विधायक दल की बैठक से पहले गुजरात भाजपा अध्यक्ष के आवास पर ​बैठक, जानिए चुनाव से पूर्व भाजपा की हर बार सीएम बदलने की रणनीति Read it later

 

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की पद से विदाई की मुख्य वजह

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की पद से विदाई की मुख्य वजह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को बताया जा रहा है। बहरहाल रविवार को अहमदाबाद में आज दोपहर 3 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें नए सीएम के नाम पर फैसला लिया जाएगा। 

इससे पहले पर्यवेक्षक के तौर पर अहमदाबाद पहुंचे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ, गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के घर पहुंचे और नए मुख्यमंत्री के पद पर मंथन किया। 

गुजरात पहुंचने पर तोमर ने कहा कि वह यहां नए मुख्यमंत्री के नाम पर विमर्श में शामिल होने आए हैं। हम इस बारे में गुजरात बीजेपी अध्यक्ष और अन्य नेताओं से बात करेंगे।

दादर नगर हवेली, दमन-दीव और लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ाभाई पटेल, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया गुजरात के नए सीएम की दौड़ में हैं। वहीं केंद्रीय मत्स्य पालन एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के नामों पर भी चर्चा है।

रूपाणी बोले- नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व में ही होगा 2022 का चुनाव

अपने इस्तीफे के बाद रूपाणी ने कहा कि अब उन्हें जो भी जिम्मेदारी मिलेगी वह निभाएंगे। हम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में राज्य का चुनाव लड़ते हैं और 2022 का चुनाव भी उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।

आपको बता दें कि रूपाणी ने 26 दिसंबर 2017 को दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। गुजरात में 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 182 में से 99 सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत पाया था। तब 

विजय रूपाणी को विधायक दल का नेता और नितिन पटेल को उपनेता चुना गया था। रूपाणी वर्तमान में राजकोट (पश्चिम) सीट से एमएलए हैं।

रूपाणी सुबह मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और 3 घंटे बाद ​इस्तीफे से सबको चौंकाया

रूपाणी सुबह मोदी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और 3 घंटे बाद ​इस्तीफे से सबको चौंकाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अहमदाबाद में सरदारधाम भवन का उद्घाटन किया था। करीब एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में विजय रूपाणी ने भी हिस्सा लिया था, लेकिन दोपहर करीब 3 बजे रूपाणी ने अचानक अपने इस्तीफे की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था। 

क्या गुजरात में ऐसा पहली बार नहीं, हर बार चुनाव से पहले बदलते सीएम

गुजरात में अगले साल के भीतर नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में इस बदलाव को सत्ता विरोधी लहर को कम करने की कवायद माना जा रहा है। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से एक साल पहले, आनंदीबेन पटेल को ​बदल कर विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

मोदी भी खुद इसी तरह के बदलाव के बाद बने थे मुख्यमंत्री

मोदी भी खुद इसी तरह के बदलाव के बाद बने थे मुख्यमंत्री


आनंदी बेन इस पद पर मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आई थीं। मोदी खुद इसी तरह के बदलाव के बाद अक्टूबर 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर असीन हुए थे। जब नरेंद्र मोदी को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया गया था, तब भाजपा के केशुभाई पटेल ने चार साल का कार्यकाल पूरा किया था।

इस तरह के बदलाव का कारण क्या है?

जानकारों का कहना है कि राजनीतिक दल मुख्यमंत्री को बदलकर चार साल में पैदा हुई सत्ता विरोधी लहर को खत्म करने की कोशिश करते हैं। वहीं दूसरी तरफ पार्टी में विरोधी गुटों पर चुनाव से पहले उन्हें राजी करने की कौशिश के रूप में इस बदलाव को देखा जा सकता है। 

बीजेपी में इस तरह के बदलाव की एक वजह आरएसएस को ग्राउंड लेवल पर फीडबैक मिलना भी बताया जा रहा है। आरएसएस को जब ग्राउंड से मुख्यमंत्री के खिलाफ नाराजगी की जानकारी मिलती है तो वह इस तरह के बदलाव की मांग करती है। 

आपको बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दो हफ्ते पहले ही गुजरात दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल समेत कई नेताओं के साथ चर्चाएं की थी। 

वहीं भागवत के दौरे के बीच जन्माष्टमी के अवसर पर गुजरात में सुरेश सोनी ने भी अमित शाह से मुलाकात की थी। तभी से गुजरात में मुख्यमंत्री बदलने की बातें किसी न किसी तरह गुजरात की राजनीति में छाई हुई थीं।

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