्र पाकिस्तान में,

  • 39% भारत में,

  • 8% चीन में,

  • और 6% अफगानिस्तान में स्थित है।

इस पूरे क्षेत्र में करीब 30 करोड़ लोग निवास करते हैं, जिनकी जल निर्भरता इन्हीं नदियों पर है।

बंटवारे के बाद पानी विवाद की शुरुआत

1947 में भारत-पाक विभाजन के साथ ही India Pakistan river water dispute की शुरुआत हो गई थी। प्रारंभ में दोनों देशों के इंजीनियरों के बीच ‘स्टैंडस्टिल समझौता’ हुआ, जिसके तहत पाकिस्तान को भारत की मुख्य नहरों से पानी मिलता रहा। यह व्यवस्था 31 मार्च 1948 तक लागू रही।

1948 में भारत ने पानी रोक दिया था

1 अप्रैल 1948 को जब स्टैंडस्टिल एग्रीमेंट समाप्त हुआ, तो भारत ने दोनों नहरों का पानी रोक दिया। इससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की 17 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई ठप हो गई, और फसलें बर्बाद हो गईं।

बाद में द्विपक्षीय बातचीत के जरिए भारत ने दोबारा पानी देने पर सहमति जताई, लेकिन इससे स्पष्ट हो गया कि water sharing एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है।

1960 में हुआ आधिकारिक समझौता

1951 से 1960 तक World Bank की मध्यस्थता में बातचीत चली और अंततः 19 सितंबर 1960 को कराची में भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।

इस संधि को ही आज हम Indus Waters Treaty के नाम से जानते हैं।

भारत द्वारा Indus Waters Treaty Suspension से पाकिस्तान को कृषि और ऊर्जा दोनों मोर्चों पर गहरा झटका लग सकता है। वहां की 90% खेती, यानी लगभग 4.7 करोड़ एकड़ जमीन, सिंधु नदी प्रणाली के जल पर निर्भर है।

पाकिस्तान की GDP में Agriculture Sector की हिस्सेदारी 23% है, और इससे लगभग 68% ग्रामीण आबादी की आजीविका जुड़ी है। ऐसे में जल आपूर्ति रुकने से फसलों की पैदावार, ग्रामीण रोजगार और आर्थिक स्थिरता पर सीधा असर पड़ेगा।

Hydropower Crisis in Pakistan

भारत के फैसले से पाकिस्तान के प्रमुख डैम्स जैसे Tarbela और Mangla को भी पर्याप्त जल आपूर्ति नहीं मिल पाएगी। इससे Electricity Generation में 30% से 50% तक की गिरावट आ सकती है, जिससे Power Crisis और Industrial Output दोनों प्रभावित होंगे।

अटारी-वाघा बॉर्डर बंद होने से ट्रेड और ट्रांजिट पर क्या होगा असर?

Attari-Wagah Border | Indus Waters Treaty Suspension

भारत सरकार द्वारा अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने का फैसला केवल diplomatic retaliation नहीं है, बल्कि इससे भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे land trade routes पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। अमृतसर से महज 28 किलोमीटर दूर स्थित Attari Border पाकिस्तान के साथ इकलौता मान्यता प्राप्त ज़मीनी व्यापार मार्ग है, जिससे भारत अफगानिस्तान से भी कारोबार करता है।

3,886 करोड़ का ट्रेड रुक सकता है

वर्ष 2023-24 में इसी बॉर्डर के ज़रिए लगभग ₹3,886 करोड़ का bilateral trade हुआ। भारत से soybean, chicken, meat, vegetables, red chili और plastic granules जैसी वस्तुएं पाकिस्तान जाती हैं, वहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान से dry fruits, gypsum, dates, rock salt, glass और medicinal herbs का आयात होता है। बॉर्डर बंद होने से यह पूरा व्यापार प्रभावित होगा।

मेडिकल टूरिज्म और मानव संपर्क पर भी असर

इस ज़रिए केवल माल ही नहीं, बल्कि हजारों लोग इलाज और रिश्तेदारों से मिलने के लिए आते-जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में 71,500 से अधिक यात्रियों ने इस चेकपोस्ट का इस्तेमाल किया। अब India-Pakistan Medical Travel भी प्रभावित होगा।

