Hindenburg Adani Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) एक बार फिर सुर्खियों में है। हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अपने खुलासे में दावा किया है कि व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों से पता चला है कि अडानी मनी साइफनिंग घोटाले (Adani Money Siphoning Scam) में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में सेबी चेयरमैन (SEBI Chairman) की हिस्सेदारी थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट किया था। इसमें भारतीय कंपनी से जुड़े एक और बड़े खुलासे का संकेत दिया गया था। अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने पोस्ट में लिखा था, “भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है”।
शनिवार शाम को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक और पोस्ट किया और अपनी वेबसाइट पर इस खुलासे से जुड़ी एक रिपोर्ट (Hindenburg Adani Report) शेयर की। हिंडनबर्ग ने इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी चीफ के बीच लिंक का दावा किया है।
NEW FROM US:
Whistleblower Documents Reveal SEBI’s Chairperson Had Stake In Obscure Offshore Entities Used In Adani Money Siphoning Scandalhttps://t.co/3ULOLxxhkU
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) August 10, 2024
हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि व्हिसलब्लोअर से मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं (Offshore Entities SEBI) में सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच (SEBI Chairman Madhabi Puri Buch) की हिस्सेदारी थी।
सेबी प्रमुख और उनके पति पर हिंडनबर्ग ने आरोप लगाते हुए क्या कहा
रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च ने लिखा कि माधबी बुच (Madhabi Puri Buch) और उनके पति धवल बुच (Dhawal Butch) ने 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 (IPE Plus Fund 1) में अपना खाता खोला था। आईआईएफएल (IIFL) के एक प्रिंसिपल द्वारा हस्ताक्षरित फंड घोषणा में कहा गया है कि निवेश का स्रोत वेतन है और दंपति का कुल निवेश 10 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
हिंडनबर्ग का आरोप है कि ऑफशोर मॉरीशस फंड (Offshore Mauritius Fund) की स्थापना अडानी के एक निदेशक ने इंडिया इंफोलाइन (India Infoline) के जरिए की थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस (tax haven mauritius) में पंजीकृत है।
माधबी पुरी बुच की प्रोफाइल (Profile of Madhabi Puri Buch)
- सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन
- माधबी पुरी बुच सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की चेयरपर्सन हैं।
- वे इस पद पर नियुक्त होने वाली प्राइवेट सेक्टर की पहली महिला हैं।
- अप्रैल 2017 तक वे सेबी के पूर्व चीफ अजय त्यागी के साथ सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही थीं।
- त्यागी के रिटायरमेंट के बाद उन्हें शेयर बाजार नियामक संस्था सेबी के प्रमुख का पद सौंपा गया था।
- 28 फरवरी 2022 को उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई थी।
धवल बुच का प्रोफाइल (Profile of Dhaval Buch)
- प्रोक्योरमेंट के एक्सपर्ट, फंड के सलाहकार
- धवल IIT दिल्ली से 1984 में बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) हैं।
- वे ब्लैकस्टोन और अल्वारेज एंड मार्शल फंड के सलाहकार हैं।
- ब्लैकस्टोन ‘माइंडस्पेस’ व ‘नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट’ नाम की रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) कंपनीज की स्पॉन्सर है।
- सेबी से IPO लाने की अनुमति पाने वाली माइंडस्पेस देश की दूसरी और नेक्सस सिलेक्ट चौथी REIT कंपनी है।
- खुद को प्रोक्योरमेंट का एक्सपर्ट बताने वाले धवल यूनीलीवर में कार्यकारी निदेशक के पद पर रहे हैं।
बुच ने इन आरोपों को “निराधार” और “चरित्र हनन” का प्रयास बताया है। सेबी की अध्यक्ष ने सभी वित्तीय रिकॉर्ड घोषित करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा, “हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है।”
सेबी की हस्तक्षेप के बावजूद अडानी समूह ने अपना काम जारी रखा: हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट (Hindenburg Adani Report) में कहा है कि ‘उसने पहले देखा था कि अडानी समूह ने नियामक द्वारा हस्तक्षेप के जोखिम के बावजूद पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपना काम जारी रखा। इसे सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच (SEBI Chairman Madhabi Puri Buch) और अडानी समूह (Adani Group) के बीच संबंध के रूप में समझा जा सकता है।’
माधबी ने उस कंपनी की सहयता की जिसमें उनके पति खुद सलाहकार थे
अप्रैल 2019 में भारत में लॉन्च किया गया पहला REIT ‘एंबेसी’ ब्लैकस्टोन द्वारा प्रायोजित था। धवल बुच इस क्षेत्र में किसी भी अनुभव के बिना 3 महीने बाद ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में शामिल हुए। माधबी बुच तब सेबी की सदस्य थीं।
इसके बाद ब्लैकस्टोन द्वारा प्रायोजित दो और REIT, माइंडस्पेस और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट को भी सेबी ने मंजूरी दे दी। कई सम्मेलनों में माधबी ने इस बात पर जोर दिया है कि REIT भविष्य का मेरा पसंदीदा उत्पाद है। अगर यह सच है तो यह हितों के टकराव का मामला नजर आ रहा है।
ब्लैकस्टोन के सलाहकार के रूप में धवल बुच के कार्यकाल के दौरान, सेबी ने REIT के विनियमन में भी बड़े बदलाव किए। ब्लैकस्टोन दुनिया की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या माधबी ने उस कंपनी की मदद की जिसमें उनके पति सलाहकार थे।
पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी के शेयर्स में 86 बिलियन डॉलर की गिरवट आई थी
