मेवाड़ के इतिहास में होगा सुधार: महाराणा प्रताप नहीं बल्कि अकबर की सेना को पीछे हटना पड़ा, अब ये होने जा रहा बदलाव Read it later

 

महाराणा प्रताप नहीं बल्कि अकबर की सेना को पीछे हटना पड़ा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया (एएसआई) ने राजस्थान के राजसमंद जिले के रक्ततलाई से उस विवादास्पद पट्टी को हटा दिया है, जिस पर लिखा था कि 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा था। वहीं हल्दीघाटी-खामनेर मार्ग पर स्थित बादशाह बाग को मुगल शासक अकबर से जोड़ने पर भी आपत्ति जताई गई है।

महाराणा प्रताप नहीं बल्कि अकबर की सेना को पीछे हटना पड़ा

दो दिन पहले केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विवादित शिलालेख को हटाने का आदेश दिया था। जिसके बाद देश के प्रमुख मीडिया हाउस ने इस खबर को प्रमुखता दी और ये राष्ट्रीय खबर बन गई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी खबर में लिखा  कि इस शिलालेख को गुरुवार 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे हटा दिया गया। अखबार की माने तो, बाद में महाराण प्रताप के घोड़े चेतक समाधि और हल्दीघाटी स्थल से दो और पत्थर की प​ट्टिका हटाई गई। 

इन्हें हटाने पर तर्क दिया गया कि फॉन्ट का साइज और उन पर लिखा फॉर्मेट एएसआई के मुताबिक नहीं था। इंडियन एक्सप्रेस के के अुनसार राजसमंद से बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने भी इन प​ट्टियों​ के निर्माण को लेकर आपत्ति जताई थी।

इंदिरा गांधी के दौर के समय  शीला पट्टियों को स्थापित कराया गया था

जोधपुर जोन के एएसआई अधिकारी बिपिन चंद्र नेगी ने बताया है कि गुरुवार 15 जुलाई को इन शिलालेखों को हटा दिया गया। उन्होंने कहा, “1975 में जब इंदिरा गांधी ने इन क्षेत्रों का दौरा किया था तो चेतक समाधि, बादशाह बाग, रक्ततलाई और हल्दीघाटी में इन पट्टियों को स्थापित कराया गया था। 

उस समय ये स्मारक केंद्र की देखरेख में नहीं आते थे। बाद में इन ठिकानों को 2003 में स्मारक के तौर पर घोषित किया गया था। लेकिन इन शिलापटों पर इस तरह की गलत सूचनाएँ पहले नहीं थीं। इन पर तारीख और तथ्य के को लेकर विवाद था। लंबे समय के कारण ये पुराने हो गए थे। 

रक्ततलाई

नेगी कहते हैं, इतिहासकारों और जनप्रतिनिधियों से इन शिलालेखों को हटाने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए थे, ऐसे में इन्हें देखकर मैंने खुद संज्ञान लिया। पुराने शिलालेखों पर एएसआई का नाम तक नहीं था। संस्कृति मंत्रालय ने भी हमारे मुख्यालय से इस मुद्दे को उठाया था। अब नए शीलापट सही ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित होंगे।

वो जगह जहां महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच घमासान युद्ध हुआ

रक्ततलाई की जो पट्टिका हटाई गई है, उस पर लिखा था, “रक्त तलाई जिसे बोलचाल की भाषा में खून की तलाई भी कहा जाता है, बनास के दूसरे किनारे की ओर एक चौड़ा मैदान है। यहां शाही और प्रताप की सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ। 

यह युद्ध का नेतृत्व क्रमशः घोड़े और हाथी पर सवार महाराणा प्रताप और मान सिंह ने किया था। लड़ाई इतनी भयंकर थी कि पूरा मैदान लाशों से भर गया था। ऐसे में प्रताप की सेना को पीछे हटना पड़ा और युद्ध 21 जून, 1576 को समाप्त हो गया।

रक्ततलाई

उदयपुर के मीरा गर्ल्स कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर चंद्रशेखर शर्मा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने पुराने शिलालेखों के बारे में एएसआई से शिकायत की थी. आपको बता दें कि प्रो. शर्मा महारणा प्रताप पर गहन शोध कर कर शोध पत्र जारी कर चुके हैं। 

महाराणा की सेना नहीं पहाड़ी से नीचे होने के कारण मुगलों की सेना पीछे हटी थी

शर्मा ने कहा, “मैंने इस मुद्दे को महारणा प्रताप जयंती पर उठाया था। उन्होंने बताया कि शीलापट पर लिखा है कि राजपूत युद्ध के दौरान पीछे हट गए जोकि तथ्यत्मक रूप से पूरी तरह गलत है।  वहीं इस पर तारीख भी गलत लिखी गई।  

जबकि सही इतिहास ये है कि मुगल सेना पहाड़ी से नीचे होने के कारण पीछे हटी थी।  शर्मा ने कहा कि वे हल्दीघाटी गए और युवाओं के साथ सेमीनार किया । जिसके बाद एएसआई की ओर से प्रतिनिधि मंडल भेजा गया था और गलत लिखे गए शीला पट्टी को हटाने की मांग की गई।  

Rana Pratap | Maharana Pratap | Haldighati | Rakta Talai | The battle was fought between Pratap and Akbar in 1576 | 

Like and Follow us on :

Telegram  Facebook  Instagram  Twitter  Pinterest  Linkedin

Was This Article Helpful?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *