History of Indian Budget: तीन दफा प्रधानमंत्रियों ने पेश किया था सालाना बजट: जानिए क्या था नेहरू, इंदिरा और राजीव गांधी के बजट में खास Read it later

Budget 2022: तीन दफा प्रधानमंत्रियों ने पेश किया था सालाना बजट

हमारे भारत देश में एक सरकार है। जिसका प्रधान होता है प्रधानमंत्री है। (History of Indian Budget)  गृह मंत्री कार्य जहां देश की आंतरिक और बाहरी स्तर पर रक्षा संभालना होता है, तो वहीं वित्त मंत्री की सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश की आर्थिक स्थिति को संभालना होता है। इसी का हिस्सा होता है सालाना Budget पेश करना। 

लेकिन 75 साल के इतिहास में तीन मौके ऐसे भी देश में आए हैं जब Budget को वित्त मंत्री ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री ने पेश किया। आइए बताते हैं आपको इसके रोचक तथ्य कि ऐसा कब कब हुआ।

पहला आम चुनाव 1951 के अक्टूबर और दिसंबर और 1952 के फरवरी में हुए थे। चुनाव में लगभग छह महीने लगे। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय नेता थे। विमान पूरे देश में प्रचार के लिए जरूरी था। यह सवाल इसलिए भी उठाया गया क्योंकि इस संबंध में कोई पूर्व-नियम नहीं था।

नेहरू बजट पेश करने वाले पहले पीएम थे 

वित्तीय वर्ष 1958-59 का बजट तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लोकसभा में पेश किया था। उस समय टीटी कृष्णमाचारी वित्त मंत्री थे। मुंद्रा घोटाले में नाम आने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। नेहरू ने वित्त मंत्री का पोर्टफोलियो संभाला और खुद आम बजट पेश किया।

नेहरू को क्यों पेश करना पड़ा था बजट

दरअसल, टीटी कृष्णमाचारी नेहरू सरकार में वित्त मंत्री थे। मुंद्रा घोटाले के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस वजह से नेहरू ने संसद में बजट पेश किया। नेहरू ने सुरक्षा बजट पर 278.14 करोड़ रुपये और नागरिक खर्च के लिए 517.87 करोड़ रुपये जारी किए थे।

बजट भाषण के दौरान नेहरू ने कहा था कि प्रथा के मुताबिक देश के वित्त मंत्री को आज वित्तीय वर्ष का बजट भाषण पेश करना था. लेकिन दुखद और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण इस समय वित्त मंत्री हमारे साथ नहीं हैं। अंतिम समय में यह कार्य मुझ पर आ पड़ा है।

नेहरू के बजट की मुख्य बिंदू क्या थे

  • 10,000 रुपये से अधिक की संपत्ति के हस्तांतरण पर उपहार कर का प्रावधान किया गया है। इसमें यह भी छूट थी कि पत्नी को 1 लाख रुपये तक का उपहार देने पर टैक्स नहीं लगेगा। इसे ‘उपहार कर’ कहा जाता था।

  • देश के कई हिस्सों में सूखे के बावजूद कृषि उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।

  • पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में विदेशी मुद्रा में भी गिरावट आई है।

  • सरकार ने देश के बंदरगाहों, ट्रॉम्बे थर्मल स्टेशन, डीवीसी, द हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की मदद के लिए विश्व बैंक से रिपोर्ट मांगी।

  • यूएस, यूएसएसआर, यूके, फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, कनाडा और जापान ने कई क्षेत्रों में मदद के लिए सॉफ्ट लोन की पेशकश की।

किस ने पेश किया सबसे ज्यादा बार बजट

मोरारजी देसाई उन चंद नेताओं में से एक हैं जो मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक गए हैं। वे कई वर्षों तक उप प्रधानमंत्री भी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने लंबे समय तक वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाला। जवाहरलाल नेहरू की सरकार में देसाई को वित्त मंत्री बनाया गया था और वह इंदिरा गांधी के समय में भी इस पद पर रहे थे। देसाई का 10 बार बजट पेश करने का इतिहास रहा है। इनमें 8 पूर्ण बजट और 2 अंतरिम बजट शामिल हैं।

बजट पेश करने वाली पहली महिला होने का तमगा इंदिरा गांधी के पास

बजट पेश करने वाली पहली महिला होने का तमगा इंदिरा गांधी के पास


साल 1970 में इंदिरा गांधी की सरकार थी। मोरारजी देसाई उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे थे। इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने के साथ, वह पार्टी के भीतर विद्रोह पर उतर आए। कांग्रेस ने उन्हें 12 नवंबर 1969 को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय संभाला और 28 फरवरी 1970 को पहली और आखिरी बार बजट पेश किया।

जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तो वह लगभग 1 वर्ष तक वित्त मंत्रालय की प्रभारी रहीं। उन्होंने 16 जुलाई 1969 से 27 जून 1970 तक वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाला। इस दौरान उन्होंने 1970 का बजट खुद संसद में पेश किया। इस तरह भारत का बजट पेश करने वाली पहली महिला का रिकॉर्ड इंदिरा गांधी के नाम दर्ज है। उसके बाद भी लगभग 5 दशकों तक किसी अन्य महिला को यह सौभाग्य नहीं मिला।

