आषाढ़ में करें ये खास काम: मिलेगा विष्णु-शिव का आशीर्वाद, जानिए क्यों आषाढ़ महीना खास? Read it later

आषाढ़ मास (Aashadha Month)  हिंदू पंचांग का चौथा महीना है, इस वर्ष 12 जून से शुरू हो चुका है और 10 जुलाई तक रहेगा। यह समय न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि मौसम परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य के लिहाज से भी खास सतर्कता की मांग करता है। इस महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि संचालन का कार्य शिव जी को सौंपते हैं। पूजा, ध्यान, दान और पुण्य के लिए यह मास अत्यंत शुभ माना गया है।

12 जून से Aashadha Month की शुरुआत मानी गई है क्योंकि सूर्योदय के समय Krishna Paksha Pratipada तिथि थी। हालांकि यह तिथि 11 जून दोपहर 1:15 बजे से शुरू हो चुकी थी, लेकिन पंचांग के अनुसार जो तिथि सूर्योदय पर होती है, वही मानी जाती है। इस महीने की शुरुआत से मौसम परिवर्तन, धार्मिक उत्सव और उपवास का विशेष दौर शुरू होता है।

आषाढ़ के आते ही बदलता है मौसम – स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं ये सावधानियाँ

Aashadha Month Traditions सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवनशैली के लिहाज से भी बहुत अहम होता है। यह महीना गर्मी और बारिश के संक्रमण काल का समय होता है। इसलिए खान-पान, नींद और हाइजीन का खास ध्यान रखना चाहिए। तैलीय और भारी भोजन से परहेज़ करें, खूब पानी पिएं और मौसमी फल खाएं।

देवशयनी एकादशी – विष्णु की योगनिद्रा और शिव की सृष्टि संचालन परंपरा

6 जुलाई को Devshayani Ekadashi है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद चार महीने तक भगवान शिव ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। इस समय को चातुर्मास भी कहा जाता है। इन महीनों में विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

आषाढ़ मास में पूजा-पाठ से मिलते हैं विशेष पुण्य – करें ये कर्म

Aashadha Month में हर दिन पूजा-पाठ, मंत्र जप, दान-पुण्य, स्नान-ध्यान और सूर्य अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। इस महीने के धार्मिक कार्यों से मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है। विशेषकर भगवान विष्णु और शिव की उपासना शुभ मानी जाती है।

पुरी की रथ यात्रा – आषाढ़ का सबसे बड़ा उत्सव

27 जून को Aashadha Shukla Dwitiya को Puri Rath Yatra निकाली जाएगी। यह भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को विशाल रथों पर विराजित कर नगर भ्रमण कराया जाता है। लाखों भक्त इसमें शामिल होते हैं।

सुबह का समय सबसे शुभ – ऐसे करें सूर्य पूजा

आषाढ़ मास में हर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके तांबे के लोटे में जल, चावल और फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र बोलें। इससे जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा आती है।

इन मंत्रों का जप लाएगा सुख-शांति और मन की स्थिरता
  • शिव मंत्र – ऊँ नमः शिवाय

  • विष्णु मंत्र – ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय

  • कृष्ण मंत्र – कृं कृष्णाय नमः

  • राम मंत्र – रां रामाय नमः

  • दुर्गा मंत्र – दुं दुर्गायै नमः

  • हनुमान मंत्र – ऊँ रामदूताय नमः

इन मंत्रों का नियमित जप मानसिक शांति, ध्यान और एकाग्रता बढ़ाता है।

ध्यान और साधना – मानसिक शांति के लिए रामबाण उपाय

हर सुबह पूजा के बाद कुछ समय ध्यान (Meditation) के लिए निकालें। यह मन को स्थिर करता है, नकारात्मकता को हटाता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। आषाढ़ में ध्यान विशेष फलदायक माना जाता है।

आषाढ़ मास में दान-पुण्य से बनते हैं पुण्यफल

गायों को हरी घास खिलाना, गौशाला में दान देना और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, जूते आदि देना बहुत पुण्यकारी माना गया है। साथ ही मंदिरों में पूजन सामग्री भेंट करना भी शुभ होता है।

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