फेक टीआरपी घोटाला: मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक मीडिया के सीईओ को किया गिरफ्तार, मामले में दूसरी गिरफ्तारी Read it later

रिपब्लिक मीडिया के सीईओ

मुंबई पुलिस ने रविवार को अर्नब गोस्वामी के समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खानचंदानी को गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि यह गिरफ्तारी फर्जी टीआरपी के मामले में की गई है। उन्हें अब किला कोर्ट में पेश किया जा सकता है। गौरतलब है कि मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने लगभग दो महीने पहले इस घोटाले का प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए खुलासा किया था। रिपब्लिक के अलावा, दो मराठी चैनलों बॉक्स सिनेमा और फ़क़त मराठी पर भी आरोप लगाए गए थे।

इस मामले में,  रिपब्लिक के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट  (वितरण) घनश्याम सिंह को अदालत ने 5 दिसंबर को जमानत दे दी थी। चैनल ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने पूछताछ के दौरान उन्हें प्रताड़ित किया। इससे पहले, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आवेदन दायर किया था कि सिंह को हिरासत में बेल्ट से पीटा गया था।

आवेदन के अनुसार, यह स्पष्ट है कि सिंह को प्रताड़ित करने की योजना पहले से ही तैयार थी। हिरासत कक्ष में पूर्व यातना देने वाले सामान रखे गए थे। आरोप है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने इसके लिए आदेश दिए। घनश्याम सिंह 9, 11, 20 और 21 अक्टूबर को मुंबई पुलिस के सामने पेश हुए। उन्हें 10 नवंबर को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

पुलिस कमिश्नर ने बताया था- रिपब्लिक टीवी ने पैसे देकर टीआरपी बढ़ाई

कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया था कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पेमेंट करके टीआरपी बढ़ाते थे। इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कमिश्नर ने कहा कि हमें सूचना मिली थी कि नकली प्रचार चल रहा है। क्राइम ब्रांच ने तब जांच की और रैकेट का भंडाफोड़ किया।

टीआरपी का खेल कैसा चल रहा था?

कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि जांच के दौरान ऐसे कई घर मिले हैं जहां टीआरपी मीटर को इंस्टॉल किया गया था। इन घरों के लोगों को रुपए देकर दिन भर न्यूज चैनल चलाया जाता था, ताकि चैनल की टीआरपी बढ़ती रहे। कमिश्नर ने यह भी बताया कि कुछ घरों का पता चला था, जो बंद थे, इसके बावजूद टीवी अंदर चलााया जाता था।

कमिश्नर ने यह भी कहा कि इन घर वालों को चैनल या एजेंसी की तरफ से हर दिन 500 रुपए तक दिए जाते थे। मुंबई शहर में पीपल्स मीटर लगाने का काम हंसा नाम की मॉनिटर एजेंसी को दिया गया था। इस एजेंसी के कुछ लोगों ने चैनल के साथ मिलकर इस फर्जी टीआरपी के खेल को अंजाम दिया। जांच के दौरान, हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने गोपनीय घरेलू डेटा साझा किया।

रिपब्लिक टीवी ने आरोपों को झूंठा बताया था

आरोपों के जवाब में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने कहा कि मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी पर झूठे आरोप लगाए हैं, क्योंकि हमने सुशांत सिंह राजपूत मामले में चैनल की जांच पर सवाल उठाया था।

उन्होंने कहा कि सुशांत मामले में मुंबई पुलिस कमिश्नर की ओर से की गई जांच सवालों के घेरे में आ गई थी। चाहे पालघर में मॉब लिचिंग का मामला हो, सुशांत सुसाइड का मामला हो या कोई और मामला, रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग के कारण यह कदम उठाया गया है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का उल्लेख नहीं किया है।

1400 पेज की चार्जशीट

मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने मजिस्ट्रेट की अदालत में 1400 पन्नों की चार्जशीट पेश की थी। इसमें रिपब्लिक टीवी के डिस्ट्रीब्यूशन हेड घनश्याम शर्मा सहित 12 आरोपियों का नाम था। चार्जशीट में ऑडिटर और फोरेंसिक विशेषज्ञों सहित 140 लोगों को गवाह दिया गया है।

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