SAARC वीजा छूट योजना रद्द होने से होगा व्यापक असर

भारत द्वारा SAARC Visa Exemption Scheme cancellation का सीधा प्रभाव उन पाकिस्तानियों पर पड़ेगा जो बिना वीजा विभिन्न उद्देश्यों से भारत आते थे। यह सुविधा पत्रकारों, व्यापारियों, खिलाड़ियों और राजनेताओं समेत कुल 24 कैटेगरीज को दी गई थी। योजना के तहत वीजा के बिना सीमित अवधि तक यात्रा की छूट थी, लेकिन अब यह संपूर्ण रूप से समाप्त कर दी गई है।

इसके साथ ही भारत सरकार ने आदेश दिया है कि जितने भी पाकिस्तानी नागरिक वर्तमान में भारत में मौजूद हैं, उन्हें 48 घंटों के भीतर देश छोड़ना होगा। इससे उन लोगों को भी दिक्कत होगी जो इलाज या व्यापारिक काम से भारत में थे।

indian high commission islamabad
इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग और वहां कार्यरत भारतीय अधिकारी, जो भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संवाद और संपर्क की अहम कड़ी माने जाते हैं।
उच्चायोग से सैन्य सलाहकारों की वापसी से टूटेगा डिफेंस डिप्लोमेसी का पुल

भारत सरकार ने Pakistani military advisors in High Commission को persona non grata घोषित कर दिया है, जिससे अब defense attaché जैसे पद निरस्त माने जाएंगे। भारत ने इस्लामाबाद स्थित अपने रक्षा सलाहकारों को भी वापस बुलाने की तैयारी कर ली है।

इन सैन्य सलाहकारों की भूमिका मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच military communication और intelligence exchange को लेकर होती थी। अब जब ये चैनल बंद होंगे, तो border misunderstandings और military escalations की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी।

यह स्थिति खास तौर पर खतरनाक तब बन सकती है जब सीमावर्ती क्षेत्रों में छोटे टकराव गलत सूचना या संचार की कमी के कारण बड़े संघर्ष का रूप ले लें।

उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या घटाने से कूटनीतिक कार्य बाधित होंगे

भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 करने का जो फैसला लिया है, वह दोनों देशों के बीच रिश्तों के lowest diplomatic point पर पहुंचने का संकेत देता है। अब वीजा आवेदन, व्यापार, नागरिक सहायता, और राजनयिक संवाद जैसे कई जरूरी कामों में delay और बाधा आ सकती है।

खासतौर पर पाकिस्तानी नागरिकों के लिए Indian visa process अब अधिक कठिन हो जाएगा। इसका सीधा असर Education, Medical Tourism और Personal Travel जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा, जिससे मानवीय संपर्क सीमित हो सकता है।

सिंधु जल समझौते का आम पाकिस्तानियों पर गहरा प्रभाव: जेके त्रिपाठी

भारत के पूर्व राजनयिक और रिटायर्ड IFS अधिकारी जेके त्रिपाठी का मानना है कि भारत सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसलों में सबसे बड़ा और प्रभावशाली कदम है – Indus Waters Treaty suspension.

उनका कहना है कि, “इस समझौते के तहत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को भारत से पानी की आपूर्ति होती थी। अब यह जल प्रवाह रुक जाने से आम जनता पर सीधा असर होगा। पाकिस्तान के नागरिकों को जल संकट का सामना करना पड़ेगा, जिससे वहां विरोध और अस्थिरता की स्थिति बन सकती है।”

भारत ने शांति की खातिर पाकिस्तान को दिया सिंधु जल संधि में 80% पानी

सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 नदियां आती हैं — जिनमें लगभग 16.8 करोड़ एकड़ फीट पानी बहता है। इस जल वितरण को दो हिस्सों में बांटा गया है:

🔹 पूर्वी नदियां (20% पानी) – सतलुज, ब्यास और रावी
  • भारत को इन नदियों के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी पर पूर्ण अधिकार प्राप्त है।

  • यह पानी भारत पूरी तरह से इस्तेमाल कर सकता है।

🔹 पश्चिमी नदियां (80% पानी) – झेलम, चिनाब और सिंधु
  • इन नदियों में लगभग 13.5 करोड़ एकड़ फीट पानी बहता है।

