कलाई पर लाल धागा बांधने का क्‍या है रहस्‍य, इस नियम से बांधेंगे तो हमेशा बने रहेंगे भाग्यशाली Read it later

Kalawa Significance: लाल धागा, जिसे कलावा (Kalawa), मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, भारतीय पूजा-पद्धति और धर्म-कर्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूजा की शुरुआत में ही इसे कलाई पर बांधा जाता है। यह सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके पीछे पवित्रता, सकारात्मकता, स्वास्थ्य और सौभाग्य का गहरा संदेश छिपा होता है।

आइए जानें लाल धागा बांधने की परंपरा से जुड़े धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण।

Table of Contents

लाल धागा: पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक
  • धार्मिक मान्यता:
    लाल धागा देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है। इसे बांधने से व्यक्ति के विचार पवित्र और सकारात्मक बनते हैं।

    • पूजा के दौरान इसे बांधने से भक्ति और ध्यान बढ़ता है।
    • इसे रक्षा सूत्र कहा जाता है, जो बुरी नजर, नकारात्मकता और दुर्भाग्य से बचाने में सहायक होता है।
  • सांस्कृतिक महत्व:
    लाल रंग को हमेशा से शुभ और पवित्र माना गया है। यह उत्साह, सौभाग्य, ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है।
कलावा बांधने के फायदे
  • धार्मिक फायदे:
    • पूजा-पाठ के दौरान कलावा बांधने से अनुशासन और एकाग्रता बनी रहती है।
    • यह शुभ अवसरों और अनुष्ठानों में व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना करता है।
  • आध्यात्मिक लाभ:
    • माना जाता है कि कलाई पर कलावा बांधने से व्यक्ति बुराई और नकारात्मकता से बचता है।
    • यह भक्त के भीतर आस्था और भक्ति का संचार करता है।
  • स्वास्थ्य लाभ:
    • आयुर्वेद के अनुसार, कलाई पर धागा बांधने से नसों पर हल्का दबाव बनता है, जो वात, पित्त और कफ को नियंत्रित कर सकता है।
    • यह एक्यूप्रेशर तकनीक के तहत थकान दूर करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
    • नसों पर बने दबाव से शरीर और मस्तिष्क के बीच संतुलन बना रहता है।

 लाल धागा पहनने से लाभ

  • नकारात्मक ऊर्जा से बचाव।
  • दुर्भाग्य को दूर करने में सहायक।
  • हनुमान जी और मंगल देवता की कृपा प्राप्त करना।
  • स्वास्थ्य में सुधार और मानसिक शांति।
धार्मिक अनुष्ठानों में लाल धागे का महत्व
  1. यज्ञ और हवन:
    लाल धागा अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के साथ बांधा जाता है।
  2. विवाह और अन्य शुभ कार्य:
    इसे बांधने से अनुष्ठान में बाधा नहीं आती और देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।
लाल धागा बांधने का सही तरीका
  • कौन-सा मंत्र बोलें?
    • “येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
      तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।”
    • यह मंत्र कलावा बांधते समय जपने से इसका प्रभाव बढ़ता है।
  • कौन बंधे और किस हाथ में?
    • पुरुषों को दाएं हाथ और महिलाओं को बाएं हाथ की कलाई पर लाल धागा बांधना चाहिए।
    • विवाह के बाद महिलाएं पति का “वाम” अंग मानी जाती हैं, इसीलिए उनके बाएं हाथ पर धागा बांधा जाता है।

