राजस्‍थान की राजनिति में फिर उथल–पुथल के संकेत: मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा- राजस्थान की चलती सरकार को गिराने का खेल फिर से शुरू; पुनिया का पलटवार – बोले‚ गहलोत मनोबल खो चुके Read it later

satish poonia ashok gehlot

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को एक बड़ा बयान दिया। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। गहलोत ने एक बार फिर भाजपा पर राज्य सरकार को गिराने का खेल शुरू करने का आरोप लगाया है। यही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि जनता कहती है कि अब महाराष्ट्र की बारी आ रही है।
सीएम गहलोत ने यह बात सिरोही में कांग्रेस कार्यालय के उद्घाटन समारोह में कही। उन्होंने एक आभासी सम्मेलन के माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि वह पहले भी बागी विधायकों से मिल चुके हैं। तब शाह ने विधायकों से कहा कि यह मेरा प्रेस्टीज पॉइंट है। मैंने 5 सरकारें गिरा दी हैं, मैं राजस्‍थान की छठी सरकार भी गिराऊंगा।

कोरोनरी अवधि के दौरान भी सरकार को नीचे लाने के प्रयास किए गए – गहलोत

सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोना अवधि के दौरान भी राजस्थान सरकार को गिराने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि जब हमारे विधायक अमित शाह से मिलने गए थे, तो पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्यसभा सांसद सैयद जाफर इस्लाम भी इस बैठक में मौजूद थे। उस दौरान यह बैठक लगभग एक घंटे के करीब तक चली।
हमारे विधायकों ने आकर मुझे बताया कि हमें शर्म आ रही थी कि कहां एक तरफ सरदार पटेल जैसे गृह मंत्री थे और दूसरी तरफ अमित शाह जैसे लोग गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। विधायकों ने यह भी बताया था कि मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उस समय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के साथ एक ड्रामा ड्रामा भी कर रहे थे और उन विधायकों को प्रोत्साहित भी कर रहे थे।
उस दौरान वहां कुल मिलाकर, माहौल इस तरह का बनाया जा रहा था कि हमें 4 राज्यों की सरकार को पटखनी देने का अनुभव है और पांचवीं को भी गिराकर रहेंगे। गहलोत ने कहा कि उस समय अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, वेणुगोपाल और अविनाश पांडे यहां आए थे। उस समय, उन्होंने जो फैसले लिए, हमारे नेताओं को बर्खास्त कर दिया, तब हमारी सरकार बच सकती थी।

गहलोत अपना मनोबल खो चुके हैं: पूनिया

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ। सतीश पूनिया ने गहलोत के इस बयान पर पलटवार किया कि सरकार टॉपलेस हो रही है। उन्होंने कहा कि गहलोत के आज के बयान से यह स्पष्ट था कि सरकार दो साल तक सरकार चलाने में विफल रही है और उनके बयानों में मानसिक विचलन दिखाई दे रहा है। मुझे लगता है कि उन्होंने अपना मनोबल और नैतिक साहस खो दिया है।
उन्होंने कहा कि यह खेदजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य के मुख्यमंत्री बिना किसी सबूत के भारत के गृह मंत्री और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम ले रहे हैं, जो राजनीति की सीमा से बाहर भी है। गहलोत जी बार-बार अपनी ताकत को झकझोरने के डर से “भेड़िया आया-भेड़िया आया” कहकर भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं। अब जनता राज्य की कांग्रेस पार्टी की कलह को समझ चुकी है। यह सरकार कुशासन से तंग आ चुकी है।

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