Importance of Bhumi Namaskar: दिन की शुरुआत अगर शुभ हो, तो पूरा दिन बेहतर बीतता है। यही कारण है कि प्राचीन भारतीय परंपराओं में सुबह की शुरुआत को खास बनाने के लिए कई परंपराएं विकसित हुई हैं। इनमें से एक है भूमि नमन, जो न केवल संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का भी माध्यम है।
सुबह की शुरुआत: सबसे पहले हथेलियों और फिर भूमि को प्रणाम
सुबह जागने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियों का दर्शन किया जाता है। इसके बाद, जब पैर जमीन पर रखते हैं, तो भूमि देवी को प्रणाम किया जाता है। यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमारे मन और विचारों को सकारात्मक दिशा देने का कार्य भी करती है।
भूमि नमन क्यों जरूरी है? (Importance of Bhumi Namaskar)
1. दोष मुक्त होने का माध्यम
भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि अगर गलती से पैर किसी व्यक्ति या वस्तु को छू जाए, तो यह दोष उत्पन्न करता है। यही कारण है कि क्षमा मांगने की परंपरा विकसित हुई। भूमि को देवी का रूप माना गया है और सुबह-सुबह जब हम जमीन पर पैर रखते हैं, तो यह भूमि देवी से क्षमा मांगने का समय होता है।
2. प्रकृति का आभार प्रकट करना
भूमि हमारे जीवन का आधार है। यही हमें जल, अन्न, घर और जीवन के लिए जरूरी अन्य तत्व प्रदान करती है। भूमि नमन के जरिए हम अपने मन में यह संकल्प लेते हैं कि जल, वायु, पेड़-पौधे और अन्न का सम्मान करेंगे और उनका दुरुपयोग नहीं करेंगे।
3. सकारात्मकता का संचार
जब हम भूमि को प्रणाम करते हैं, तो यह देवी लक्ष्मी का भी सम्मान है। शास्त्रों के अनुसार, धरती माता भगवान विष्णु की पत्नी हैं और देवी लक्ष्मी का स्वरूप हैं। देवी का आशीर्वाद हमें शांति, पवित्रता और साहस प्रदान करता है।
अन्य क्षेत्रों में भूमि नमन का महत्व
खिलाड़ी मैदान में प्रवेश से पहले भूमि को प्रणाम करते हैं।
कलाकार मंच को प्रणाम करते हैं।
दुकानदार अपनी दुकान को और भक्त मंदिर में प्रवेश से पहले धरती को प्रणाम करते हैं।
यह सभी परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि भूमि और उसके तत्वों का सम्मान करना कितना जरूरी है।
भूमि नमन से अहंकार होता है दूर
झुककर प्रणाम करना विनम्रता का प्रतीक है। जब हम भूमि को प्रणाम करते हैं, तो यह हमारे भीतर से अहंकार को दूर करता है और विनम्रता के गुण को बढ़ावा देता है। यह भाव दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार को भी प्रभावित करता है और हमें अधिक सहिष्णु और दयालु बनाता है।
सुबह की शुरुआत में धरती मां को प्रणाम करने का महत्व
सुबह उठते ही अपनी हथेलियों के दर्शन करना और फिर भूमि देवी का ध्यान करना भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण माना गया है। इसे धरती मां को प्रणाम करने की परंपरा कहा जाता है। इसे करते समय इस विशेष मंत्र का जाप करें:
भूमि नमन मंत्र
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले।
विष्णुपत्नी नमस्तुभ्यं पादस्पर्श क्षमस्व मे॥मंत्र जाप के बाद
मंत्र का उच्चारण करने के बाद अपने पैर को पलंग या बिस्तर से जमीन पर रखें।
मंत्र का अर्थ
इस मंत्र का गहरा अर्थ है। इसमें देवी को समुद्र की वसन धारण करने वाली, पर्वतों को अपने स्तन स्वरूप में धारण करने वाली, और भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में संबोधित किया गया है। इस मंत्र के माध्यम से देवी को प्रणाम किया जाता है और उनसे क्षमा याचना की जाती है क्योंकि हमारे पैर जमीन और भूमि देवी के संपर्क में आते हैं। यह हमारे भीतर कृतज्ञता और विनम्रता की भावना जगाता है।
सुबह के इस अनुष्ठान से न केवल हमारा दिन शुभ होता है बल्कि यह प्रकृति और ईश्वर के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक सुंदर तरीका है।
भूमि नमन की आदत कैसे डालें?
सुबह उठते ही हथेलियों का दर्शन करें।
धरती पर पैर रखने से पहले भूमि नमन मंत्र का उच्चारण करें।
प्रणाम करते समय अपने मन में प्रकृति और भूमि के प्रति आभार व्यक्त करें।
भूमि नमन सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह हमारे मन और शरीर को दिनभर के लिए सकारात्मक ऊर्जा से भरने का एक तरीका है। यह प्रकृति और उसके तत्वों के प्रति हमारे आभार को प्रकट करने का माध्यम है।
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