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कर्नाटक ( karnataka) में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब की अनुमति नहीं होगी। कर्नाटक हाई कोर्ट (High Court Verdict On Hijab) ने मंगलवार को यह फैसला दिया। पिछले 74 दिनों से इस मामले में चल रही खींचतान को लेकर हाईकोर्ट ने दो अहम बातें कहीं। पहला ये कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। दूसरा ये कि छात्र स्कूल या कॉलेज की निर्धारित यूनिफॉर्म पहनने से मना नहीं कर सकते।
हाई कोर्ट (High Court Verdict On Hijab) ने हिजाब के समर्थन में मुस्लिम लड़कियों समेत अन्य लोगों की ओर से की गई सभी 8 याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहिउद्दीन ने भी राज्य सरकार के 5 फरवरी के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया, जिसमें स्कूल की वर्दी अनिवार्य कर दी गई थी।
कोर्ट के फैसले के बाद इसका विरोध भी शुरू हो गया है। कर्नाटक के यादगिर के एक सरकारी कॉलेज में 35 छात्राओं ने परीक्षा का बहिष्कार किया। स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें समझाया और हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा, लेकिन छात्राएं नहीं मानी और परीक्षा हॉल से निकल गईं।
कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय के बाद बेंगलुरु में प्रेस कॉन्फ्रेंस करतीं छात्राएं, छात्राओं ने फैसले से पर असहमति जाताई। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसला न्यायसंगत नहीं है, हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। |
इधर, कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली छात्राओं ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। अदालत में अपील करने वाली लड़कियों ने फैसले पर निराशा व्यक्त करने के लिए बेंगलुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसे उनके साथ अन्याय करार दिया। लड़कियों के वकील एम धर ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट से हमें निराशा मिली है, उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में हमें न्याय देगा।
क्या हिजाब पहनना अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक आजादी के अधिकार में आता है? क्या स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को कहना इस स्वतंत्रता का उल्लंघन है? यही दो बातें बनीं फैसले का आधार
(court judgement on hijab) मंगलवार को फैसला सुनाने से पहले हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि इस मामले में दो सवालों पर विचार करना जरूरी है। पहला- क्या हिजाब पहनना अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक आजादी के अधिकार में आता है? दूसरा- क्या स्कूल यूनिफॉर्म पहनने को कहना इस स्वतंत्रता का उल्ल्ंघन है? इसके बाद, उच्च न्यायालय ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने का निर्णय लिया।
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हिजाब विवाद में हाईकोर्ट में 8 याचिकाएं दाखिल की गईं थी (High Court Verdict On Hijab)
कर्नाटक में हिजाब को लेकर शुरू हुए हंगामे के बाद मामला सत्र न्यायालय तक पहुंच गया। सत्र न्यायालय के बाद मामला उच्च न्यायालय में गया, जहां इसे एक बड़ी पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस पर सुनवाई शुरू की। आखिरकार 15 मार्च को इस मामले में फैसला सुनाया गया। फैसले के साथ ही हाईकोर्ट ने इससे जुड़ी 8 याचिकाओं का भी निस्तारण कर दिया।
हाईकोर्ट के फैसले से पहले चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी के घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। |
चीफ जस्टिस के घर की सुरक्षा बढ़ाई गई
हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से पहले चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी के आवास के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। राजधानी बेंगलुरु समेत कर्नाटक के पांच जिलों में धारा 144 लगाकर सभी तरह के जुलूस और सभाओं पर रोक लगा दी गई। इधर, पूरे दक्षिण कर्नाटक में धारा 144 लगाकर स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए।
इस्लाम स्वयं परिभाषित करता है कि विश्वास के अभ्यास के लिए क्या आवश्यक है, इसलिए न्यायपालिका का काम आसान हो गया है। कुरान में 7 बार हिजाब का जिक्र किया गया है, लेकिन ड्रेस कोड के संदर्भ में नहीं: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान pic.twitter.com/oTizXp6RWR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 15, 2022
पिछली सुनवाई के दौरान क्या क्या हुआ?
