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फोटोः ट्वीटर। |
PM नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई को (The National Emblem Controversy) नए संसद भवन की छत पर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का उद्घाटन किया था। अब विपक्ष ने स्तंभ (ashok stambh) की मूल संरचना को बदलने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार पर हमला बोलो है। कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के चार शेरों की संरचना में फेरबदल कर संविधान का अपमान किया गया है।
विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भारत के प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ के शेरों को क्रूर और आक्रामक तरीके से बनाया गया है। इसके लिए शेरों के मुख को ज्यादा खोल कर दिखाया गया है, जबकि सारनाथ म्यूजियम में रखे मूल अशोक स्तंभ में शेरों का मुंह उतना नही खुला है। बहरहाल केंद्र सरकार ने विपक्ष के आरोपों को सिरे खारिज करते हुए इसे मूल की कॉपी ही बताया है।
सरकार ने सफाई दी कि यदि मूल और नई संसद में लगाए गए नए प्रतीक चिह्न को एक ही एंगल से देखा जाए तो दोनो में कोई फर्क नहीं दिखेगा। जबकि विपक्ष के लोग दोनों तस्वीरों को अलग अलग एंगल से दिखा रहे हैं, जिसमें चिह्न भिन्न दिखाई दे रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं है।
इस स्तंभ को बनाने की प्रक्रिया में शामिल सुनील देवरे ने इंडिया टुडे ग्रुप से बातचीत में बताया है कि हमने किसी के कहने पर कोई चैंज नहीं किया है, ये सारनाथ में मौजूद स्तंभ की ही कॉपी है। बता दें कि सुनील ने स्तंभ के लिए क्ले और थर्मोकोल मॉडल तैयार किया था।
दरअसल भारत के विभिन्न हिस्सों में मिले मौर्यकाल के स्तंभो के ऊपर टिका ये प्रतीक सबसे बेहतर और भव्य तौर पर वाराणसी के पास सारनाथ में देखने को मिलता है। इसे अब सारनाथ के संग्रहालय में देखा जा सकता है।
लेकिन एक अन्य पत्रकार कंचन गुप्ता ने मूर्ति की आलोचना करने वालों को अज्ञानी करार दिया है।
Those criticising the ‘new’ Ashoka’s Lion Capital atop new Parliament House are ignoramuses. Those reporting and amplifying bunk are mindless … https://t.co/2NSLWBRQy7 pic.twitter.com/5jTzITy1df
— Kanchan Gupta 🇮🇳 (@KanchanGupta) July 12, 2022
उन्होंने ट्वीट किया, ” जो नई संसद के ऊपर स्थापित किए गए राष्ट्रीय प्रतीक की आलोचना कर रहे हैं वो अज्ञानी हैं। जो इस बारे में रिपोर्ट लिख रहे हैं या इसे आगे फैला रहे हैं वो नासमझ हैं। दरअसल कंचन का कहना है कि मूल ओर नई संसद में स्थापित चिह्न की प्रतिमाओं को एक ही एंगल से देखा जाए तो दोनों में कोई फर्क नहीं आएगा। जो तस्वीर शेयर कर रहे है वे अलग अलग एंगल से शेयर कर सवाल खड़े कर रहे हैं।
सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनावरण पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि यह कार्यपालिका और विधायिका के बीच सत्ता के विभाजन के खिलाफ है। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी कार्यपालिका के मुखिया हैं लेकिन संसद भवन विधायिका का प्रतीक है।
सीताराम येचुरी ने अनावरण के समय प्रधानमंत्री द्वारा की गई पूजा पर भी सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने भी कहा है कि उन्हें प्रतिमा के अनावरण के लिए नहीं बुलाया गया था।
इसके अलावा एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीताराम येचुरी की तर्ज पर प्रधानमंत्री के अनावरण का विरोध किया।
जयराम रमेश ने- राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अपमान हुआ
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश बोले कि सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदल देना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है। वहीं कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि संसद और राष्ट्रीय प्रतीक भारत के जनता का लोकतंत्र का है, ये किसी एक व्यक्ति का नहीं है।
TMC सांसदों ने कहा- नए अशोक स्तंभ के शेर आक्रामक और बेडौल
तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार और महुआ मोइत्रा ने अशोक स्तंभ के शेरों को मूल रूप से नहीं दिखाने का आरोप लगाया है। जवाहर सरकार और मोइत्रा ने अरोप लगाया कि इस अशोक स्तंभ के शेरों को ‘आक्रामक’ और ‘बेडौल’ दिखाया गया। मोइत्रा ने अपने ट्वीट में कहा कि सत्यमेव जयते से सिंघमेव जयते में बदलने का प्रयास किया गया है।
राज्यसभा सांसद सरकार ने ट्विटर पर लिखा- हमारे राष्ट्रीय प्रतीक, राजसी अशोक स्तंभ के शेरों का अपमान। असली बाईं ओर है, सुंदर, वास्तविक रूप से आत्मविश्वासी। दाईं ओर वाला मोदी का वर्जन है, जिसे नए संसद भवन के ऊपर लगाया गया है – झुंझलाहट, अनावश्यक रूप से आक्रामक और बेडौल। शर्म करो…! इसे तुरंत बदलो…!