गौरतलब है कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने भारत के बिलियनेयर गौतम अडानी की ओर से नियंत्रित अडानी समूह को निशाना बनाकर बड़ा खुलासा करते हुए रिपोर्ट जारी की थी।
इसके बाद अडानी समूह के शेयरों में करीब 86 बिलियन डॉलर की बड़ी गिरावट आई थी। शेयर की कीमत में भारी गिरावट की वजह से बाद में समूह के फॉरेन लिस्टेड बॉन्ड में भारी बिकवाली दर्ज की गई थी। इस मामले पर सेबी ने हिंडनबर्ग को नोटिस भी जारी किया था।
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की वेबसाइट से खुलासे का हिंदी रुपांतरण यहां दिया जा रहा है- नीचे पढ़ें हिंडनबर्ग रिसर्च ने क्या कहा है।
अडानी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट में लगभग 18 महीने हो चुके हैं, जिसमें इस बात के भारी सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय समूह “कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला” कर रहा था। हमारी रिपोर्ट ने ऑफशोर, मुख्य रूप से मॉरीशस स्थित शेल संस्थाओं के एक जाल को उजागर किया, जिसका इस्तेमाल संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पक्ष लेनदेन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया गया।
तब से, सबूतों के बावजूद, साथ ही 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों ने हमारे मूल काम की पुष्टि और विस्तार किया, भारतीय प्रतिभूति नियामक सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है।[1] मीडिया ने बताया है कि मुद्दों की व्यापकता और परिमाण के बावजूद सेबी अडानी समूह पर केवल सांकेतिक, तकनीकी उल्लंघन लगा सकता है।
इसके बजाय, 27 जून, 2024 को, सेबी ने हमें एक स्पष्ट ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजा। सेबी ने हमारे 106-पृष्ठ के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक गलती का आरोप नहीं लगाया, बल्कि इसके बजाय दावा किया कि हमारी शॉर्ट पोजीशन के बारे में खुलासा – जिसका हमने बार-बार खुलासा किया – अपर्याप्त था, यह तर्क देते हुए कि हमें और भी अधिक मजबूत खुलासा प्रदान करना चाहिए था।
सेबी नोटिस में यह भी दावा किया गया कि हमारी रिपोर्ट सेबी के साथ काम करने के विशिष्ट अनुभव वाले प्रतिबंधित ब्रोकर को कोट करने के लिए “लापरवाह” थी, जिसने विस्तृत रूप से बताया कि कैसे नियामक को पूरी तरह से पता था कि अडानी जैसी फर्म नियमों का उल्लंघन करने के लिए जटिल ऑफशोर संस्थाओं का उपयोग करती हैं, और नियामक ने ही योजनाओं में भाग लिया।
जुलाई 2024 में ‘कारण बताओ’ नोटिस के जवाब में, हमने लिखा कि हमें यह अजीब लगा कि कैसे सेबी-एक नियामक जिसे विशेष रूप से धोखाधड़ी की प्रथाओं को रोकने के लिए स्थापित किया गया था- ने उन पार्टियों का सार्थक रूप से पीछा करने में बहुत कम रुचि दिखाई, जो सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से अरबों डॉलर के अघोषित संबंधित पार्टी लेनदेन में लगे हुए एक गुप्त ऑफशोर शेल साम्राज्य चलाते थे, जबकि नकली निवेश संस्थाओं के एक नेटवर्क के माध्यम से अपने शेयरों को आगे बढ़ाते थे।
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सेबी ने इन शेयरधारकों की अपनी जांच में कुछ नहीं किया, जैसा कि अदालत के रिकॉर्ड में विस्तृत है। जून 2024 के अंत में, अडानी के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने अडानी समूह के लिए लक्षित कुछ नियामक नोटिसों को “तुच्छ” बताया, जाहिर तौर पर प्रक्रिया समाप्त होने से पहले ही उनकी गंभीरता की संभावना को खत्म कर दिया।
Hindenburg Research की मूल रिपोर्ट यहां क्लिक कर आप पढ़ सकते हैं
अब जानिए कि आखिर हिंडनबर्ग रिसर्च क्या है?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी फोरेंसिक फााइनेंशियल रिसर्च कंपनी है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। कंपनी के नाम के पीछे एक दिलचस्प सी कहानी है। 1937 में अमेरिका में हिंडनबर्ग एयरशिप दुर्घटना हुई थी। इस दुर्घटना में करीब 36 लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंडनबर्ग कंपनी का काम इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव का एनालिसिस करना है। यह किसी भी कंपनी में हो रही अनियमितताओं का पता अपने स्तर पर लगाती है। इसके बाद यह उस कंपनी और अनियमितताओं पर एक बड़ा खुलासा करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित करती है।
बता दें कि एंडरसन सितंबर 2020 में तब चर्चा में आई जब हिंडनबर्ग ने इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी निकोला कॉरपोरेशन पर अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की। रिपोर्ट में निकोला पर अपनी तकनीकी क्षमताओं के बारे में निवेशकों को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद निकोला कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई। बाद में कंपनी जांच के निशाने पर भी आई। इसके बाद एंडरसन के काम की तारीफ और आलोचना दोनों ही हुई थी।
एंडरसन कौन हैं और उनकी कुल संपत्ति कितनी है?
एंडरसन का जन्म कब हुआ, इसके बारे में कोई फिलहाल पब्लिकली नहीं है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो उनकी उम्र 38 साल बताई जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एंडरसन ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद एंडरसन ने एक डेटा रिसर्च कंपनी में अपना काम शुरू किया। जहां उनका काम पैसों के इन्वेस्टमेंट से जुड़ा था। यहीं से उन्हें मार्केट रिसर्च कंपनी शुरू करने का आइडिया क्लिक किया। एंडरसन के पास कितनी संपत्ति है, इसके बारे में कोई आधिकारिक जानकारी तो फिलहाल नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एंडरसन की कुल संपत्ति 5 मिलियन डॉलर (करीब 42 करोड़ रुपये) है।
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