दिल्ली की एक अदालत ने उपहार मामले (UPHAAR KAND) में सबूतों से छेड़छाड़ मामले में सजा सुनाए जाने के बाद मंगलवार को गोपाल अंसल और सुशील अंसल को रिहा कर दिया। (PATIALA HOUSE COURT) अदालत की घोषणा के अनुसार जितनी सजा सुनाई गई उतनी सजा वे पहले ही काट चुके हैं।
अदालत का फैसला सुनकर शिकायतकर्ता नीलम कृष्णमूर्ति रोने पड़ी। न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने उन्हें यह कहते हुए सांत्वना दी कि उनके नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता, लेकिन मामले में दोषियों की उम्र पर विचार किया जाना था।
मामला उपहार सिनेमा में आग से संबंधित है, जहां 13 जून, 1997 को हिंदी फिल्म बॉर्डर दिखाने के दौरान लापरवाही के चलते आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी। 2015 में, एक ट्रायल कोर्ट ने उपहार सिनेमा के मालिक अंसल ब्रदर्स को दोषी ठहराया था।
इससे पहले 9 नवंबर 2021 को चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने असल बंधुओं को सबूतों से छेड़छाड़ का दोषी करार देते हुए 7 साल कैद की सजा सुनाई थी और दोनों को मुआवजे की राशि के साथ-साथ 2.25-2.25 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरने की भी सजा सुनाई गई थी।
एक दिन पहले हुई सुनवाई में पटियाला हाउस कोर्ट ने उपहार सिनेमा हादसे के दोषी सुशील अंसल और गोपाल अंसल की सजा बरकरार रखी थी कोर्ट ने कहा था कि सबूतों से छेड़छाड़ करने पर अंसल बंधुओं को कोई राहत नहीं दी जा सकती है।
कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई की जांच में कई तथ्य सामने आए हैं। सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है। इससे पहले भी आरोपियों की ओर से सजा निलंबित कर जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।
1997 में सिनेमा हॉल में क्या हुआ था
13 जून 1997 को दिल्ली के उपहार सिनेमा हॉल में हिंदी फिल्म बॉर्डर की स्क्रीनिंग के दौरान भीषण आग लग गई। उस आग में सिनेमा हॉल में फंसने से 59 दर्शकों की मौत हो गई थी। जांच में पता चला कि सिनेमा हॉल से आने-जाने का रास्ता अतिरिक्त सीट लगाकर संकरा कर दिया गया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं पर याचिकाकर्ताओं को धमकाने और कोर्ट स्टाफ से मिलीभगत कर कोर्ट की फाइलों से छेड़छाड़ की गई। फाइलों से पन्ने फाड़े गए और गायब हो गए। यह मामला उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एवीयूटी) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने अदालत में दायर किया था।