सुशील कुमार खेल से मिली उपलब्धि संभाल नहीं पाए वहीं सरकार की अनदेखी से झारखंड की अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ईंट भट्टे पर मजदूरी करने को मजबूर Read it later

 

भारतीय फुटबॉल जगत की एक शर्मनाक तस्वीर

भारतीय फुटबॉल जगत की एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। और ये तस्वीर अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता सोरेन और झारखंड में रहने वाला उनके परिवार की है। इंटरनेशनल खिलाड़ी होने के बावजूद उन्हें व उनके परिवार के गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर होना पड़ रहा है। संगीता के पिता दुबे सोरेन नेत्रहीन होने के कारण कोई काम नहीं कर पा रहे हैं। संगीता का भाई दिहाड़ी मजदूर है। जिसकी आमदनी किसी दिन होती है और किसी दिन नहीं। ऐसे में संगीता को परिवार का पेट पालने के लिए खुद ईंट भट्ठे में काम करना पड़ रहा है। एक ओर ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट सुशील कुमार हैं जो खुद अपने खेल के बाद मिली उपलब्धियों को मेंटेन नहीं रख पाए वहीं दूसरी ओर एक फुटबॉल की इंटरनेशनल युवा खिलाड़ी हैं जिसे बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद सरकार से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है और सरकार से मदद नहीं मिल रही है और उन्हें ईंट भट्टे पर काम करके गुजारा करना पड़ रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉलर संगीता कुमारी को ईंट भट्टा में काम करना पड़ रहा हैं।भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक @KunalSarangi के ट्वीट पर केन्द्रीय राज्य मंत्री @KirenRijiju ने पहल करते हुए आर्थिक मदद और सम्मानजनक जिंदगी के लिए मदद की पेशकश की है।@HemantSorenJMM pic.twitter.com/B016brqsKl

— Sohan singh (@sohansingh05) May 23, 2021

 बता दें कि संगीता ने 4 महीने पहले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मदद की गुहार लगाई थी। वही अब जाकर महिला आयोग ने इस पर कार्रवाई करते हुए झारखंड सरकार और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को पत्र लिखा है। आयोग ने सरकार से संगीता को एक बेहतर नौकरी देने की बात कही है ताकि संगीता अपना शेष जीवन सम्मान के साथ बिता सकें। अंडर-17, अंडर-18 और अंडर-19 स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी संगीता ने अंडर-17 फुटबॉल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था।

.@dc_dhanbad कृपया संगीता बेटी और उनके परिवार को जरूरी सभी सरकारी मदद पहुँचाते हुए सूचित करें।
खेल-खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है और जल्द ही नीति और कार्यप्रणाली के साथ जनता के समक्ष आने वाली है। https://t.co/BJBEPAj5Jn

— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 6, 2020

झारखंड सरकार ने भी संगीता को किया मायूस

संगीता की मदद के लिए सबसे पहले पिछले साल अगस्त में आवाज उठाई गई  थी। तब हेमंत सोरेन ने अपने ट्वीटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा था कि संगीता और उनके परिवार को सभी जरूरी सरकारी मदद मुहैया कराकर सूचित किया जाए। सारेन ने कहा था कि खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार कटिबद्ध है, लेकिन इसके बाद भी संगीता को कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद 4 महीने पहले संगीता ने फिर मुख्यमंत्री से मदद मांगी।

इसका संज्ञान लेते हुए सीएम सोरेन ने फिर मदद का आश्वासन दिया। लेकिन अब तक संगीता को किसी तरह की कोई मदद नहीं पहुंचाई गई है। संगीता राज्य सरकार से मदद नहीं मिलने पर मायूस हैं। 

उन्होंने कहा- हम सरकार से क्या मांग करें। उन्हें अपने बारे में खुद सोचना चाहिए कि जिन आदिवासियों की मदद से झारखंड बना था उनके लिए ही राज्य की सरकार अपने मकसद से भटक गई है. मैंने पहले भी कई बार सरकार से मदद मांगी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

द टेलीग्राफ से बातचीत में संगीता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की देखभाल करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। मैंने सोशल मीडिया के जरिए उनका ध्यान खींचने की कोशिश की। मैंने छात्रवृत्ति के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मैंने भी अब कोशिश करना बंद कर दिया है। संगीता का चयन पिछले साल भी सीनियर राष्ट्रीय टीम में होना था, लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें यह मौका नहीं मिल सका।

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर ईंट भट्टे पर मजदूरी करने को मजबूर
भारतीय जूनियर महिला फुटबॉल टीम के साथ संगीता सोरेन (नीचे वाली पंक्ति में दाएं)

