Hindi Marathi विवाद पर उद्धव-राज का एक सुर, जानें पूरी इनसाइड स्टोरी Read it later

 महाराष्ट्र में hindi marathi language row के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर आए। मुंबई के वर्ली सभागार में हुई रैली में दोनों नेताओं ने हिंदी थोपने का विरोध करते हुए मराठी एकता का संदेश दिया। उद्धव और राज ने 48 मिनट के भाषण में मराठी भाषा, मुंबई-महाराष्ट्र की राजनीति, भाजपा और केंद्र सरकार पर तीखे हमले किए।

hindi marathi language row

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हिंदी से एतराज नहीं, थोपना बर्दाश्त नहीं- राज ठाकरे (hindi marathi language row)

hindi marathi language row: राज ठाकरे ने रैली में कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया है। “हमें हिंदी से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन इसे महाराष्ट्र पर थोपने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम सब गुंडे हैं।” उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट तक सब अंग्रेजी में है, पर सिर्फ महाराष्ट्र में मराठी को नजरअंदाज क्यों किया जा रहा है?

raj thackeray | hindi marathi language row
Photo: Getty Images
20 साल बाद मंच साझा करने की खास वजह

रैली का सबसे बड़ा आकर्षण रहा उद्धव और राज का 20 साल बाद एक मंच पर आना। आखिरी बार दोनों 2006 में बालासाहेब ठाकरे की रैली में साथ नजर आए थे। उद्धव को शिवसेना का प्रमुख बनाए जाने के बाद राज ने अपनी अलग पार्टी Maharashtra Navnirman Sena (MNS) बना ली थी। इसके बाद से दोनों के बीच रिश्ते बेहद तनावपूर्ण रहे थे।

राज ठाकरे बोले- आडवाणी, जयललिता भी इंग्लिश मीडियम से

राज ने कहा, “हमारे बच्चों के इंग्लिश मीडियम में पढ़ने पर मराठी भावना पर सवाल उठते हैं, लेकिन क्या आडवाणी, जयललिता, स्टालिन, आर रहमान, कनिमोझी, नारा लोकेश ने भी अंग्रेजी में पढ़ाई नहीं की?” उन्होंने बताया कि उनके पिता श्रीकांत ठाकरे और बालासाहेब ने भी अंग्रेजी में पढ़ाई की, लेकिन मातृभाषा मराठी के लिए वे बेहद संवेदनशील थे।

मराठी न बोलने पर हिंसा की जरूरत नहीं, पर ड्रामा करने वालों को सबक जरूरी

राज ने कहा, “अगर कोई महाराष्ट्र में रहकर मराठी नहीं बोलता तो उसे मराठी सिखानी चाहिए। हिंसा सही नहीं, लेकिन कोई बेवजह ड्रामा करे तो उसे सबक सिखाना चाहिए। पर इसका वीडियो न बनाएं।”

राज ठाकरे बोले- मराठी न बोलने पर हिंसा जरूरी नहीं, पर वीडियो भी न बनाएं

राज ठाकरे ने अपने बयान में कहा, “चाहे वह गुजराती हो या कोई और, उसे Marathi language आनी चाहिए, लेकिन अगर कोई मराठी नहीं बोलता तो उसे मारने की जरूरत नहीं है। पर अगर कोई बिना वजह ड्रामा करता है, तो उसके कान के नीचे एक लगाना जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा, “अगर आप किसी को पीटते हैं, तो उसका वीडियो न बनाएं। उसे समझाएं कि उसे क्यों मारा गया है, लेकिन पूरी दुनिया को बताने की जरूरत नहीं कि आपने किसी को पीटा।”

राज ठाकरे ने पूछा- यूपी, बिहार, राजस्थान में तीसरी भाषा कौन सी होगी?

Raj Thackeray speech में उन्होंने कहा, “एक मंत्री मुझसे मिले और अपनी बात मनवाने की कोशिश की, लेकिन मैंने साफ कह दिया कि मैं सुनूंगा पर मानूंगा नहीं। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों में ‘तीसरी भाषा’ क्या होगी? ये राज्य विकास में हमसे पीछे हैं, फिर हमें जबरन हिंदी क्यों सीखनी पड़े?”

