Gambling Latest Update:प्लेटफॉर्म्स प्रमोट किया तो खैर नहीं Read it later

Gambling Latest Update: सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने विशेष गाइडलाइन के तहत सोशल मीडिया पर सभी इंफ्लुएंसर्स व प्रमोटर्स को कहा है कि वे ऑफशोर ऑनलाइन बेटिंग व गैम्बलिंग प्लेटफार्म के प्रचार या विज्ञापन से बचें। मंत्रालय ने कहा है कि इन विज्ञापनों का उपभोक्ताओं, विशेषकर युवाओं पर महत्त्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ता है। कई रिपोर्ट्स के अनुसार 18 से 25 वर्ष के युवा सोशल मीडिया पर सर्वाधिक सक्रिय रहते हैं और उन पर इंफ्लुएंसर्स का प्रभाव भी अधिक होता है। ऐसे में इस तरह की गाइडलाइन बनाना जरूरी था। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट्स व साइबर लॉ एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक इसमें फॉलोअर बेस मायने नहीं रखता। फॉलोअर्स कम या अधिक होने पर भी यदि कोई भी कंटेंट गैम्बलिंग से जुड़ा है तो इसमें एक्शन लिया जा सकता है।

 

सरोगेट विज्ञापनों पर भी लागू

यह एडवाइजरी सरोगेट विज्ञापनों के लिए भी लागू है। सरोगेट विज्ञापन उन्हें कहा जाता है, जिसमें असल प्रोडक्ट या सर्विस के बजाय किसी सांकेतिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया जाता है । उदाहरण के लिए तंबाकू के विज्ञापनों में पान मसाले का इस्तेमाल।

नहीं मानने पर अकाउंट सस्पेंड

एडवाइजरी का अनुपालन न करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई हो सकती है, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट या खातों को हटाना या अक्षम करना और लागू कानूनों के तहत दंडात्मक कार्रवाई होगी।

कंपनी पर भी हो सकती है कार्रवाई

आइटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया कंपनियां दूसरों के जरिए डाले कंटेंट के लिए जिम्मेदार नहीं है लेकिन, यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गैम्बलिंग या बेटिंग का प्रचार हो रहा है तो सरकार कंपनी से कंटेंट हटवा सकती है।

गेमिंग ऐप नहीं है शामिल

गैम्बलिंग विषय राज्य सूची में आता है अत: राज्य भी अपने हिसाब से इस पर कानून बना सकते हैं। वर्तमान गाइडलाइन के अनुसार यदि आप किसी भी प्रकार से सांकेतिक तौर पर भी बेटिंग व गैम्बलिंग प्रमोट करते हैं तो न सिर्फ कंपनी पर बल्कि एंडोर्सर पर भी कार्रवाई होगी। हांलाकि इसमें गेमिंग ऐप्स शामिल नहीं है।

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