पाक कलाकारों पर बैन सही: जावेद अख्तर ने सुनाई कड़वी सच्चाई, कहा-लता मंगेशकर को पाकिस्तान में नहीं मिली इजाजत, अब बैन तो जायज है Read it later

जाने-माने गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने एक बार फिर अपने विचारों से हलचल मचा दी है। इस बार मुद्दा है Pakistani Artists Ban पर उनका स्पष्ट और ठोस रुख। उन्होंने हाल ही में कहा कि अब पाकिस्तान के लिए कोई ‘फ्रेंडली फीलिंग’ बाकी नहीं रही है और ऐसे में यह सवाल ही नहीं उठता कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में काम करना चाहिए या नहीं। उन्होंने इस पूरे मामले को ‘एकतरफा मोहब्बत’ करार दिया और तर्क दिया कि जब लता मंगेशकर जैसी महान गायिका को पाकिस्तान में कभी मंच नहीं मिला, तो ऐसे बैन का विरोध क्यों?

लता मंगेशकर को पाकिस्तान में मंच क्यों नहीं मिला?

Javed Akhtar ने अपने बयान में सबसे चौंकाने वाली बात यह कही कि Lata Mangeshkar, जिन्हें भारत और पाकिस्तान दोनों जगहों पर सराहा गया, उन्हें कभी पाकिस्तान में परफॉर्म करने का मौका नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के कई मशहूर शायरों ने लता के लिए गीत लिखे, लोग उन्हें पसंद करते थे, लेकिन फिर भी पाकिस्तानी सिस्टम ने उनके रास्ते में बाधा डाली

इस बयान से ये साफ होता है कि जावेद अख्तर केवल भावनाओं से नहीं बल्कि ऐतिहासिक तथ्यों और व्यक्तिगत अनुभवों से बात कर रहे थे। यह सिर्फ एक व्यक्ति की शिकायत नहीं, बल्कि उस ‘एकतरफा’ संबंध पर सवाल है, जिसमें भारत ने बार-बार पाक कलाकारों को मंच दिया, लेकिन जवाब में कुछ नहीं मिला।

‘एकतरफा ट्रैफिक’ से थक चुके हैं – जावेद अख्तर

जावेद अख्तर ने इस मुद्दे को और गहराई से समझाया कि कैसे यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान एकतरफा रहा है। उन्होंने नुसरत फतेह अली खान, मेहंदी हसन, गुलाम अली जैसे कई पाकिस्तानी कलाकारों का जिक्र किया जो भारत आए और खूब सराहे गए।

लेकिन पाकिस्तान से ऐसा कोई कदम नहीं देखा गया। न ही भारतीय कलाकारों को बुलाया गया, न ही सम्मान दिया गया। उन्होंने कहा, “हम एकतरफा ट्रैफिक से थक चुके हैं।” जब जवाब में कोई गर्मजोशी नहीं मिलती, तब दोस्ती भी बोझ बन जाती है। इसीलिए उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये बैन वाकई गलत है?

बैन से कौन खुश हो रहा है – आतंकी या आम लोग?

जावेद अख्तर ने पाकिस्तानी कलाकारों पर बैन को लेकर एक दूसरा दृष्टिकोण भी साझा किया। उन्होंने कहा कि अगर हम बैन लगाकर कट्टरपंथियों और आर्मी को ही मजबूत कर रहे हैं, तो इसका क्या फायदा? उनका तर्क था कि पाकिस्तान के लोग जब भारतीय कलाकारों से मिलते हैं, तो उन्हें भारतीय समाज की आजादी और सांस्कृतिक समृद्धि का अहसास होता है।

पर अगर हम बैन लगाते हैं, तो कट्टरपंथियों का ही काम आसान करते हैं। हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया कि फिलहाल जो माहौल है – खासकर Pahalgam Terror Attack के बाद – उसमें इस पर बात करने का भी वक्त नहीं है। भावनात्मक रूप से उन्होंने माना कि अब कोई फ्रेंडली फीलिंग बाकी नहीं रही।

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