हिंदी थोपना अन्याय, मराठी पर नहीं होने देंगे अत्याचार

राज ठाकरे ने कहा, “मुझे हिंदी से कोई आपत्ति नहीं, कोई भी भाषा बुरी नहीं होती। भाषा बनाना मेहनत का काम होता है। मराठा साम्राज्य के वक्त हमने कई राज्यों पर राज किया, लेकिन मराठी कभी नहीं थोपी। अब हम पर हिंदी थोपने की कोशिश हो रही है, ताकि अगर हम चुप रहें तो मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर दिया जाए।”

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हिंदी अच्छी भाषा, लेकिन जबरदस्ती मंजूर नहीं

राज ठाकरे ने कहा, “हमारी शांति का मतलब ये नहीं कि हम डरते हैं। कोई भी मुंबई को महाराष्ट्र से अलग नहीं कर सकता। Hindi imposition सही नहीं है। हिंदी अच्छी भाषा है, लेकिन इसे जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता। हिंदी भाषी लोग खुद रोजगार के लिए महाराष्ट्र आते हैं, इसलिए मराठी का सम्मान जरूरी है।”

उद्धव ठाकरे का बयान- मराठी के लिए लड़ना है तो हम भी गुंडे हैं

अपनी 24 मिनट की स्पीच में उद्धव ठाकरे ने साफ कहा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वह गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन अगर मराठी भाषा के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम भी गुंडे हैं।” उद्धव ने 1992 के दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि मुंबई के मराठी लोगों ने हिंदुओं की रक्षा की थी।

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हिंदी थोपना मंजूर नहीं- उद्धव ठाकरे

उद्धव ने कहा, “आजादी के समय भी महाराष्ट्र में मराठी भाषा के खिलाफ साजिश हुई थी। अब केंद्र की मोदी सरकार हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान का नारा देती है। हमें हिंदू और हिंदुस्तान चाहिए, पर हिंदी थोपना मंजूर नहीं। आपकी सात पीढ़ियां भी हम पर हिंदी थोपने की कोशिश करेंगी, तब भी हम मराठी के लिए लड़ते रहेंगे।”

हमारा इस्तेमाल कर हमें छोड़ दिया गया- उद्धव का दर्द

उद्धव ठाकरे ने कहा, “आज कई बाबा हमारी कुंडली देखने में लगे हैं कि क्या हम (राज-उद्धव) फिर साथ आएंगे। हमें अनुभव है कि कैसे हमारा इस्तेमाल कर हमें छोड़ दिया गया। लेकिन आज हम साथ हैं। हमारे बच्चों के स्कूल पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन कोई ये क्यों नहीं पूछता कि नरेंद्र मोदी किस स्कूल में पढ़े थे?” उद्धव का यह बयान राजनीतिक कटाक्ष और उनकी Marathi pride का भी संकेत है।

उद्धव ठाकरे ने उठाया सवाल- नरेंद्र मोदी किस स्कूल में पढ़े थे?

Uddhav Thackeray statement में उन्होंने कहा, “आज कई बाबा ज्योतिषी हमारी कुंडली देखने में लगे हैं कि हम (राज-उद्धव) साथ आएंगे या नहीं। लेकिन मेरे दादाजी ने ऐसे भोंडू बाबाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। हमने अनुभव किया है कि किस तरह हमें इस्तेमाल कर छोड़ दिया गया। आज हम दोनों साथ हैं, लेकिन भाजपा के लोग हमारे बच्चों के स्कूल की बातें उठाते हैं। पर क्या किसी ने पूछा कि Narendra Modi school कौन सा था?” उद्धव ने भाजपा को अफवाह फैलाने वाली पार्टी भी बताया।

मराठी भाषा ने घटाई राज-उद्धव के बीच की दूरियां

उद्धव ठाकरे ने कहा, “हमारे बीच की दूरियां मराठी ने कम कर दी हैं और यह सभी को अच्छा लग रहा है। Marathi unity ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। भाषा विवाद पर राज ठाकरे ने पहले ही बहुत कुछ कह दिया है, मुझे और कुछ कहने की जरूरत नहीं।”

महाराष्ट्र में भाषा विवाद कैसे शुरू हुआ?

महाराष्ट्र सरकार ने अप्रैल में कक्षा 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया था। यह नियम सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया था। इस फैसले के बाद राज्य में Maharashtra language controversy शुरू हो गई थी।

NEP 2020 के तहत लागू की गई थी नई भाषा नीति

यह फैसला NEP 2020 यानी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत तैयार किए गए नए करिकुलम के अनुसार लिया गया था। इसके तहत महाराष्ट्र में इन क्लासेज के लिए third language policy लागू की गई थी, जिसके बाद हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाना जरूरी कर दिया गया।

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विवाद बढ़ा तो सरकार ने जारी की नई गाइडलाइंस

भाषा विवाद के बढ़ने पर महाराष्ट्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी कीं। अब मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में कक्षा 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा दूसरी भारतीय भाषाओं का भी विकल्प चुन सकते हैं।

दूसरी भाषा चुनने के लिए क्या हैं शर्तें?

नई गाइडलाइंस के अनुसार, अगर किसी क्लास में कम से कम 20 स्टूडेंट्स हिंदी के बजाय दूसरी भाषा चुनते हैं, तो स्कूल को उस भाषा का टीचर नियुक्त करना होगा। अगर 20 से कम स्टूडेंट्स दूसरी भाषा का विकल्प चुनते हैं, तो उस भाषा की पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से कराई जाएगी।

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