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दुनिया में न केवल जीवन की गुणवत्ता, बल्कि मौत की गुणवत्ता होना भी जरूरी है। यानि मौत कितनी तसल्ली से हो रही है ये भी मायने रखता है। (List of countries by death rate) हम सभी उम्मीद करते हैं कि एक अच्छा जीवन जीने के बाद हमारी सांसें भी आराम यानि तसल्ली से रुक सकें, लेकिन उच्च आय वर्ग वाले देशों में रहने वाले लोगों के लिए यह एक वास्तविकता है, तो वहीं कम आय वाले देशों के लोगों के लिए यह सिर्फ एक सपना बन कर रह जाता है।
यानि ऐसे लोग सुकुन से मर भी नहीं पाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसका जवाब वैज्ञानिकों ने हाल ही में क्वालिटी ऑफ डेथ एंड डाइंग इंडेक्स 2021 (Quality of Death and Dying 2021) के जरिए दिया है।
यह अध्ययन अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। इसमें दुनिया भर के 81 देशों को एंड-ऑफ-लाइफ केयर के आधार पर ए, बी, सी, डी, ई, एफ ग्रेड दिए गए हैं। रिपोर्ट में जहां सिर्फ 6 देशों ने ए ग्रेड हासिल किया है, वहीं 21 देशों को एफ ग्रेड मिला है।
सूची में शीर्ष पर कौन से देश हैं?
इस सूचकांक में यूनाइटेड किंगडम पहले स्थान पर है। इसके अलावा आयरलैंड, ताइवान, कोस्टा रिका, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया को भी ए ग्रेड मिला है। (List of countries by life expectancy) रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों में रहने वाले लोगों को अपने अंतिम दिनों में अच्छी शारीरिक और मानसिक देखभाल मिलती है।
किन देशों ने सबसे खराब प्रदर्शन किया?
पराग्वे को 81वें स्थान पर रखा गया है, यानी यहां के लोग चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं. बांग्लादेश, लेबनान, हैती, ब्राजील, सेनेगल, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, आर्मेनिया, अर्जेंटीना, नेपाल, सूडान, मलेशिया, इथियोपिया और इराक जैसे देशों को भी एफ ग्रेड सूची में रखा गया है।
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भारत को मिला डी ग्रेड, अमेरिका का हाल अजीब
इस सूचकांक में भारत डी ग्रेड के साथ 59वें स्थान पर है। भारत के अलावा चीन, रूस, ग्रीस, इंडोनेशिया, चिली, जॉर्जिया, वियतनाम और मैक्सिको को भी डी ग्रेड मिला है। हैरानी की बात यह है कि अमेरिका सी ग्रेड के साथ 43वें स्थान पर है। अमेरिका के साथ कोलंबिया, म्यांमार, मैक्सिको, थाईलैंड, मिस्र, घाना, इजरायल, युगांडा, डेनमार्क और नाइजीरिया जैसे देश भी सी ग्रेड में शामिल हैं।
अच्छे ग्रेड वाले अधिकांश उच्च आय वाले देश
शोधकर्ता स्टीफन कॉनर का कहना है कि उच्च आय वाले देशों को अच्छे ग्रेड में शामिल करना कोई संयोग नहीं है। यहां की सरकारें दूसरे देशों के मुकाबले नागरिकों के स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च करती हैं। जिन देशों के ग्रेड अच्छे नहीं हैं, वहां की सरकारों को नागरिकों के स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उच्च आय वाले देशों की तुलना में यहां एक तिहाई से भी कम स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
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अमेरिका के उदाहरण से सीखें- पैसा ही सब कुछ नहीं है
कॉनर और उनके साथी शोधकर्ता एरिक फ़िंकेलस्टीन का कहना है कि भले ही इस शोध में अधिकांश ए ग्रेड देशों में मजबूत अर्थव्यवस्थाएं हैं, मर पैसा हमेशा सबकुछ नहीं होता है। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी-कभी पैसा होना जीवन के अंतिम दिनों में बेहतर देखभाल की गारंटी नहीं देता।
फिंकेलस्टीन का कहना है कि आप जिस समाज में रहते हैं, उसमें अंतिम समय की देखभाल भी मायने रखती है। उनके अनुसार विकसित और विकासशील दोनों देशों में यह स्थिति अच्छी नहीं है। लोग अपना अधिकांश पैसा जीवन जीने में खर्च कर देते हैं, इसलिए जीवन के अंतिम क्षणों को अपनी चुनी हुई जगह और इलाज के अभाव में बिताना उनकी मजबूरी बन जाती है।
Britain Tops The List Of 81 Countries | Paraguay Last | A Country Like US 43 And India At Number 59 | Quality of Death and Dying 2021 | High-income countries | List of countries by life expectancy |