Somvati Amavasya: सोमवार, 30 दिसंबर को पौष मास की अमावस्या है। जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह दिन देवी-देवताओं की पूजा और पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य करने के लिए बेहद खास माना जाता है।
अमावस्या पर पितरों के लिए धर्म-कर्म का महत्व
अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देव माने जाते हैं। इस तिथि का नाम अमा नाम के पितर के नाम पर पड़ा है।
महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार, इस दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने से पितर देव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अमावस्या पर पितरों के लिए धूप, ध्यान, पिंडदान और श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
पद्म पुराण में बताया गया है कि इस दिन व्रत, नदी स्नान और दान-पुण्य करने से शुभ फल मिलता है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा विशेष लाभकारी मानी जाती है।
अमावस्या पर शुभ कार्यों का महत्व
- तीर्थ यात्रा और गंगा स्नान:
स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या पर तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान करना पापों का नाश करता है। - भगवान शिव की पूजा:
इस दिन शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाकर बिल्व पत्र और धतूरा अर्पित करें। “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। - महालक्ष्मी और विष्णु पूजन:
महालक्ष्मी और भगवान विष्णु का अभिषेक करें और “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। - हनुमान पूजा:
हनुमान जी के समक्ष दीपक जलाकर सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। राम नाम का जाप भी शुभ माना जाता है। - दान-पुण्य:
जल, अनाज, कपड़े और धन का दान करें। भगवान के वस्त्र, भोग सामग्री, कुमकुम, गुलाल और घी का दान पितरों की तृप्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा एक साथ एक ही राशि में होते हैं। 30 दिसंबर को यह धनु राशि में रहेंगे। सूर्य की स्थिति से चंद्र कमजोर होता है, इसलिए इस दिन सूर्य को जल और चंद्र देव की पूजा से कुंडली के दोष शांत होते हैं।
महाभारत और पांडवों का श्राद्ध
महाभारत के अनुसार, पांडवों ने भी अमावस्या पर अपने पितरों का तर्पण किया था। इस दिन किए गए दान और श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
अमावस्या पर और कौन-कौन से काम करें?
- हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें।
- भगवान श्रीकृष्ण को दूध चढ़ाएं और “कृं कृष्णाय नम:” मंत्र का जाप करें।
- शिवलिंग पर चंदन का लेप करें और जल चढ़ाएं।
- मंदिरों में पूजन सामग्री, मिठाई और घी का दान करें।
अमावस्या का फल:
इस दिन किए गए धर्म-कर्म, पूजा-पाठ और दान से न केवल पितर तृप्त होते हैं, बल्कि जाने-अनजाने में किए गए पाप भी समाप्त होते हैं।
सोमवती अमावस्या से जुड़ी अन्य जानकारी जो आपको जाननी चाहिए
1. सोमवती अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व:
सोमवती अमावस्या तब आती है, जब अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है। यह दिन चंद्र और सूर्य के संयोग का प्रतिनिधित्व करता है, जो ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह कुंडली के दोष शांत करने और पितृ दोष का निवारण करने के लिए सबसे अच्छा दिन होता है।
2. इस दिन नदी स्नान का महत्व:
पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, नर्मदा, और गोदावरी में स्नान करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान:
सोमवती अमावस्या पर पितरों को तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध करने से वे तृप्त होते हैं। इसके साथ ही, पितृ दोष समाप्त होता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
4. सोमवती अमावस्या पर व्रत:
सोमवती अमावस्या का व्रत मुख्य रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं, उसे जल चढ़ाती हैं और 108 बार परिक्रमा करती हैं।
5. इस दिन पूजा के विशेष मंत्र:
- शिव पूजा मंत्र: “ऊँ नमः शिवाय।”
- विष्णु पूजा मंत्र: “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।”
- पितरों के लिए तर्पण मंत्र: “ॐ पितृभ्यः स्वधा।”
6. सोमवती अमावस्या से जुड़े धार्मिक ग्रंथों के उल्लेख:
- महाभारत: इसमें पांडवों द्वारा पितरों का तर्पण करने का उल्लेख है।
- गरुड़ पुराण: इस दिन पिंडदान और तर्पण के महत्व को स्पष्ट किया गया है।
- पद्म पुराण: इसमें अमावस्या पर दान और व्रत के लाभ बताए गए हैं।
- स्कंद पुराण: तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान का महत्व समझाया गया है।
7. अन्य धार्मिक कार्य:
- तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करना।
- मंदिर में भगवान को पुष्प, मिठाई, और भोग चढ़ाना।
8. कुंडली में दोष दूर करने का उपाय:
इस दिन सूर्य और चंद्रमा को जल चढ़ाने से ग्रह दोष शांत होते हैं। खासतौर पर, चंद्रमा से जुड़े दोष (जैसे मानसिक तनाव और अस्थिरता) और सूर्य से जुड़े दोष (जैसे आत्मविश्वास की कमी और स्वास्थ्य समस्याएं) को कम करने के लिए यह दिन उपयुक्त है।
9. सोमवती अमावस्या का आध्यात्मिक संदेश:
सोमवती अमावस्या आत्मा की शुद्धि और पितरों की तृप्ति के लिए एक विशेष दिन है। यह दिन जीवन के कर्मों को सुधारने और मोक्ष की ओर बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।
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