सिवान के पूर्व सांसद Mohammad Shahabuddin के अलसुबाह कोरोना से शनिवार को मारे जाने की सूचना मिलते ही समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। जैसे ही मौत की सूचना मिली, सभी को अपने स्तर से खबर की सच्चाई पता चलने लगी, अंत में मौत की पुष्टि हुई। शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सिवान के हुसैनगंज ब्लॉक के प्रतापपुर गाँव में हुआ था। Shahabuddin कॉलेज के दिनों से ही चर्चा में रहा। 1986 में, राजद के पूर्व सांसद, बाहुबली शहाबुद्दीन के खिलाफ 21 साल की उम्र में पहला मामला दर्ज किया गया था। शहाबुद्दीन पर उम्र से अधिक 56 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से आधा दर्जन में उसे दोषी ठहराया जा चुका था। वह भाकपा-माले कार्यकर्ता छोटेलाल गुप्ता के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
जमीन मामले में दो भाईयों को तेजाब से नहलाया
कहा जाता है कि 16 अगस्त 2004 की सुबह पंचायत के दौरान भूमि विवाद के निपटारे को लेकर झगड़ा हुआ था। इस दौरान किसी ने सीवान के गौशाला रोड निवासी व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के घर में रखा तेजाब फेंक दिया। मामला Shahabuddin तक पहुंचा। उसी दिन, चंदा बाबू के तीन बेटे गिरीश, सतीश और राजीव रोशन का अपहरण कर लिया गया। दो भाइयों गिरीश कुमार और सतीश कुमार का अपहरण कर हत्या कर दी गई। शवों को टुकड़ों में काटकर बोरियों में भरकर ले जाया गया था। आरोप है कि दोनों को प्रतापपुर ले जाया गया और तेजाब से नहला कर उनकी हत्या कर दी गई। इस मामले के प्रत्यक्षदर्शी राजीव रोशन की भी 16 जून 14 को डीएवी मोरह में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी, तीनों बेटों की मां और व्यवसायी ने मुफस्सिल थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उस समय एफआईआर में दो आरोपी और पांच अज्ञात थे। हालांकि, इन आरोपियों का अलग मुकदमा चल रहा है। 2009 में मामले के IO ने सीवान के तत्कालीन एसपी अमित कुमार जैन के निर्देश पर शहाबुद्दीन, असलम, आरिफ और राज कुमार साह को माफीनामे का आरोपी बनाया।
नाम लेने की हिम्मत नहीं होती थी, साहेब से पुकारा जाता
राजनीति में दस्तक देते ही Shahabuddin का नाम अपराध जगत में फेमस हो गया। शहाबुद्दीन की छवि ऐसी थी कि लोग सरेराह नाम लेना भी मुनासिब नहीं समझते थे। शहाबुद्दीन के समर्थक उन्हें साहेब के नाम से पुकारते थे। आपको बता दें कि एक समय था जब चुनाव के दौरान शहर में शहाबुद्दीन की पार्टी को छोड़कर किसी भी अन्य पार्टी का कोई बैनर या पोस्टर नहीं था।
1990 में पहली बार चुनाव जीता
जिले में जीरादेई विधानसभा से Shahabuddin ने पहली बार जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता था और विधानसभा पहुंचे। उस समय शहाबुद्दीन सबसे कम उम्र के जनप्रतिनिधि थे। दोबारा उसी सीट से 1995 में चुनाव जीता। 1996 में वे पहली बार सिवान से लोकसभा के लिए चुने गए। एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार में गृह राज्य मंत्री के रूप में नियुक्ति की बात आई। लेकिन उसी दौरान शहाबुद्दीन के आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में सुर्खियों में आया। इसके बाद शहाबुद्दीन की केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की इच्छा धरी रह गई।
patna city crime | Shahabuddin news | Shahabuddin dead | Siwan Two brothers filled the body with acid | Former RJD MP
Like and Follow us on :