उस बजट की क्या थी खास बातें

  • इस बजट में इंदिरा गांधी ने डायरेक्ट टेक्स में एक बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत सिगरेट पर कर को सीधे 3% से बढ़ाकर 22% कर दिया गया।

  • प्रत्यक्ष कर में, इंदिरा गांधी ने उपहार कर के लिए संपत्ति के मूल्य की सीमा को 10,000 रुपये से घटाकर 5,000 रुपये कर दिया। यानी अगर कोई गिफ्ट 5,000 रुपये से ज्यादा है तो उसे टैक्स के दायरे में लाया गया।

  • बजट के माध्यम से यह घोषणा की गई थी कि अब ईपीएफ में कर्मचारी और संगठन की भागीदारी के 8% के अलावा सरकार अपना हिस्सा भी देगी। ईपीएफ में अंशदान के भुगतान के लिए सरकारी मदद दी जाएगी। कर्मचारी की मृत्यु के बाद यह राशि परिवार को एकमुश्त पारिवारिक पेंशन के रूप में दी जाएगी।

राजीव गांधी ने भी बजट पेश किया था

राजीव गांधी ने भी बजट पेश किया था

1987-88 का बजट तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पेश किया था। राजीव से विवाद के बाद वित्त मंत्री वीपी सिंह ने दिया इस्तीफा राजीव ने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा और आम बजट पेश किया।

1857 की क्रांति के साथ पहले बजट का संबंध क्या था ये भी जानिए

1857 की क्रांति से पहले, भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था, जिसे कंपनी राज कहा जाता है। इसके बाद ब्रिटिश क्राउन ने भारत की बागडोर अपने हाथों में ले ली। उस समय भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार ने नई योजनाएँ तैयार कीं। द इकोनॉमिस्ट (The Economist) अखबार शुरू करने वाले अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन (Economist James Wilson) को भारत की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा रखने और आय-व्यय का हिसाब-किताब रखने का काम दिया गया था। विल्सन ने भारत का पहला बजट 1860 में पेश किया था। यहीं से भारत में इनकम टैक्स (Income Tax) की शुरुआत हुई थी।

राजीव गांधी के बजट में क्या खास था

  • राजीव ने इस बजट में पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का प्रस्ताव पेश किया था। इसे न्यूनतम वैकल्पिक कर के रूप में जाना जाता है।

  • राजीव गांधी ने विदेश यात्रा के लिए भारत में जारी विदेशी मुद्रा पर 15% की दर से कर लगाने का प्रावधान किया था। इससे सरकार को 60 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व का अनुमान था।

  • राजीव गांधी ने 24,622 करोड़ रुपये की केंद्रीय परिव्यय योजना पेश की। इसमें से 14,923 करोड़ रुपये की योजना बजटीय सहायता से रखी गई थी।

  • इस बजट में 1987-88 में रक्षा के लिए 12,512 करोड़ रुपये और गैर-योजना व्यय के लिए 39,233 करोड़ रुपये का अनुमान प्रस्तुत किया गया था।

RK Shanmukham Chetty ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था

RK Shanmukham Chetty भारत की आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री बने। उन्होंने स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। वे इस पद पर केवल 7 महीने ही रहे। स्वतंत्र भारत के पहले बजट में कोई नया कर प्रस्ताव नहीं था। उनके बाद John Mathai दूसरे वित्त मंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान 1949 के बजट में पहली बार योजना आयोग और पंचवर्षीय योजना का उल्लेख किया गया था। तीसरे वित्त मंत्री CD Deshmukh के कार्यकाल के दौरान 1951 में जब बजट पेश किया गया था, तब इसे पहली बार हिंदी में छापा गया था। समय। इससे पहले भारत का बजट केवल अंग्रेजी में छापा जाता था।

वाजपेयी सरकार में बदल दिया था बजट का समय

अंग्रेजों ने भारत में बजट की शुरुआत की। इसी वजह से बजट पेश करने का समय लंदन की घड़ी के हिसाब से तय किया गया। भारत का बजट ब्रिटेन की संसद में भी सुना गया, जिसके चलते इसे शाम को पेश किया गया। लंदन में जब दिन के 11 बजते हैं तो भारत में शाम के 5 बजे होते हैं। जब यशवंत सिन्हा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में वित्त मंत्री बने तो उन्होंने इस परंपरा को बदल दिया। 27 फरवरी 1999 को उन्होंने सुबह पहली बार भारत का बजट पेश किया। तब से बजट सुबह ही पेश किया जाता है। 

 

जेटली ने खत्म किया रेल बजट, बजट पहली फरवरी में पेश करने का श्रेय भी

2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो अरुण जेटली को वित्त मंत्रालय दिया गया था। अरुण जेटली को बजट के इतिहास में दो बड़े बदलावों के लिए याद किया जाता है। उनसे पहले हर साल फरवरी के आखिरी दिन बजट पेश किया जाता था।

 जेटली ने इसे बदल दिया और 2017 में पहली बार पहली फरवरी को बजट पेश किया। उसके बाद से अब बजट फरवरी की पहली तारीख को ही आता है। जेटली की ओर से एक और बड़ा बदलाव एक अलग रेल बजट को रद्द करना है। उनके कार्यकाल के दौरान 9 साल पुरानी इस परंपरा को बंद कर दिया गया और रेल बजट को आम बजट का हिस्सा बना दिया गया। 

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