नौतपा में प्रचंड गर्मी बढ़ने का खगोलीय और ज्योतिषीय कारण जानिए, जातकों पर ये होगा असर? Read it later

Nautapa: रोहिणी नक्षत्र के सूर्य राशि से प्रवेश के साथ नौतपा शुरू हो चुका है. यानी अगले 9 दिन भीषण गर्मी पड़ेगी। इस समय में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। इस दौरान चार ग्रहों की वृष राशि में युति होने से गर्मी का प्रभाव अधिक रहेगा और तेज गर्म हवाएं चलेंगी। वहीं, मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी में यास चक्रवात के कारण आने वाले दिनों में कई राज्यों में बारिश हो सकती है।

 

नौतपा (Nautapa) के ज्योतिषीय कारण जानिए

नौतपा (Nautapa)  25 मई से 3 जून तक रहेगा। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्र हैं। सूर्य के इस नक्षत्र में आने के कारण इस दौरान गर्मी अपने प्रचंड रूप में रहेगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार इसका प्रभाव हर तरफ देखने को मिलेगा। खासकर जानवरों में इससे कई तरह की बीमारियां होने की आशंका बन सकती है।  नौतपा के प्रारंभ में चारों ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र और राहु वृष राशि में एक साथ रहेंगे। इससे सड़क दुर्घटनाओं बढ़ोतरी हो सकती है, जातकों को धन की हानि हो सकती है।

 

वहीं 30 मई को बुध नौतपा (Nautapa) वक्री रहेगा। दो दिन बाद शुक्र भी बुध को छोड़ देगा। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के आसार बन रहे हैं । उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात के कच्छ और ओडिशा में भी बारिश हो सकती है। साथ ही तिलहन, अरहर, मटर, कपास, काली मिर्च, चीनी, नमक के दामों में अचानक गिरावट देखने को मिलेगी। चांदी की कीमतों में भी गिरावट देखी जा सकती है। वहीं, अगले 4 महीनों की अवधि में कुल 44 योग बारिश के बन रहे है। आषाढ़ में 14 योग, श्रवण में 12, भाद्रपद में 14, अश्विन में 4 योग हैं।

 

रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य का ठहराव 5 दिन का

रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य का ठहराव 5 दिन का

 

रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का स्वामी कहा गया है। इसमें तारों की संख्या 5 होती है। रोहिणी नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आती है। रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन तक रहता है। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में वृष राशि में भ्रमण करता है तो गर्मी प्रबल होती है।

 

नौतपा के बारे में क्या मान्यता है?

नौतपा के बारे में क्या मान्यता है?

 

अगर इन नौ दिनों में बारिश नहीं होती है और ठंडी हवा भी नहीं चले तो मान्यता है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी। इस दौरान सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मानसून का यह गर्भकाल माना गया है। इस दौरान सूर्य 12 राशियों, 27 राशियों में भ्रमण करता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य जिस भी ग्रह के साथ कुंडली में बैठता है उसके प्रभाव को समाप्त करता है।

नौतपा में नदी नालों बेहतर बहाव वाली अच्छी बारिश हो तो उसे रोहिणी का पिघलना नहीं माना जाता

ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो मानसून के गर्भकाल में सूर्य की तपन बढ़ जाती है। यदि रोहिणी नौतपा  या रोहिणी नक्षत्र के कम से कम 9 दिनों के दौरान वर्षा नहीं होती है, तो उस वर्ष चौमास में अच्छी वर्षा होती है, ऐसी मान्यता है।  यदि रोहिणी के समय वर्षा होती है तो इसे रोहिणी का पिघलना कहा जाता हैं। जो चौमास में अपर्याप्त या कम वर्षा का सूचक है। वहीं ज्योतिष शास्त्र यह भी मानता है कि नौतपा में नदी  नालों बेहतर बहाव वाली अच्छी बारिश हो तो उसे रोहिणी का पिघलना नहीं माना जाता है। उस वर्ष भी चौमासे में अच्छी वर्षा के संकेत हैं।

 

नौतपा कब होता है?

ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब सूर्य वृष राशि के 10 से 20 अंश तक रोहिणी नक्षत्र में रहता है तो वह नौ गुना होता है। इन 9 दिनों में सूर्य पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है। इस नक्षत्र में सूर्य 15 दिनों तक रहता है, लेकिन शुरुआत के 9 दिनों में गर्मी बहुत अधिक होती है। सूर्य का तापमान 9 दिनों तक सबसे अधिक रहता है, इसलिए 9 दिनों के समय को नौतपा कहा जाता है।

 

अब जानिए नौतपा का खेगा​लीय आधार क्या है

अब जानिए नौतपा का खेगा​लीय आधार क्या है

 

हिंदू धर्म में सूर्य देव को विशेष स्थान दिया गया है। ऐसे में नौतपा के बारे में श्रीमदगवत गीता में भी किया गया है। ऐसा भी माना जाता है कि जब से ज्योतिष और सृष्टि की रचना हुई तभी से नौतपा अस्तित्व में है।  खगोल विज्ञान के अनुसार भी बताया गया है कि नौतपा में सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान में वृद्धि होती है और मैदानी इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बनता है। यह निम्न दबाव का क्षेत्र समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। जिससे सर्द हवाएं, तूफान और बारिश की संभावना बनती है। ऐसे में हवाएं भी चल सकती है, लेकिन कहा जाता है कि ऐसे समय बारिश नहीं होनी चाहिए। मान्यता है कि नौतपा के दौरान हुई  बारिश मानसून की संभावना को कम कर देती है। वहीं यदि नौतपा काल में बारिश नहीं होती है तो कहा जाता है कि उस साल मानसून बेहतर होगा।

 

 

नौतपा में क्या करने से बचें व क्या करें

नौतपा  के दौरान महिलाएं हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं। वजह ये कि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से गर्मी से ये राहत देती है। इन दिनों में पानी का खूब सेवन किया जाता है और असहायों को जल का दान किया जाता है ताकि मानव मात्र को पानी की की से नही जूझना पड़े। यही कारण है कि कई समाज सेवी और सामाजिक संगठन प्याउ लगवाते हैं या ठंडे पानी की मटकी आदी का दान करते हैं। कहते है इन दिनों जल या मटकी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं इस नौतपा में जातकों को किसी गरीब पर क्रोध करने से बचना चाहिए। वहीं कोई यदि आपके घर के द्वार पानी के लिए  आए तो उसे ना नहीं कहें। इसी दौरान कहा जाता है जल सेवा सबसे बड़ी सेवा होती है ऐसे में मानव के साथ सार्वजनिक स्थलों पर पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए परिंडे लगाए और उनमें पानी भर कर रखें।

 

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