  • यह सारा पानी पाकिस्तान के हिस्से में गया है। भारत केवल सीमित उपयोग कर सकता है।

संधि के प्रावधान और विवाद सुलझाने की प्रक्रिया:
  • एक स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) दोनों देशों में बना है, जिसके तहत भारत और पाकिस्तान के कमिश्नर आपसी सहमति से किसी भी जल विवाद पर चर्चा करते हैं।

  • अगर कोई देश नदी पर नया हाइड्रो प्रोजेक्ट शुरू करता है, तो वह दूसरे देश को इसकी पूर्व सूचना देगा। जवाब मिलने के बाद ही कार्य आगे बढ़ता है।

  • यदि दोनों पक्षों में विवाद बना रहता है, तो मामला न्यूट्रल एक्सपर्ट या अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायालय (International Arbitration) को सौंपा जा सकता है।

विशेषज्ञ की राय: पाकिस्तान को मिला अनुचित लाभ

विदेश नीति विशेषज्ञ ब्रह्मा चेल्लानी के अनुसार:

“संधि में पाकिस्तान को ज्यादा फायदा मिला। भारत ने 1960 में यह सोचकर संधि को स्वीकार किया कि इसके बदले शांति मिलेगी। लेकिन 5 साल के भीतर ही 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया।”

भारत सिंधु जल समझौते से बाहर निकलने की ओर बढ़ा: राजन कुमार

JNU में इंटरनेशनल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, भारत अब Indus Waters Treaty termination की ओर निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। विदेश सचिव के बयान ने साफ कर दिया है कि भारत अब इस संधि की शर्तें मानने को बाध्य नहीं है। हालांकि, इसके ग्राउंड इफेक्ट दिखने में समय लगेगा क्योंकि नदियों का पानी रोकने के लिए पहले hydro infrastructure को मजबूत करना होगा।

पाकिस्तान की सोच ही भारत विरोधी है

राजन कुमार यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान की व्यवस्था ही ऐसी है, जो आतंकवाद को रोकने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा:

“वहां की सोच पूरी तरह एंटी-इंडिया है। ऐसे माहौल में India Pakistan relations सुधरने की उम्मीद बहुत कम है, और सिंधु जल संधि पर भविष्य में कोई सकारात्मक चर्चा संभव नहीं लगती।”

क्या भारत सिंधु जल संधि के तहत पानी रोक सकता है?

कानूनी रूप से देखा जाए तो Indus Waters Treaty एक स्थायी संधि है जिसे कोई भी एक देश अकेले नहीं रद्द कर सकता। इसमें बदलाव केवल दोनों देशों की सहमति से ही संभव है।

लेकिन, Strategic Analyst ब्रह्मा चेल्लानी के अनुसार:

“वियना कन्वेंशन ऑन लॉ ऑफ ट्रीटीज की धारा 62 के तहत भारत यह कहकर संधि से बाहर आ सकता है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी संगठनों का उपयोग कर रहा है।”

यह अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा भी मान्यता प्राप्त प्रावधान है कि “substantial change of circumstances” के आधार पर कोई भी संधि समाप्त की जा सकती है।

ऊंचाई से बहने वाली नदियों पर भारत की स्ट्रैटेजिक एडवांटेज

भारत की भौगोलिक स्थिति इस मामले में बेहतर है क्योंकि पश्चिमी नदियां भारत के ऊंचे इलाकों से निकलकर पाकिस्तान की ओर बहती हैं। इसीलिए पानी को मोड़ने के लिए storage dams और diversion canals की आवश्यकता होगी, जिसका विकास अभी प्रगति पर है।

पूर्वी नदियों पर भारत के बड़े प्रोजेक्ट्स

भारत पूर्वी नदियों—सतलुज, ब्यास और रावी—पर पहले ही मजबूत पकड़ बनाए हुए है। इस जल प्रणाली के 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी में से भारत लगभग 94% पानी उपयोग करता है।

प्रमुख परियोजनाएं चालू हैं:

  • सतलुज: भाखड़ा नागल बांध

  • ब्यास: पोंग डैम

  • रावी: रंजीत सागर बांध

  • अतिरिक्त: हरिके बैराज और इंदिरा गांधी नहर

नए प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं: शाहपुर कांडी, सतलुज-ब्यास लिंक, उझ डैम।

