कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के 24 घंटे बाद हाइकमान ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला आखिरकार कर लिया। अब दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। दरअसल कांग्रेस ने चन्नी का पंजाब का मुख्यमंत्री बनाकर राज्य के 32 प्रतिशत दलित वोट को टारगेट किया है। बहरहाल चन्नी कल सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
सिद्धू ने खुद को सीएम बनाने का दावा पेश किया लेकिन हाइकमान इस पर राजी नहीं हुआ
अंदरखाने से आई खबरों की मानें तो पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा (सुखी) का सीएम बनना तय था, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष सिद्धू इसपर राजी नहीं हुए, सिद्धू ने खुद को सीएम बनाने का दावा पेश किया था,
लेकिन वह पंजाब कांग्रेस के मुखिया हैं, ऐसे में आलाकमान ने उनके दावे को खरिज कर दिया। इसके बाद सिद्धू खेमे ने दलित को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही। बता दें कि कैप्टन के खिलाफ विरोध करने वाले गुट में चन्नी भी शामिल थे।
सिद्धू का सीएम के तौर पर चन्नी के नाम का प्रस्ताव रखने की वजह ये भी है कि सिद्धू ऐसा मुख्यमंत्री चाहते हें जो उनकी बात को तरजीह दे। वहीं सुखजिंदर रंधावा का व्यवहार ऐसा नहीं है।
It gives me immense pleasure to announce that Sh. #CharanjitSinghChanni has been unanimously elected as the Leader of the Congress Legislature Party of Punjab.@INCIndia @RahulGandhi @INCPunjab pic.twitter.com/iboTOvavPd
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) September 19, 2021
चरणजीत सिंह चन्नी चमकौर साहिब से लगातार तीन बार एमएलए चुने गए है। 2007 में वे निर्दलीय विजयी हुए थे। इसके बाद वे दो बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक बने।
वह 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के के नेता भी रहे। चन्नी रामदासिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। 2017 में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की कैबिनेट बनीं तो उन्हें तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री का पद दिया गया था।
चन्नी ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ अगस्त में विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि हमें पंजाब के मुद्दों को सुलझाने के लिए अब अमरिंदर पर भरोसा नहीं है।
कल से श्राद्ध पक्ष इसलिए आज ही ली जा सकती है शपथ
पंजाब में सियासी घमासान के बीच कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने राज्यपाल से मिलने का समय मांगा है। खबर यह भी है कि नए मुख्यमंत्री आज ही शपथ ले सकते हैं, क्योंकि कल से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है।
रंधावा का नाम आया तो विधायकों से मिलने पहुंचे
इससे पहले माझा क्षेत्र के बड़े नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा का जब मुख्यमंत्री पद के लिए नाम आया तो वे अपना घर छोड़कर विधायक कुलबीर जीरा के घर पहुंचे। करीब आधे घंटे तक यहां रहने के बाद वे चले गए।
विधायक बोले- पंजाब सिख राज्य तो सीएम भी सिख ही हो
मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस पर्यवेक्षक अजय माकन, हरीश चौधरी और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत शुरुआत से विधायकों का फीडबैक ले रहे थे। उनसे पूछा जा रहा था कि वे किसे मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इस बीच कांग्रेस विधायक परमिंदर पिंकी ने कहा कि पंजाब एक सिख राज्य है, इसलिए यहां सिर्फ एक सिख चेहरे को ही मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए।
दो डिप्टी सीएम बनाने का फैसला
पंजाब में नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के साथ ही दो डिप्टी सीएम बनाने का भी फैसला किया गया है. बताया जा रहा है कि डिप्टी सीएम के लिए अरुणा चौधरी और भारत भूषण आशु के नाम तय हो गए हैं. हिंदू नेता भारत भूषण आशु 2012 और 2017 में लुधियाना पश्चिम से विधायक चुने गए थे।
वह कैप्टन सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री भी रह चुके हैं। इससे पहले वे नगर निगम में पार्षद थे। आशु को इस समय पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का करीबी माना जाता है।
इससे पहले वह प्रताप सिंह बाजवा के गुट में थे। उन्हें कप्तान से ज्यादा कुछ नहीं मिला, लेकिन आलाकमान के दबाव के चलते वे दूसरी बार विधायक बनते ही मंत्री बनने में सफल रहे.
अरुणा चौधरी गुरदासपुर के दीनानगर से विधायक और दलित नेता हैं। वह कैप्टन सरकार में सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं। वह 2002, 2012 और फिर 2017 में दीनानगर से विधायक चुनी गईं।
वहीं अरुणा अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी की एमएलए हैं। उनके ससुर जय मुनि चौधरी लगातार 25 साल तक दीनानगर से विधायक रहे हैं।
पंजाब में नया सीएम चुने जाने में देरी की वजह क्या रही
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब के नए मुख्यमंत्री पर फैसला शनिवार रात को ही विधायक दल की बैठक में होना था। ऐसे में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ का सीएम बनना लगभग तय माना जा रहा था। इस बीच अचानक पंजाब के सिख राज्य होने के कारण सिख चेहरे की मांग शुरू हो गई और कांग्रेस हिंदू और सिख चेहरे के चक्कर में उलझी रह गई।