Tahawwur Rana extradition: भारत को 26/11 Mumbai Terror Attacks में न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। अमेरिका की Supreme Court ने तहव्वुर हुसैन राणा की Extradition Stay Petition को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही भारत के लिए उनके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। NIA (National Investigation Agency) और RAW (Research and Analysis Wing) की संयुक्त टीम अमेरिका में मौजूद है और प्रत्यर्पण की अंतिम प्रक्रिया को अंजाम दे रही है।
👉 कौन है Tahawwur Rana और क्यों है चर्चा में?
तहव्वुर राणा एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, जो पेशे से एक डॉक्टर और बिजनेसमैन रहे हैं। उन्हें FBI ने 2009 में अमेरिका में गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने David Coleman Headley के साथ मिलकर 26/11 के हमलों की योजना बनाने में सहयोग किया।
David Headley ने तहव्वुर राणा की Immigration Consultancy Firm का इस्तेमाल करते हुए भारत में ‘First World Immigration Services’ नाम से एक फर्जी ऑफिस खोला। इस ऑफिस का मकसद था भारतीय शहरों, खासकर मुंबई में, लक्ष्यों की रेकी करना।
📌 भारत में चार्जशीट में दर्ज गंभीर आरोप
NIA द्वारा दाखिल की गई 405 पन्नों की चार्जशीट में तहव्वुर राणा को ISI (Inter-Services Intelligence) और Lashkar-e-Taiba का सहयोगी बताया गया है। Headley ने अपनी गवाही में स्वीकार किया कि राणा ने उसे भारत में घुसपैठ के लिए हर संभव सुविधा मुहैया कराई थी।
🛑 कोर्ट में पेश की गई थी स्वास्थ्य और सुरक्षा की दलील
राणा ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए अमेरिका की अदालत में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने दावा किया कि उन्हें Parkinson’s Disease है और भारत में उन्हें Torture का डर है। हालांकि, कोर्ट ने इसे पर्याप्त नहीं माना और उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
🛬 प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अंतिम चरण में
राणा को अमेरिका के Metropolitan Detention Center, Los Angeles में रखा गया है। भारतीय एजेंसियों द्वारा की गई तैयारी अब अंतिम दौर में है, और वह जल्द ही भारत लाए जाएंगे। यहां उनसे पूछताछ की जाएगी और उन्हें कड़ी सुरक्षा में न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा।
🔐 जेलों में विशेष व्यवस्था
NIA और सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली और मुंबई की जेलों में राणा की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। चूंकि वह एक हाई-प्रोफाइल आरोपी हैं और ISI से संबंध रखते हैं, इसलिए उनकी कस्टडी और सुरक्षा में कोई ढील नहीं बरती जाएगी।
🧾 26/11 हमला: भारत की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी
2008 में हुए 26/11 के हमले India’s Deadliest Terror Attack में से एक थे। इस आतंकी हमले में Taj Hotel, Chhatrapati Shivaji Terminus, और Leopold Cafe जैसे प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया गया था। हमले में 175 से अधिक लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा घायल हुए थे।
अमेरिकी सरकार ने कहा है कि तहव्वुर राणा का 26/11 Mumbai Attacks की साजिश में सीधा रोल साबित हुआ है। डेविड हेडली की गवाही के मुताबिक, राणा ने एक व्यक्ति को निर्देश दिया था कि वो “First World” ऑफिस की फर्जी कहानी को असली दिखाने वाले दस्तावेज तैयार करे। यही नहीं, राणा ने हेडली को भारत का वीजा कैसे हासिल करना है, इस पर भी सलाह दी थी। ये सभी बातें ईमेल्स और अन्य डॉक्यूमेंट्स के जरिए पुष्ट हुई हैं।
Tahawwur Rana Extradition Case में इससे पहले अमेरिकी कोर्ट ने भी उनकी प्रत्यर्पण याचिकाएं खारिज की थीं। राणा ने 13 नवंबर 2024 को निचली अदालत के फैसले को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे 21 जनवरी को खारिज कर दिया गया। इससे पहले सैन फ्रांसिस्को की अदालत में भी उनकी याचिका खारिज हो चुकी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि US-India Extradition Treaty के तहत राणा को भारत भेजा जा सकता है।
राणा, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड David Headley का बचपन का दोस्त रहा है और उसे भारत में आतंकी साजिश के लिए सक्रिय रूप से सहयोग किया।
पिछले साल अमेरिकी अदालत में पेश सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने कहा कि Tahawwur Rana, 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड David Headley का बचपन का दोस्त है। राणा को पूरी जानकारी थी कि हेडली किसके साथ मिल रहा है, किससे क्या बात कर रहा है और वो Lashkar-e-Taiba के साथ मिलकर भारत में आतंकी हमले की योजना बना रहा है।
