Top 7 Adult Vaccine: टीके, जिन्‍हें वयस्‍कों को जरूर लगवाना चाहिए Read it later

Top 7 Adult Vaccine: सामान्यतया टीकाकरण की बात आते ही सबके दिमाग में बच्चों का टीकाकरण ही सामने आता है किन्तु वर्तमान परिपेक्ष्य में वयस्क टीकाकरण भी जरूरी है, जो हमें कई जानलेवा बीमारियों से बचा सकता है। वैक्सीन ही जानलेवा बीमारियों से बचाव का अधिकतर मामलों में विकल्प रहा है।

क्या है वयस्क टीकाकरण

वयस्क टीकाकरण रोगों से बचाव की वह चिकित्सकीय प्रणाली है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में किसी रोग कारक कीटाणु या जीवाणु का उपांतरित जीवित, निष्क्रिय या मृत अंश प्रविष्ट कराया जाता है, जो शरीर में उस रोग विशेष के लिए रक्षात्मक एंटीबॉडी बनाता है। यही एंटीबॉडी भविष्य में इंसान की उस रोग विशेष से सुरक्षा प्रदान करता है।

रोगों का आर्थिक बोझ

वैक्सीन के प्रति वयस्क आबादी की उदासीनता के चलते वैक्सीन रोकथाम योग्य संक्रामक रोगों की संख्या बढ़ रही है। उसी अनुपात में इनके उपचार के लिए आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। एक अध्ययन के अनुसार अमरीका में वैक्सीन रोकथाम योग्य रोगों के उपचार में हर साल 27 बिलियन डॉलर खर्च होते हैं।

वैक्सीनेशन इसलिए है आवश्यक

उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधकता क्षमता कमजोर होने लगती है, जिसके कारण शरीर संक्रामक रोगों के प्रति अति संवेदनशील हो जाता है एवं तुरंत ही इनकी गिरफ्त में आ जाता है। डायबिटीज, हृदय रोग, फेफड़े संबधी रोग, किडनी, लिवर की बीमारियां भी शरीर को वैक्सीन रोकथाम योग्य संक्रमण के लिए संवेदनशील बना देती हैं।

विदेश यात्रा से संबंधी कुछ संक्रमणों में भी वयस्क टीकाकरण रक्षात्मक साबित होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान वयस्क टीकाकरण गर्भवती महिला के साथ गर्भस्थ शिशु को भी संक्रामक रोगों से बचाते हैं।

बचपन में लगाए टीकों के कम होते प्रभावों को बूस्ट करते हैं।

अगर शिशु अवस्था में कोई टीका लगने से रह गया तो वयस्क टीकाकरण इसे लगाने का एक मौका मिलता है।

एंटीबायोटिक दवा प्रतिरोधकता के बीच टीकाकरण संक्रामक रोगों से बचने का एक प्रभावी तरीका है।

जागरूकता की कमी

जागरूकता की कमी, निरक्षरता, ग़रीबी, हिचकिचाहट, टीकों के प्रति आमजन में व्याप्त भ्रांतियां एवं चिकित्सकों द्वारा वयस्क टीकाकरण के अनुशंसा की कमी प्रमुख कारणों में शामिल है।

वयस्कों के लिए आवश्यक वैक्सीन
  • न्यूमोकोकल वैक्सीन- फेफड़ों के संक्रमण निमोनिया से बचाव। 65 या इससे अधिक उम्र पर एक डोज दी जाती है। इम्युनिटी की कमी होने पर पांच वर्ष बाद बूस्टर डोज।
  • इन्फ्लुएंजा वैक्सीन – खांसी, जुकाम, बुखार एवं निमोनिया से बचाव। गर्भवती महिलाओं एवं 65 वर्ष से अधिक उम्र में प्रतिवर्ष एक डोज।
  • एचपीवी वैक्सीन – महिलाओं में सरवाइकल कैंसर से बचाव। 9 से 14 वर्ष की आयु में 6 माह के अन्तर पर दो डोज। 15 से 45 आयु वर्ग में 1 एवं 6 माह पर 3 डोज।
  • हरपीज जोस्टर वैक्सीन – हरपीज जोस्टर एवं हिपेटिक न्यूरेलजिया नामक बीमारी से बचाव। 50 या उससे अधिक उम्र के वयस्कों में 2 से 6 माह के अंतराल पर दो डोज।
  • हिपेटाइटिस ‘ए’ – लिवर संक्रमण एवं पीलिया से बचाव। 6 माह पर 2 डोज।
  • हिपेटाइटिस ‘बी’ – लिवर सिरोसिस व लिवर कैंसर से बचाव। तीन डोज 0, 1 एवं 6 माह के अंतराल पर।
  • टाइफाइड वैक्सीन – टाइफाइड से बचाव। सिर्फ एक डोज। कुछ जोखिम वर्ग में 3 वर्ष बाद रिपीट डोज।

– डॉ. विश्‍वास जैन, फिजिशियन

 

ये भी पढ़ें –

भूल जाइए कोल्ड ड्रिंक, गर्म मौसम में आपको ‘कूल’ रखेंगे ये 7 फलों के रस

 

Like and Follow us on :

Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin

Was This Article Helpful?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *