छत्रसाल स्टेडियम में चार मई की रात हुई वारदात और युवा पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड के मुख्य आरोपी ओलंपियन सुशील पहलवान और अजय कुमार अब पुलिस हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक अब तक की जांच में मिले सबूत-गवाह भी दोषियों को सजा दिलाने के लिए काफी हैं। लेकिन अब दिल्ली पुलिस की असली परीक्षा कोर्ट के समक्ष होनी है। पुलिस की नजर में भले ही इस समय मौजूदा गवाह और सबूत आरोपी के खिलाफ पक्के और सही हों, लेकिन पुलिस के सामने इसे कानूनी रूप से साबित करना एक बड़ा चैलेंज होगा। यदि पुलिस कोर्ट में मजबूती से खड़ी नहीं हो पाती है तो आरोपी को उसका सीधा फायदा मिल सकता है।
ये सबूत सुशील पहलवान को दोषी साबित करने के लिए काफी
अब तक की जांच के अनुसार दिल्ली पुलिस के पास चश्मदीद गवाह हैं जो घटना की रात हुए हमले में घायल हुए थे। वहीं मारे गए युवा पहलवान सागर धनखड़ के परिजनों के लिखित बयान भी सबूत के तौर पर अदालत में पेश किए जाने हैं। सुशील पहलवान, जिसे कथित तौर पर फरार साथी अजय के साथ 23 मई 2021 को दिल्ली के मुंडका इलाके से गिरफ्तार किया था, इन दोनों को मुख्य आरोपी के तौर पर पुलिस की टीम अदालत में पेश करेगी। बता दें कि आरोपी के खिलाफ दिल्ली पुलिस की जांच कर रही टीम मामले में मुख्य आरोपी सुशील पहलवान द्वारा बनवाई गई घटना की मोबाइल वीडियो क्लिप पेश करेगी. मौकाए वारदात कार से बरामद सुशील पहलवान की लाइसेंसी पिस्टल, सीसीटीवी फुटेज भी जांच एजेंसी कड़े सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश करेगी।
बचाव पक्ष सबूतों को कमजोर साबित करने की करेगा कोशिश
लेकिन बचाव पक्ष यानि आरोपियों के वकील इन गवाहों पर जिरह कर और अदालत में सबूत पेश कर उन्हें कमजोर साबित करने की पूरी कोशिश करेंगे। फिलहाल बचाव पक्ष के वकील पुलिस के अगले एक्शन के इंतजार में हैं। आरोपियों (सुशील पहलवान और अजय कुमार) को पुलिस हिरासत की अवधि पूरी होने पर पुलिस कोर्ट में हाजिर करेगी। इसी समय आरोपी के वकील अपने क्लाइंट को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर जेल भिजवाने का प्रयास करेंगे। इस संबंध में कानूनी विशेषज्ञों की माने तो फिलहाल सबूतों व गवाहों में किसी तरह की कमी नहीं है, लेकिन यह विटनेस और एविडेंस कब तक अदालत में टिक पाएंगे यह अभी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इन्हीं सबूतों पर इस केस का भविष्य टिका है।
सबूतों से छेड़छाड़ न हो इसका रखना हाेगा ध्यान
कानूनी सलाहकारों का मानना है कि घटनास्थल से मिली कार से सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल क्लिप और सुशील कुमार की लाइसेंसी पिस्टल बरामद हुई जोकि पक्के एविडेंस हैं। कोर्ट इन सभी मामलों को भी देखेगा। जरूरी ये है कि इन सबूतों से छेड़छाड़ न हो इसका ध्यान रखा जाए। पुलिस को एफएसएल से सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल क्लिप की प्रामाणिकता रिपोर्ट अदालत में दाखिल करनी होगी। बता दें कि यह प्रमाण पत्र भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी के तहत न्यायालय में पेश करनी होती है। खासकर वीडियो क्लिप सरीखे साक्ष्य के मामले में तो न्यायालय में दृढ़ता से विचार किया जाता है।
सुशील पहलवान पर आरोप सिद्ध करने के लिए सबूत पर्याप्त
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं की माने तो छत्रसाल हत्याकांड में इस समय पुलिस आरोपियों से ज्यादा मजबूत दिख रही है। कारण यह कि घटना के समय मुख्य आरोपी सुशील पहलवान खुद मौके पर मौजूद थे। रिपोर्ट्स की माने तो वीडियो में वे खुद ही पीड़ितों को पीटते नजर आ रहे हैं, जिनमें से एक पीड़ित की बाद में मौत हो जाती है। ऐसे में मामला अपहरण और हत्या के प्रयास से हत्या में तब्दील हो गया है। पुलिस ने सुशील के साथी बदमाश के पास से जो मोबाइल क्लिप बरामद की है, उसे सुशील कुमार ने खुद ही बनवाया था। ये सभी सबूत न्यायालय में आरोपियों पर आरोप सिद्ध करने के लिए बहुत है। यह सब जांच टीम पर निर्भर करेगा कि वह अदालत में इन सबूतों को कितनी गंभीरता और मजबूती से प्रस्तुत करती है।
दलील कमजोर हुई तो सबूत भी हो जाएंगे हल्के
विशेषज्ञों के अनसुार अदालत न केवल सबूतों बल्कि जांच एजेंसी और बचाव पक्ष के वकीलों तर्कों को भी तरजीह देती है। हत्या जैसे गंभीर मामलों की सुनवाई के दौरान यदि जांच एजेंसी और वकील अपना पक्ष ठीक से आदलत में नहीं रख पाते हैं तो फिर सबूत और गवाह भी ज्यादा समय तक नहीं टिक पाते हैं। ऐसे में इसका परिणाम क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इस पूरे केस में एक बात तो तय है कि जिस तरह के एविडेंस हैं उससे आरोपी सुशील कुमार को जमानत मिलना आसान नहीं होगा।
आर्म लाइसेंस एक्ट को समझिए
कायदे से, जब भी कोई लाइसेंस धारक किसी गंभीर मामले में पकड़ा जाता है, तो जांच एजेंसी सबसे पहले उसके लाइसेंसी हथियारों और हथियारों के लाइसेंस को अपने कब्जे में लेती है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जांच कर रही टीम के पास सुशील पहलवान की लाइसेंसी पिस्टल है। अब पुलिस उसके शस्त्र लाइसेंस की तलाश कर रही है। चूंकि सुशील पहलवान अब खुद पुलिस रिमांड पर है, इसलिए पुलिस को उसके शस्त्र लाइसेंस के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। कानून और पुलिस विशेषज्ञों के मुताबिक, ”जहां तक सुशील पहलवान के मामले की बात है तो पुलिस हिरासत में उसके हथियार और लाइसेंस दोनों को तत्काल निलंबित (निलंबित) करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
लाइसेंस जब्त कर दुबारा इश्यू न करने की सिफारिश
इसके लिए जांच दल शस्त्र लाइसेंस जारी करने वाले कार्यालय को पूरे आपराधिक मामले का हवाला देते हुए लेटर लिखेगा। साथ ही दिल्ली पुलिस सिफारिश करेगी कि उपरोक्त धारक के लाइसेंस और हथियार जब्त कर लिए गए हैं और अदालती फैसला आने तक इन्हें निलंबित रखा जाए। शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ जब तक मामला अदालत में जाता है, लाइसेंस पुलिस/जिला मजिस्ट्रेट जिसने भी लाइसेंस जारी किया है उनके पास रहेगा। वहीं, यदि जांच दल हथियार जमा करना चाहे है तो उसे जहां मामला दर्ज किया गया है उस थाने परिसर में जमा करा देगा।
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