ट्रेडमार्क, पेटेंट और कॉपीराइट के अंतर को समझें Read it later

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वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी का मतलब है, कोई भी इन्वेंशन, सिम्बल, नाम, इमेज, लिटरेरी या आर्टिस्टिक वर्क, जो बिजनेस के लिए काम लिया गया हो। आइडिया आधारित क्रिएशन जैसे किताब, पेंटिंग, नया कम्प्यूटर कोड आदि इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी (आईपी) के तहत आते हैं। आईपी को रजिस्टर करने की प्रक्रिया में ट्रेडमार्क, पेटेंट और कॉपीराइट का इस्तेमाल होता है। ऐसे में बिजनेस में काम आने वाले इन टर्म्स को जानना आंत्रप्रेन्योर्स के लिए खास तौर पर जरूरी है क्योंकि इनकी जानकारी के बगैर अगर आप बिजनेस करेंगे तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। 

एक इंवेंटर, आर्टिस्ट, बिजनेसमैन और लेखक के तौर पर आपके पास अपनी इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी से जुड़े कुछ राइट्स होते हैं। इससे कोई भी उस प्राॅपर्टी का दुरुपयोग नहीं कर सकता। ऐसे राइट को कानून से सुरक्षा मिल सके इसके लिए आपको अपने क्रिएशन को भारत सरकार के कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन्स एंड ट्रेड मार्क्स के यहां रजिस्टर करवाना जरूरी है। याद रखें अगर आपको अपनी आईपी को रजिस्टर करवाना हो तो आपको देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि अगर एक ही आइडिया के लिए दो एप्लीकेशन्स पहुंचती हैं तो उसे प्राथमिकता मिलती है जो पहले पहुंची है। आईपी से जुड़ी ऐसी ही छोटी-छोटी जानकारियां आपके काफी काम आ सकती हैं।

बिजनेस में काम आने वाले इन टर्म्स की जानकारी नए आंत्रप्रेन्योर्स के लिए खास तौर पर जरूरी है

कॉपीराइट
लेखक, आर्टिस्ट, कोरियाग्राफर, आर्किटेक्ट्स और अन्य क्रिएटिव प्रोफेशनल्स अपने काम को कॉपीराइट करवा सकते हैं। किसी भी आइडिया के फिजिकल फॉर्म में आने पर उसका कॉपीराइट लिया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर लेखन, फोटोग्राफ्स, स्कल्पचर, कोरियोग्राफी, आर्किटेक्चरल वर्क, मूवीज और अन्य कलात्मक कामों के लिए कॉपीराइट लिया जा सकता है। कॉपीराइट लीगल एविडेंस होने के साथ-साथ आपको प्रॉडक्ट की ओनरशिप भी देता है और यह जिंदगी भर के लिए वैलिड होता है।

ट्रेडमार्क : ट्रेडमार्क दरअसल वे यूनीक साइन या मार्क होते हैं जो किसी प्रॉडक्ट या सर्विस की पहचान होते हैं। आंत्रप्रेन्योर अपने प्रॉडक्ट के ट्रेडमार्क के लिए आवेदन करते हैं जिससे कि ब्रांड के नाम, स्लाेगन, सिम्बल, डिजाइन और इमेज की सुरक्षा हो सके। साथ ही दूसरे प्रॉडक्ट्स से भी अंतर बना रहे। रजिस्टर्ड होने के बाद ट्रेडमार्क को एक सिम्बल दिया जाता है। जिसका इस्तेमाल प्रॉडक्ट पर किया जाता है। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन है और इसे हर 10 सालों में रिन्यू किया जाना आवश्यक है।

पेटेंट : किसी भी प्रकार की इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी के लिए पेटेंट करवाना जरूरी होता है। पेटेंट इन्वेंशन्स की सुरक्षा और ओनरशिप दोनों के लिए होता है। पेटेंट की जा सकने वाली चीजों में मशीनें, प्रोसेसेज, केमिकल कम्पोजिशन और किसी प्रॉडक्ट के डिजाइन आदि शामिल हैं। पेटेंट करवाने से आप किसी भी वस्तु पर एक्सक्लूसिव राइट प्राप्त कर सकते हैं। यह किसी और को आपके प्रॉडक्ट को बनाने, इस्तेमाल करने, बेचने और इम्पोर्ट करने से राेकता है। एक पेटेंट किसी भी इन्वेंशन के लिए 20 साल की अवधि का होता है, इसके बाद इसे आपको रिन्यू करवाना होगा।


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