कर्नाटक हाईकोर्ट (High Court Verdict On Hijab) ने 11 दिनों तक लगातार मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि इस्लाम में लड़कियों को सिर ढक कर रखने को कहा जाता है। ऐसे में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाला ड्रेस कोड पूरी तरह गलत है।
इसके खिलाफ कर्नाटक सरकार की ओर से राज्य के महाधिवक्ता (एजी) प्रभुलिंग नवदगी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। इसलिए, यूनिफॉर्म के विपरीत, स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कुरान की कॉपी मांगी थी
कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से अपने तर्क की पुष्टि करने के लिए पवित्र कुरान की एक प्रति मांगी थी। इस दौरान जस्टिस दीक्षित ने पूछा था- क्या यह कुरान की पुख्ता कॉपी है, इसके पुख्ता होने पर तो कोई विवाद नहीं है? इस पर एडवोकेट जनरल ने कहा था कि कुरान के कई अनुवाद हैं।
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इस साल 1 जनवरी से ही शुरू हुआ था हिजाब विवाद
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद 1 जनवरी से शुरू हुआ था। (Karnataka high court on Hijab case) यहां उडुपी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने पर कॉलेज के एक क्लास रूम में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज प्रबंधन ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को कारण बताया था।
इसके बाद इन लड़कियों ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की। लड़कियों का तर्क था कि उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
हिजाब बनाम भगवा मामला कैसे बना?
कर्नाटक के कुंडापुरा कॉलेज की 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब (Hijab) पहनकर क्लास में जाने से रोक दिया गया था। इस मामले को लेकर लड़कियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि इस्लाम में हिजाब अनिवार्य है, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। इन लड़कियों ने कॉलेज के गेट के सामने बैठ कर धरना भी शुरू कर दिया था। हिजाब पहनने वाली लड़कियों के जवाब में, कुछ हिंदू संगठनों ने कॉलेज परिसर में लड़कों को भगवा गमछा पहनने के लिए कहा।
नया नहीं है ये विवाद, 3 साल पहले भी हिजाब पहनने की मांग उठी थी
करीब 3 साल पहले भी स्कूल में हिजाब को लेकर विवाद हुआ था। फिर यह तय हुआ कि कोई हिजाब पहनकर नहीं आएगा, लेकिन पिछले कुछ दिनों से छात्र हिजाब पहनकर स्कूल आने लगीं थी। ऐसे में इसका विरोध करते हुए कुछ छात्रों ने भगवा पहनने का फैसला किया।
उधर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले से असहमति जताई है। इधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे मुस्लिम महिलाओं की धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया है।
हम कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 15 की अवहेलना करता है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक अभ्यास नहीं है लेकिन इसका निर्णय कौन करेगा? इस फैसले के ख़िलाफ़ हम इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी pic.twitter.com/OZzWJ3Clb5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 15, 2022
ओवैसी ने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं, यह मेरा अधिकार है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि हिजाब पहनने में क्या समस्या है? उन्होंने कहा कि हिजाब प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन करता है, जो देश के प्रत्येक नागरिक को धर्म, संस्कृति, अभिव्यक्ति और कला की स्वतंत्रता देता है। कोर्ट के इस फैसले का मुस्लिम महिलाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा। आधुनिक बनने की दौड़ में हम धार्मिक प्रथाओं को नहीं भूल सकते।
हिजाब पर जो फैसला कोर्ट ने कायम रखा है वो बहुत ही निराश करने वाला फैसला है। एक लड़की और एक महिला को ये भी अधिकार नहीं है कि वो क्या पहने और क्या नहीं पहने: PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर pic.twitter.com/NxjvrQaGWa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 15, 2022
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘कर्नाटक हाई कोर्ट का हिजाब बैन को बरकरार रखने का फैसला बेहद निराशाजनक है। एक तरफ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं फिर भी हम उन्हें एक साधारण अधिकार से वंचित कर रहे हैं। यह सिर्फ धर्म का मामला नहीं है, बल्कि पसंद की स्वतंत्रता का भी मामला है।
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