लंबे समय तक काम करने से कई बीमारियां भी होती हैं और मौत का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी जारी की है कि अगर आप एक हफ्ते में 55 घंटे या इससे ज्यादा काम करते हैं तो सेहत खराब होने का खतरा रहता है।
डब्ल्यूएचओ और श्रम संगठन के संयुक्त शोध के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 में स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग से 745 और 45,000 मौतें लंबे समय तक काम करने के कारण हुईं। यह आंकड़ा 2000 में हुई मौतों की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक था। यह पहली बार है जब काम के अधिक घंटों के कारण होने वाली मौतों पर ये शाेध किया गया है।
72 प्रतिशत मेल वर्कस इसमेंं शामिल
डब्ल्यूएचओ के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक मारिया नीरा का कहना है कि हम चाहते हैं कि शोध में सामने आई जानकारी से कर्मचारियों को बचाने के लिए कार्रवाई की जाए. रिसर्च के अनुसार, ज्यादा लंबे समय तक वर्किंग में 72 प्रतिशत पुरुष थे।
194 देशों के लोगों पर किया गया अध्ययन
194 देशों में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, 55 घंटे से ज्यादा काम करने वालों में स्ट्रोक का खतरा 35 फीसदी और इस्केमिक हृदय रोग का खतरा 17 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक, शोध 2000 से 2016 के बीच हुआ था, इसलिए इसमें कोरोना महामारी के आंकड़े शामिल नहीं हैं, लेकिन गृहकार्य संस्कृति और कोरोनाकाल में आर्थिक स्थिति गिरने से स्थिति और खराब हो गई है। नतीजतन, ऐसे काम करने वाले 9 प्रतिशत लोगों को लंबे समय तक काम करना पड़ता है।
दुनिया के इन हिस्सों में कर्मचारी अधिक प्रभावित
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार इनमें सबसे अधिक काम करने वाले कर्म चारी साउथ ईस्ट एशिया और वेस्टर्न पेसिफिक रीजन के थे। इनमें देशों की बात करें तो चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
WHO का स्टाफ भी लंबे समय से काम कर रहा है
मारिया नीरा ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के स्टाफ और महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गैब्रिएसिस को महामारी के कारण लंबे समय तक काम करना पड़ा है, ऐसे में उनके स्वयं के काम के घंटे ज्यादा ही है। डब्ल्यूएचओ के तकनीकी अधिकारी फ्रैंक पेगा कहती हैं, जब कर्मचारी अच्छी परिस्थितियों में काम करता है तो यह कंपनी के लिए फायदेमंद साबित होता है। ऐसे में कर्मचारियों की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है ि की कर्मचारी क्षमता से ज्यादा काम करें। इस महामारी ने भी हमें ये सिखाया है कि जान है तो जहांन है। यदि स्वस्थ रहेंगे तो बेहतर काम करेंगे। ऐसे में सभी संस्थानों को अपने कर्मचारियों की सेहत की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है।
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