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लाल धागा: सेहत का साथी
  • एक्यूप्रेशर के फायदे:
    • कलाई पर बंधे धागे का हल्का दबाव नसों को सक्रिय करता है।
    • थकान कम होती है और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
    • यह व्यक्ति को शांत और तनावमुक्त रखने में मदद करता है।
  • आयुर्वेद और नाड़ी परीक्षण:
    • कलाई पर बांधा गया धागा रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
    • यह नाड़ी परीक्षण वाली नसों को स्थिर रखता है, जिससे शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को नियंत्रित किया जा सकता है।
कलावा बांधने के नियम और सावधानियां
  1. इसे हमेशा पूजा या अनुष्ठान के दौरान ही बांधें।
  2. किसी योग्य व्यक्ति जैसे पुजारी, गुरु या घर के बड़े-बुजुर्ग से इसे बंधवाना उचित है।
  3. इसे समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
लाल धागा: बुराइयों से बचाव का साधन

लाल धागा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह बुरे विचारों और नकारात्मकता से भी बचाता है। जब भी मन में कोई बुरा विचार आए, इस धागे पर ध्यान केंद्रित करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करेगा।

डिजिटल युग में भी है परंपरा का महत्व

आज के दौर में जहां बहुत कुछ डिजिटल हो गया है, ऐसे में लाल धागे जैसी परंपराएं हमारी संस्कृति और स्वास्थ्य दोनों को संरक्षित करने में सहायक हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक लाभ का साधन भी है।

कलावा बांधने और उतारने के नियम: जानिए सही विधि और महत्व

कलावा, जिसे मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का एक अभिन्न हिस्सा है। इसे बांधने और उतारने के लिए कुछ विशेष नियम और परंपराएं हैं, जो इसे और भी पवित्र और प्रभावी बनाती हैं। कलावा बांधने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और सुरक्षा मिलती है।

आइए जानते हैं कलावा बांधने और उतारने से जुड़े नियम और उनके लाभ।

कलावा बांधने के नियम

शास्त्रों में कलावा बांधने की प्रक्रिया और दिशा-निर्देश बहुत स्पष्ट हैं। इसे सही तरीके से बांधने से सकारात्मक प्रभाव और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

पुरुष और महिलाओं के लिए अलग नियम:
  1. पुरुष और कुंवारी लड़कियां:
    • दाहिने हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
  2. विवाहित महिलाएं:
    • बाएं हाथ की कलाई पर कलावा बांधें।
    • विवाहित महिलाओं के लिए बाएं हाथ पर कलावा बांधना शुभ माना गया है क्योंकि यह पति के “वाम अंग” का प्रतीक है।
कलावा बांधने की विधि:
  1. जब भी कलावा बांधें, अपने हाथ में एक सिक्का या रुपया लेकर मुट्ठी बंद कर लें।
  2. अपने दूसरे हाथ को सिर पर रखें और फिर कलावा बंधवाएं।
  3. बंधने के बाद वह दक्षिणा (सिक्का या रुपया) कलावा बांधने वाले व्यक्ति को दे दें।
  4. कलाई पर 3, 5 या 7 बार कलावा लपेटना शुभ माना गया है।
मंत्र का जाप:

कलावा बांधते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। यह मंत्र सुरक्षा और सौभाग्य प्रदान करता है:

“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”

यह मंत्र व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और उसके जीवन में शुभता लाता है।

कलावा उतारने के नियम

कलावा उतारने के लिए भी कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। इसे सही दिन और विधि से उतारना अशुभ प्रभाव से बचाता है।