राजद ने कहा- नए अशोक स्तंभ में आदमखोर प्रवृत्ति
राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट किया कि राष्ट्रीय चिन्ह शेरों के चेहरे पर नम्रता का भाव दर्शाता है, जबकि नया प्रतीक आदमखोर प्रवृत्ति को दर्शाता है। राजद ने कहा कि अमृत काल में की गई नकल के चेहरे पर मनुष्य, पूर्वजों और देश का सब कुछ निगलने का भाव दिखाई देता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा-सुंदरता नजरिए पर निर्भर करती है
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है। सारनाथ का (national emblem of india) मूल चिन्ह 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद भवन के शीर्ष पर प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर है। यदि मूल स्तंभ की सटीक प्रतिकृति नए भवन पर रखी जाती, तो यह शायद ही दिखाई देता।
विशेषज्ञों को इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि सारनाथ में स्थापित मूल प्रतिमा जमीनी स्तर पर है, जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है। दो संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और पैमाने के प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि कोई नीचे से सारनाथ के प्रतीक को देखता है तो वह उतना ही शांत या क्रोधित प्रतीत होगा जितना कि चर्चा की जा रही है।
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सोमवार को नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण समारोह में पीएम मोदी ने पूजन-अर्चना और उद्घाटन किया। फोटोःANI |
इससे पहले सोमवार को भी विपक्ष ने राष्ट्रीय प्रतीक के अनावरण पर आपत्ति जताई थी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने इसका अनावरण कर संविधान का उल्लंघन किया है। धर्मनिरपेक्षता को चोट लगी क्योंकि प्रधान मंत्री ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार प्रार्थना की और इस अवसर पर किसी भी विपक्षी नेता को आमंत्रित नहीं किया गया।
सोशल मीडिया पर भी यूजर्स ने उठाए सवाल
कुछ लोग नए संसद भवन पर करीब साढ़े नौ टन के राष्ट्रीय चिन्ह के शेरों के हावभाव पर सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना था कि अशोक स्तंभ पर शेरों को जिस रूप में दर्शाया गया है, वह वास्तविक शेरों से बिल्कुल अलग है।
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि असली शेर ‘दयालु और राजसी’ दिखते हैं लेकिन नए संसद भवन पर राष्ट्रीय चिन्ह के शेर ‘गर्जना’ करते नजर आ रहे हैं।
राजधानी दिल्ली में बन रहा नया संसद भवन अरबों खर्च कर बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है। योजना अंग्रेजों के बनाए गए सरकारी कार्यालयों को आधुनिक बनाने की बताई जा रही है।
सैंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है?
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत एक नए संसद भवन और नए केंद्रीय सचिवालय के साथ राजपथ के पूरे इलाके का री-डेवलपमेंट होना है।
ऐसी उम्मीद थी कि इस वर्ष आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में नई संसद बनकर तैयार हो जाएगी। लेकिन अब अधिकारियों का कहना है कि ये अब अक्टूबर तक ही तैयार हो पाएगा।
विपक्ष दल इस प्रोजेक्ट पर हो रहे ख़र्च पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ये मामला भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी गया था लेकिन अदालत ने इसे हरी झंडी दे दी थी।
दिल्ली के पावर कॉरिडोर में होगा, इसके एक तरफ पर राष्ट्रपति भवन होगा, तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट होगा। पीएम के घर के बग़ल में ही नई संसद भवन होगी।
सरकारी डॉक्यूमेंट के मुताबिक़ 15 एकड़ में फैले इस परिसर में 10 चार मंज़िला इमारतें होंगी। ये परिसर राष्ट्रपति भवन और साउथ ब्लाक के बीच होगा, जहां पीएम और रक्षा मंत्रालय के कार्यालय हैं।
1940 में अंग्रेज़ो द्वारा बनाए गए बैरकों को भी धराशायी करा जाएगा। इनमें अभी तक केंद्र सरकार के कार्यालय चलते थे।
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