सरकारी वकीलों का यह भी कहना था कि तहव्वुर राणा ने न सिर्फ हेडली को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया, बल्कि उसे आर्थिक रूप से भी सपोर्ट किया। इससे वह सीधे तौर पर आतंकवादी संगठन और उसकी गतिविधियों का हिस्सा बन गया। अमेरिकी सरकार का यह भी दावा है कि राणा हमले की फंडिंग में शामिल था और उसे कई टारगेट्स की जानकारी पहले से थी।
64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा, मूल रूप से पाकिस्तान का नागरिक है और अब कनाडाई नागरिकता रखता है। वह एक समय पाकिस्तान की सेना में Army Doctor के तौर पर कार्यरत था। 1997 में वह कनाडा गया और वहां इमिग्रेशन सर्विसेस से जुड़ा बिजनेस शुरू किया। बाद में अमेरिका में उसने शिकागो समेत कई शहरों में First World Immigration Services नाम से कंसल्टेंसी फर्म शुरू की।
अमेरिकी कोर्ट दस्तावेजों के अनुसार, राणा ने Canada, Pakistan, Germany, और UK का कई बार सफर किया है और उसे लगभग 7 भाषाओं का ज्ञान है, जिससे उसका इंटरनेशनल नेटवर्क और भी मजबूत साबित होता है।
भारत की 6 साल की कानूनी जद्दोजहद: Tahawwur Rana को अमेरिका से लाने की पूरी टाइमलाइन
📅 28 अगस्त, 2018
NIA की स्पेशल कोर्ट ने तहव्वुर राणा के खिलाफ Arrest Warrant जारी किया।📅 4 दिसंबर, 2019
भारत ने पहली बार अमेरिका को राणा के Extradition के लिए Diplomatic Note भेजा।📅 10 जून, 2020
भारतीय सरकार ने राणा की जमानत पर आपत्ति जताई, अमेरिकी Biden Administration ने भारत प्रत्यर्पण का समर्थन किया।📅 2020
राणा के COVID-19 Positive होने पर उसे अमेरिका की जेल से अस्थायी रूप से रिहा किया गया।📅 16 मई, 2023
अमेरिका की जिला अदालत ने राणा के भारत प्रत्यर्पण का आदेश दिया। इसके खिलाफ राणा ने Appeal Court में याचिका दाखिल की।📅 9 अगस्त, 2023
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि राणा को जल्द ही भारतीय अदालतों का सामना करना होगा।📅 सितंबर, 2024
अमेरिका की अपील अदालत ने राणा की याचिका को खारिज कर दिया।📅 13 नवंबर, 2024
भारत के अनुरोध पर अमेरिका ने राणा को दोबारा गिरफ्तार किया। इसके बाद राणा ने US Supreme Court में Writ Petition दाखिल कर जमानत की मांग की।📅 21 जनवरी, 2025
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज की और 25 जनवरी तक भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।📅 13 फरवरी, 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा राणा को भारत भेजने की आधिकारिक घोषणा की गई।📅 6 फरवरी, 2025
US Supreme Court ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की राणा की याचिका दोबारा खारिज की।
26/11 Mumbai Attacks: जानिए क्या हुआ था उस काली रात
📌 हमले की तारीख और नाम का मतलब
26 नवंबर 2008 को Lashkar-e-Taiba के 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया। क्योंकि यह हमला 26 तारीख और 11वें महीने (नवंबर) को हुआ था, इसलिए इसे 26/11 Attacks कहा जाता है। यह आतंकी हमलों का प्रतीक बन गया है।
📌 आतंकियों का मुंबई पहुंचने का तरीका
आतंकी समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए और एक नाव ‘कुबेर’ का इस्तेमाल किया। नाव के मालिक की हत्या कर उन्होंने उस पर कब्जा कर लिया था।
📌 आतंकियों के पास क्या था?
हमलावरों के पास थे:
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10 AK-47 राइफलें
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10 पिस्टल
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80 ग्रेनेड
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2,000 से ज्यादा गोलियां
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24 मैगज़ीन
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10 मोबाइल फोन
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टाइमर डिवाइस और विस्फोटक
📌 हमले का खतरनाक प्लान
मुंबई में उतरने के बाद आतंकी जोड़ी बनाकर अलग-अलग लोकेशनों पर फैले। दो आतंकियों ने Chhatrapati Shivaji Terminus पर हमला किया, जहां 58 लोग मारे गए।
📌 होटल्स में हुई सबसे बड़ी तबाही
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दो आतंकी Oberoi Trident Hotel में घुसे
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चार आतंकी Taj Mahal Palace Hotel में
NSG Commandos ने जवाबी कार्रवाई में आतंकियों को मार गिराया, लेकिन तब तक ताज में 31 और ओबेरॉय में 32 जानें जा चुकी थीं।
📌 पुलिस की शहादत
Anti-Terrorist Squad के चीफ Hemant Karkare, ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की गोली लगने से शहीद हुए।
📌 हमला कब शुरू और खत्म हुआ?