उतारने के लिए शुभ दिन:
  1. मंगलवार और शनिवार को कलावा उतारना शुभ माना गया है।
  2. इन दिनों कलावा उतारने से नकारात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है।
पुराने कलावे का सही निपटान:
  1. उतारे गए कलावे को पीपल के पेड़ के नीचे रखें या बहते पानी में प्रवाहित कर दें।
  2. ध्यान रखें कि पुराने कलावे को कहीं भी इधर-उधर न फेंकें, क्योंकि इससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं।
  3. पुराने कलावे को दुबारा कभी भी न बांधें।
कलावा पहनने की अवधि
  • शास्त्रों के अनुसार, कलावा को 21 दिनों तक ही पहनना चाहिए।
  • 21 दिन के बाद कलावा सकारात्मक ऊर्जा देना बंद कर देता है।
  • समय पूरा होने पर पुराने कलावे को नई विधि से बदल लें।
कलावा पहनने के लाभ
सकारात्मक ऊर्जा:
  • कलावा व्यक्ति को नकारात्मकता और दुर्भाग्य से बचाता है।
  • इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
धार्मिक और मानसिक शांति:
  • यह पूजा-पाठ में एकाग्रता बढ़ाता है।
  • व्यक्ति के मन में पवित्रता और भक्ति का संचार करता है।
आयुर्वेदिक लाभ:
  • कलाई पर कलावा बांधने से नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जो शरीर के वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करता है।
  • नसों पर दबाव से एक्यूप्रेशर का प्रभाव मिलता है, जिससे थकान दूर होती है और ऊर्जा का संचार होता है।
कलावा बांधने और उतारने से जुड़ी सावधानियां
  1. हमेशा नया कलावा बांधें। पुराने कलावे को दुबारा इस्तेमाल न करें।
  2. कलावा बांधने और उतारने के समय मानसिक और शारीरिक रूप से शांत रहें।
  3. कलावा बांधने के बाद अपने जीवन में अनुशासन और भक्ति बनाए रखें।
लाल धागा: सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व

लाल रंग को खुशी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चीनी संस्कृति में इसे विशेष महत्व दिया गया है। वहां लाल धागा न केवल प्रेम और किस्मत का प्रतीक है, बल्कि इसे किस्मत से जुड़े दो लोगों के बीच एक अमिट डोरी के रूप में देखा जाता है। यह डोरी खिंच सकती है या उलझ सकती है, लेकिन कभी टूटती नहीं। इसी तरह, भारतीय परंपरा में लाल धागा या कलावा धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बहुत खास है।

किन राशि वालों को बांधना चाहिए लाल धागा?

ज्योतिष के अनुसार, कुछ राशियों के लिए लाल धागा बहुत ही शुभ और लाभकारी माना गया है।

  1. मेष राशि
    • मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी है, और मंगल को लाल रंग अत्यधिक प्रिय है।
    • लाल धागा बांधने से इस राशि के जातकों को मंगल ग्रह की शुभता प्राप्त होती है।
  2. सिंह राशि
    • सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। सूर्य को लाल और केसरिया रंग प्रिय हैं।
    • कलाई में लाल धागा पहनने से सूर्य की ऊर्जा बढ़ती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  3. वृश्चिक राशि
    • वृश्चिक का स्वामी भी मंगल ग्रह है।
    • ज्योतिष में कहा गया है कि इस राशि के जातकों को लाल धागा बांधने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और शत्रु बाधाओं से बचाव होता है।
किन राशियों को लाल धागा नहीं पहनना चाहिए?

हालांकि लाल धागा शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक है, लेकिन कुछ राशियों के लिए इसे पहनना अशुभ माना गया है।

  1. मकर और कुंभ राशि
    • मकर और कुंभ राशियों का स्वामी शनि ग्रह है।
    • शनि को लाल रंग पसंद नहीं है। इसलिए इन राशियों के जातकों को लाल धागा पहनने से बचना चाहिए।
    • ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, शनि के प्रकोप से बचने के लिए इन राशियों के लोगों को काले या नीले रंग का धागा पहनना चाहिए।
  2. मीन राशि
    • मीन राशि का स्वामी गुरु ग्रह है, जिसे हल्का पीला और केसरिया रंग पसंद है।
    • लाल रंग मीन राशि के जातकों के लिए अधिक शुभ नहीं माना जाता।
मंगल ग्रह और लाल धागे का ज्योतिषीय संबंध

लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। यह साहस, ऊर्जा, और आत्मविश्वास का रंग है। कलाई में लाल धागा बांधने से मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनकी कुंडली में मंगल कमजोर है या जिनकी कुंडली में मंगल दोष है।

वैदिक ज्ञान में लाल धागे का महत्व

पवित्र धागे को वैदिक संस्कृति में ज्ञान और अनुशासन का प्रतीक माना गया है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