महिला आयोग ने राज्य सरकार को लिखा पत्र

झारखंड सरकार को लिखे पत्र को लेकर महिला आयोग ने प्रेस नोट भी जारी किया. इसमें उन्होंने लिखा- संगीता पिछले 3 साल से नौकरी पाने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। उन्हें भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए मात्र 10,000 रुपये दिए गए थे। संगीता की हालत देश के लिए शर्म की बात है। उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने विश्व फुटबॉल में न केवल अपने देश का बल्कि झारखंड का भी प्रतिनिधित्व किया है। यह सब उनकी लगन और मेहनत का नतीजा है।

“झारखंड सरकार संगीता की मदद करें”

महिला आयोग ने लिखा- चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने झारखंड के मुख्य सचिव से संगीता को हर संभव मदद देने को कहा है ताकि वह अपना शेष जीवन आत्मसम्मान के साथ जिएं और परिवार की मदद कर सकें. इसकी एक कॉपी एआईएफएफ को भी भेजी गई है।

खेल राज्यमंत्री किरिण रिजिजू ने मामले में संज्ञान लिया 

खेल राज्यमंत्री किरिण रिजिजू ने मामले में संज्ञान लिया

केंद्रीय खेल राज्यमंत्री किरिण रिजिजू ने मामले में संज्ञान लिया और उनकी वित्तीय सहायता पहुंचाने का वादा किया। किरिण रिजिजू ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा कि उन्हें फुटबॉलर संगीता सोरेन के बारे में जानकारी दी गयी थी। इन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इस महामारी में संगीता सोरेन वित्तीय संकट से जूझ रही हैं। किरिण रिजिजू ने लिखा कि उनके कार्यालय ने उनसे संपर्क स्थापित किया है और उनको जल्दी ही वित्तीय सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि एथलीट्स का सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना केंद्र सरकार की पहली प्राथमिकता है।

भारतीय जूनियर महिला फुटबॉल टीम के साथ संगीता सोरेन (नीचे वाली पंक्ति में दाएं)
गांव में प्रैक्टिस करतीं संगीता

गरीबी के कारण संगीता और उनके चावल और नमक के साथ रहना पड़ रहा

धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के रंगुनी पंचायत के बांसमुडी गांव की रहने वाली संगीता बताती हैं कि 10 साल पहले पिता की आंखों की रोशनी चली गई थी। तब से वे कोई काम करने में असमर्थ हैं। लॉकडाउन के कारण भाई को भी कोई काम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में संगीता खुद ईंट भट्ठे में काम कर घर का भरण-पोषण कर रही है। कभी-कभी गरीबी के कारण उन्हें चावल और नमक के साथ रहना पड़ता है।

फुटबॉल में हासिल सर्टिफिकेट दिखातीं संगीता

रोज करती हैं फुटबॉल की प्रेक्टिस

गरीबी के बावजूद संगीता रोज सुबह फुटबॉल प्रैक्टिस करने जाती हैं। संगीता कहती हैं कि मैं रोज सुबह साढ़े छह बजे उठकर मैदान में अभ्यास करती हूं। अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खेलने से पहले जब मैं मैदान में अभ्यास करने आती थी तो यहां के लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे। मैं उनसे अपनी टीम में शामिल करने का अनुरोध करती थी। लेकिन उन्होंने मुझे कभी नहीं खिलाया। जब फुटबॉल के मैदान से बाहर जाती थी तो मैं उसे किक मारती थी। तब भी लड़के मेरा मजाक उड़ाया करते थे। 

पहले मजाक अब लेते हैं सेल्फी

संगीता ने कहा कि मैंने इस जोक को चैलेंज की तरह लिया। मैंने बहुत मेहनत की इसके बाद एक सर ने बिरसा मुंडा क्लब धनबाद में मेरी एंट्री की। यहीं पर जिला और राज्य स्तर के माध्यम से राष्ट्रीय अंडर-17 फुटबॉल टीम में मेरा सलेक्शन हुआ। मैंने 2018 में अंडर -18 टीम के साथ भूटान में और अंडर -19 टीम के साथ थाईलैंड में फुटबॉल चैंपियनशिप में भाग लिया। अब जब मैं गांव जाती हूं तो जो लड़के मेरा मजाक उड़ाते थे, अब मेरे साथ सेल्फी खिंचवाते हैं। वहीं अब  मेरी फुटबॉल पर किक पर तालियां भी बजती हैं।

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