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हमले की शुरुआत: 26 नवंबर की रात 9:43 बजे
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आतंक का अंत: 29 नवंबर की सुबह 7 बजे
(कुल 60 घंटे चला आतंक का कहर)
📌 कितने लोग मारे गए?
हमले में कुल 175 लोग मारे गए, जिनमें से 9 आतंकी भी शामिल थे।
📌 बचा एक आतंकी: अजमल कसाब
10 में से 9 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। जिंदा पकड़े गए Ajmal Kasab को 21 नवंबर 2012 को Yerwada Jail, पुणे में फांसी दी गई।
तहव्वुर राणा का आतंकी नेटवर्क में गहरा कनेक्शन साबित
पिछले साल अमेरिकी अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने बताया कि Tahawwur Rana, 26/11 Mumbai Attacks के मास्टरमाइंड David Headley का बचपन का दोस्त है। राणा को यह अच्छी तरह पता था कि हेडली किससे मिल रहा है और लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा है।
राणा ने हेडली को दिया लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल सपोर्ट
सरकारी पक्ष का कहना था कि राणा ने हेडली को भारत में घुसने, वहां वीज़ा लेने और लॉजिस्टिक व्यवस्थाएं करने में मदद की। वह इस आतंकी साजिश को जानता था और कई टारगेट्स की जानकारी भी रखता था। अमेरिकी सरकार ने यह भी कहा कि राणा ने आतंकवादियों को financial support भी दिया।
अमेरिकी अदालतों ने बार-बार खारिज की राणा की याचिकाएं
13 नवंबर 2024 को तहव्वुर राणा ने US Supreme Court में निचली अदालत के प्रत्यर्पण फैसले को चुनौती दी थी। लेकिन 21 जनवरी को कोर्ट ने अपील खारिज कर दी। इससे पहले San Francisco की एक अदालत भी राणा की याचिका खारिज कर चुकी थी। कोर्ट ने साफ किया था कि उसे Extradition Treaty के तहत भारत भेजा जा सकता है।
तहव्वुर राणा का प्रोफाइल: पाकिस्तानी आर्मी डॉक्टर से कनाडाई बिजनेसमैन तक
64 वर्षीय तहव्वुर राणा मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला है और कनाडाई नागरिकता रखता है। वह पाकिस्तानी सेना में Army Doctor के रूप में काम कर चुका है। 1997 में वह कनाडा गया और वहां इमिग्रेशन सर्विसेस बिजनेस शुरू किया। बाद में अमेरिका पहुंचकर शिकागो समेत कई शहरों में First World Immigration Services नाम से फर्म खोली।
इंटरनेशनल मूवमेंट और बहुभाषी स्किल्स ने मजबूत किया नेटवर्क
अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक राणा ने कई बार Canada, Pakistan, Germany, और UK की यात्रा की थी। उसे लगभग 7 भाषाओं का ज्ञान है, जिससे उसकी गतिविधियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हुई थीं।
2009 में गिरफ्तारी: Mumbai और Copenhagen आतंकी प्लॉट में शामिल
अक्टूबर 2009 में शिकागो के O’Hare Airport से FBI ने राणा को गिरफ्तार किया था। उस पर Mumbai Attacks और Copenhagen Terror Plot में मदद करने के आरोप थे। हेडली की गवाही के आधार पर उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी।
Jyllands-Posten हमले की साजिश में दोषी करार
2011 में अमेरिकी कोर्ट ने राणा को Danish newspaper Jyllands-Posten पर हमले की साजिश में दोषी पाया। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित कार्टून छापे थे, जिससे दुनिया भर में आक्रोश फैल गया था। इस साजिश में एक कार्टूनिस्ट की हत्या भी हुई।
Charlie Hebdo अटैक से जुड़ा अप्रत्यक्ष लिंक
2015 में इन्हीं कार्टूनों को फ्रांस की Charlie Hebdo मैगजीन ने दोबारा प्रकाशित किया, जिसके बाद हुए आतंकी हमले में 12 लोगों की जान गई। तहव्वुर राणा की भूमिका Jyllands-Posten हमले की साजिश में साबित होने के बाद, उसका लिंक वैश्विक आतंकी नेटवर्क से भी जुड़ गया।
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