क्या शिक्षा व्यवस्था फेल हो गई? अमेरिका-भारत दोनों की रिपोर्ट में खुलासा, शिक्षा बजट बढ़ा लेकिन पढ़ाई का स्तर गिरा; जानिए कहां चूक रही है व्यवस्था Read it later

Global Education Crisis 2025 एक ऐसी चेतावनी है जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं—अमेरिका और भारत—दोनों की शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठा रही है। Despite huge education budgets, छात्र reading skills और math understanding में पिछड़ते जा रहे हैं। अमेरिका में जहां 70% आठवीं कक्षा के छात्र पढ़ने में कमजोर हैं, वहीं भारत में आधे से ज्यादा कक्षा 5 के छात्र सिर्फ कक्षा 2 का स्तर ही समझ पाते हैं। यह स्थिति दिखाती है कि सिर्फ policy reform या NEP 2020 से समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि ज़मीनी स्तर पर learning outcomes सुधारना जरूरी है।

Global Education Crisis 2025

📉  कुछ दिन पूर्व —अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फेडरल एजुकेशन डिपार्टमेंट को बंद करने का आदेश दिया। व्हाइट हाउस रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा 8 के 70% छात्र बेसिक पढ़ने में सक्षम नहीं हैं, जबकि 13 साल के बच्चों का गणित और पढ़ने का स्कोर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है

पिछले 40 वर्षों में अमेरिका के शिक्षा विभाग ने करीब 3 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹259 लाख करोड़) खर्च किए, लेकिन परिणाम बेहद निराशाजनक रहे। चौथी कक्षा के 60% छात्र गणित समझ नहीं पाते, और 40% बच्चे बेसिक रीडिंग भी नहीं कर सकते

📊 भारत: शिक्षा में सुधार के बावजूद पढ़ने की क्षमता में सुधार नहीं

भारत की स्थिति भी अलग नहीं है। ASER रिपोर्ट 2022 (Annual Status of Education Report) के अनुसार, ग्रामीण भारत में कक्षा 5 के 50.3% छात्र केवल कक्षा 2 स्तर का पाठ ही पढ़ पाते हैं। 2018 में यह आंकड़ा 50.5% था, यानी मामूली गिरावट देखने को मिली है।

भारत सरकार शिक्षा में सुधार को प्राथमिकता दे रही है, लेकिन परिणाम अमेरिका जैसे ही प्रतीत हो रहे हैं। Global Education Crisis 2025 का संकेत दोनों देशों की तुलना में साफ दिखता है।

Global Education Crisis 2025

📌 अमेरिका और भारत: समान शिक्षा संकट के शिकार

दोनों देशों में बच्चों की Reading Skills और Math Skills का स्तर चिंताजनक है। अमेरिका में जहां आठवीं के 70% छात्र पढ़ने में कमजोर हैं, वहीं भारत में कक्षा 5 के लगभग आधे छात्र ही बुनियादी पढ़ाई कर पाते हैं। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है, जिसमें शिक्षकों का प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम की गुणवत्ता और सीखने का माहौल बड़ी भूमिका निभाते हैं।

📘 भारत की शिक्षा नीति 2020: सुधार की उम्मीद

भारत ने NEP 2020 (National Education Policy) के तहत शिक्षा प्रणाली में बुनियादी बदलाव किए हैं। इसका एक महत्वपूर्ण भाग है—

National Mission for Foundational Literacy and Numeracy, जिसका उद्देश्य 2025 तक सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और गणना का ज्ञान दिलाना है।

Global Education Crisis 2025 से उबरने के लिए भारत ने जहां नीति स्तर पर प्रयास तेज किए हैं, वहीं इसका ज़मीनी असर अब भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है।

Global Education Crisis 2025

💰 शिक्षा पर भारत का 2025-26 का बजट: आंकड़ों में विश्लेषण

वित्त वर्ष 2025-26 में भारत सरकार ने शिक्षा मंत्रालय के लिए ₹1,28,650 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.22% अधिक है।

✏️ प्राथमिक और स्कूली शिक्षा: ₹78,572 करोड़ (7% की वृद्धि)
  • Samagra Shiksha Abhiyan – ₹37,500 करोड़

  • PM Poshan Yojana – ₹12,467.39 करोड़

  • ULLAS Program (Adult Literacy) – ₹160 करोड़

  • STARS Scheme – ₹1,250 करोड़

🎓 उच्च शिक्षा: ₹50,077.95 करोड़ (5.16% की वृद्धि)
  • Central Universities – ₹16,691.31 करोड़

  • IITs – ₹11,349 करोड़

  • NITs – ₹5,687.47 करोड़

  • UGC – ₹3,335.97 करोड़

बजट में वृद्धि ज़रूर हुई है, लेकिन Learning Outcomes यानी छात्रों की वास्तविक सीखने की क्षमता में कोई बड़ा उछाल नहीं देखा गया।

Global Education Crisis 2025

🎯 समस्या की जड़ कहां है?

1. शिक्षण की गुणवत्ता में कमी

अमेरिका हो या भारत, Teacher Training का स्तर और स्कूलों की निगरानी अब भी बड़ी चुनौती है।

2. सिलेबस और मूल्यांकन प्रणाली

बच्चों की Reading Comprehension और Mathematical Thinking पर कम ध्यान दिया जाता है।

3. शिक्षक-छात्र अनुपात और डिजिटल संसाधनों की कमी

ग्रामीण क्षेत्रों में एक शिक्षक पर कई कक्षाएं होती हैं, जिससे पढ़ाई का स्तर प्रभावित होता है।

📢 समाधान की राह क्या है?
  • शिक्षकों को डिजिटल और व्यवहारिक ट्रेनिंग देना

  • बच्चों की सोच और विश्लेषण क्षमता पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली

  • समुदाय और माता-पिता की भागीदारी बढ़ाना

  • नीति बनाकर नहीं, ज़मीन पर लागू कर असर देखना जरूरी है

भारत और अमेरिका दोनों ही देश शिक्षा पर बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं, लेकिन पढ़ने-लिखने की बुनियादी क्षमता में गिरावट चिंताजनक है। नई नीतियां, योजनाएं और बजट तब ही सार्थक होंगे, जब उनके ज़मीनी असर को पूरी गंभीरता से समझा और लागू किया जाए।

Global Education Crisis 2025 हमें यह याद दिलाता है कि केवल पैसा ही नहीं, दृष्टिकोण और ज़मीनी क्रियान्वयन ही असली परिवर्तन ला सकते हैं।

Image courtesy: All AI Images

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