पश्चिमी नदियों पर भारत के मौजूदा और भविष्य के डैम

पश्चिमी नदियों पर जिनका जल पाकिस्तान को जाता है, वहां भी भारत अब maximum water utilization की दिशा में बढ़ रहा है।

चालू प्रोजेक्ट्स:

  • चिनाब: बगलीहार डैम

  • झेलम की सहायक नीलम: किशनगंगा प्रोजेक्ट

निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स:

  • चिनाब की शाखा मारुसूदर: पाकल डुल

  • चिनाब: रतले प्रोजेक्ट

इन प्रोजेक्ट्स के ज़रिए भारत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी के स्टोरेज और डायवर्जन की दिशा में काम कर सकता है। हालांकि, 80% पानी वाली इन नदियों को तुरंत मोड़ना न केवल तकनीकी रूप से जटिल है, बल्कि इससे Punjab और Jammu-Kashmir में flood risk भी बढ़ सकता है।

भारत-पाकिस्तान के बीच तीन युद्धों के बाद भी क्यों नहीं टूटा सिंधु जल समझौता?

JNU के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय कहते हैं कि भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को रद्द करने का संकेत यह दर्शाता है कि अब “Enough is enough” की स्थिति आ चुकी है। पाकिस्तान को अगर रिश्ते बचाने हैं, तो आतंकवाद पर concrete actions लेने होंगे।

सिंधु जल समझौता कैसे बना अपवाद?

प्रो. राजन कुमार बताते हैं कि यह Indus Waters Treaty एक ऐसी bilateral treaty है जिसे दुनिया में most resilient water agreements के रूप में देखा जाता है। 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुए इस समझौते को न केवल भारत और पाकिस्तान ने स्वीकार किया, बल्कि वर्ल्ड बैंक ने इसकी guarantee भी ली।

इस संधि के अब तक न टूटने के पीछे कई कारण रहे:

  • World Bank mediation और गारंटी के चलते दोनों देश इसे एकतरफा नहीं तोड़ सकते।

  • पाकिस्तान की 90% agriculture इसी जल प्रणाली पर निर्भर है, जबकि भारत भी इसका आंशिक उपयोग करता है।

  • यह एक transboundary water treaty है, जिसे युद्धकाल में भी चालू रखा जाता है, ताकि पानी को हथियार न बनाया जाए।

  • दोनों देशों के बीच Permanent Indus Commission बना है, जो सालाना बैठक कर तकनीकी जानकारियां साझा करता है।

  • भारत ने अपनी international credibility बनाए रखने के लिए इस संधि को पहले कभी रद्द करने की पहल नहीं की।

अब पाकिस्तान के पास क्या विकल्प बचते हैं?

सिंधु जल संधि में मध्यस्थता का दायित्व वर्ल्ड बैंक के पास है, इसलिए Pakistan may approach World Bank। लेकिन प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि:

“भले ही पाकिस्तान इसे वर्ल्ड बैंक, यूनाइटेड नेशंस या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाए, लेकिन उन्हें समर्थन नहीं मिलेगा। पूरी दुनिया जानती है कि Pahalgam terror attack में पाकिस्तान की भूमिका संदिग्ध है।”

ये ग्लोबल मंच ज़्यादातर toothless यानी शक्तिहीन होते हैं। पाकिस्तान भले चीन का रुख करे, लेकिन खुला समर्थन मिलना मुश्किल है।

क्या चीन देगा पाकिस्तान का साथ?

डिप्लोमैटिक एक्सपर्ट जे.के. त्रिपाठी कहते हैं:

“चीन ने भी Pahalgam terrorist attack की निंदा की है। उसे भी अब समझ में आ गया है कि पाकिस्तान लगातार terrorist groups को संरक्षण दे रहा है। इसलिए चीन भी इस मुद्दे पर खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करने से बचेगा।”

हालांकि, covert support देने की संभावना बनी रह सकती है।

भारत की नीति स्पष्ट – आतंक नहीं सहा जाएगा

India Pakistan Indus Water Treaty Suspension भारत की नई कूटनीति का संकेत है जिसमें अब diplomatic tolerance की जगह strategic assertiveness ने ली है। यह भारत के लिए केवल एक जवाब नहीं बल्कि आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक संदेश है।

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