  • प्रारंभिक समय में इसे केवल छात्रवृति के दौरान बांधा जाता था।
  • यह आज भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्य वर्ग के संस्कारों का हिस्सा है।
लाल धागे के पीछे का विज्ञान

आधुनिक विज्ञान भी लाल धागे या कलावा बांधने को फायदेमंद मानता है।

  1. रक्त प्रवाह में सुधार
    कलाई में लाल धागा बांधने से कलाई की नसों पर हल्का दबाव पड़ता है, जो रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  2. मंगल ऊर्जा का संचार
    कलाई में लाल धागा पहनने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्यक्ति के विचारों को स्पष्ट और प्रेरणादायक बनाता है।
  3. सकारात्मकता का प्रतीक
    लाल रंग साहस और ऊर्जा का प्रतीक है। इसे पहनने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।

लाल धागा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गहरा महत्व रखता है। यह न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। अगर इसे सही ढंग से बांधा जाए और सही मंत्रों का जाप किया जाए, तो यह नकारात्मकता से बचाने और शुभता प्रदान करने का कार्य करता है।

FAQ 
1. कलावा क्या है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?

कलावा (लाल धागा) कलाई पर बांधा जाने वाला पवित्र धागा है। इसे मौली या रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। यह पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे बांधने से व्यक्ति पर देवी-देवताओं की कृपा होती है और नकारात्मकता से बचाव होता है।

2. कलाई पर लाल धागा बांधने के पीछे क्या वैज्ञानिक कारण हैं?

लाल धागा कलाई की नसों पर हल्का दबाव डालता है, जो रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। यह आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शरीर में वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करता है और एक्यूप्रेशर तकनीक के लाभ देता है।

किन राशियों के लिए लाल धागा शुभ माना जाता है?

मेष, सिंह और वृश्चिक राशियों के लिए लाल धागा शुभ माना जाता है। ये राशियां मंगल और सूर्य से प्रभावित होती हैं, और लाल धागा इन ग्रहों की शुभता को बढ़ाता है।

किन राशियों को लाल धागा नहीं पहनना चाहिए?

मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों को लाल धागा पहनने से बचना चाहिए। शनि और गुरु ग्रह से प्रभावित इन राशियों के लिए लाल धागा अशुभ हो सकता है।

कलावा बांधने का सही तरीका क्या है?

कलावा बांधते समय इस मंत्र का जाप करें:
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥”

पुरुषों को दाएं हाथ की कलाई पर और महिलाओं को बाएं हाथ की कलाई पर इसे बांधना चाहिए।

कलावा कितने दिन तक पहनना चाहिए?

कलावा 21 दिनों तक पहनना चाहिए। इसके बाद यह सकारात्मक ऊर्जा देना बंद कर देता है, इसलिए इसे उतारकर नया कलावा बांध लेना चाहिए।

पुराने कलावा को कैसे हटाएं?

पुराने कलावा को मंगलवार या शनिवार के दिन उतारना शुभ माना जाता है। इसे पीपल के पेड़ के नीचे रखें या बहते पानी में प्रवाहित करें। इसे इधर-उधर फेंकने से बचना चाहिए।

क्या कलावा पहनने से स्वास्थ्य लाभ होते हैं?

जी हां, कलावा पहनने से नसों पर दबाव पड़ता है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। यह थकान को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

कलावा को बांधते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
  • इसे बांधते समय साफ मन से भगवान का स्मरण करें।
  • लाल धागा बांधने से पहले दक्षिणा हाथ में लेकर कलावा बांधने वाले को दें।
  • कम से कम 3, 5 या 7 बार कलाई पर लपेटें।
10. मंगल ग्रह और लाल धागे का क्या संबंध है?

लाल धागा मंगल ग्रह का प्रतीक है। इसे बांधने से मंगल ग्रह की ऊर्जा संतुलित होती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें लाल धागा पहनने से विशेष लाभ होता है।

 

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