Mahakumbh Stampede: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम तट पर हुए हादसे में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई, जबकि 60 से अधिक घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए एकत्रित हुए थे। प्रारंभिक जांच के अनुसार, बैरिकेड्स टूटने और भीड़ के अनियंत्रित होने से यह भगदड़ मची।
मुख्य बिंदु:
- भीड़ प्रबंधन में कमी: अमृत स्नान के कारण अधिकांश पांटून पुल बंद थे, जिससे संगम क्षेत्र में भीड़ बढ़ती गई। इस दौरान कुछ लोग बैरिकेड्स में फंसकर गिर गए, जिससे भगदड़ मच गई।
- एंट्री और एग्जिट मार्ग की समस्या: संगम नोज पर प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग मार्ग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी से वापस जा रहे थे, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई।


सरकारी प्रतिक्रिया:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर शोक व्यक्त किया और राज्य सरकार के साथ निरंतर संपर्क में रहने की बात कही।
राहुल गांधी ने बताया कुप्रबंधन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने घटना के लिए वीआईपी संस्कृति और सरकारी कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महाकुंभ के प्रबंधन को सेना के हवाले करने की मांग की है।
सुरक्षा उपाय:
घटना के बाद, प्रशासन ने प्रयागराज में प्रवेश करने वाले आठ बॉर्डर पॉइंट्स को बंद कर दिया है और मेला क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित किया है। सभी वाहन पास रद्द कर दिए गए हैं, और रास्तों को वन-वे कर दिया गया है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
महाकुंभ भगदड़: डीआईजी का बयान – 30 की मौत, 90 घायल
महाकुंभ मेले में मची भगदड़ को लेकर डीआईजी वैभव कृष्ण ने पुष्टि की है कि हादसे में 30 श्रद्धालुओं की जान गई, जबकि 90 लोग घायल हुए हैं। इनमें से 25 शवों की पहचान हो चुकी है और घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
डीआईजी ने बताया कि अफरातफरी का मुख्य कारण बैरिकेड्स का टूटना रहा। घाट पर लगे कुछ बैरिकेड्स अचानक गिर गए, जिससे वहां सो रहे श्रद्धालु लोगों के नीचे दब गए। घायल श्रद्धालुओं में से कुछ को कुचलने से गंभीर चोटें आईं, जिससे कई की जान चली गई।
VIP प्रोटोकॉल पर रोक, फिर भी बेकाबू हुई भीड़
डीआईजी ने बताया कि 29 जनवरी को शासन ने VIP प्रोटोकॉल पर पूरी तरह रोक लगाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद भीड़ इतनी अधिक थी कि हालात संभालना मुश्किल हो गया। मेलाधिकारी विजय किरण आनंद ने कहा कि श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रशासन की अपील:
प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और संयम से काम लें। साथ ही, संगम पर ही स्नान करने के बजाय, आसपास के अस्थायी घाटों पर स्नान करने की सलाह दी गई है।
भारी भीड़ के चलते प्रयागराज के 8 एंट्री पॉइंट किए गए बंद
महाकुंभ में 9 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं, जिससे शहर की व्यवस्थाएं चरमरा गईं। हालात को देखते हुए प्रशासन ने प्रयागराज में प्रवेश करने वाले सभी 8 मुख्य बॉर्डर सील कर दिए।
प्रमुख एंट्री पॉइंट्स जहां वाहनों को रोका गया
🔹 भदोही बॉर्डर (वाराणसी मार्ग): 20 किलोमीटर लंबा जाम
🔹 चित्रकूट बॉर्डर: 10 किलोमीटर लंबी गाड़ियों की कतार
🔹 कौशांबी बॉर्डर: पार्किंग तक पहुंचने से पहले 50,000 से ज्यादा वाहन रोके गए
🔹 फतेहपुर-कानपुर बॉर्डर: गाड़ियों की लंबी कतारें
🔹 प्रतापगढ़ बॉर्डर: 40,000 वाहनों को शहर में प्रवेश से रोका गया
🔹 जौनपुर बॉर्डर: पुलिस ने बदलापुर में प्रयागराज जाने वाली सभी बसों को रोक दिया
🔹 मिर्जापुर बॉर्डर: वाहनों की भारी भीड़
🔹 रीवा बॉर्डर: 50,000 से अधिक वाहनों को रोका गया
प्रशासन ने कहा है कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए यातायात को सीमित किया गया है, और श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे प्रयागराज की ओर न आएं।
महाकुंभ भगदड़: सीएम योगी ने जताया दुख, न्यायिक जांच के आदेश, 25 लाख का मुआवजा
महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भावुक हो गए। उन्होंने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब तक लगभग 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, जबकि 36 लोग घायल हैं, जिनका इलाज प्रयागराज के विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
सीएम योगी ने पीड़ित परिवारों के लिए 25-25 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा की है। साथ ही, उन्होंने हादसे की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इस जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग बनाया गया है, जिसमें जस्टिस हर्ष कुमार, पूर्व डीजी वीके गुप्ता और रिटायर्ड आईएएस डीके सिंह शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रेल मंत्री, राज्यपाल सहित कई उच्च अधिकारियों से लगातार संवाद हो रहा है। साथ ही, राज्य सरकार मुख्यमंत्री कंट्रोल रूम, मुख्य सचिव कंट्रोल रूम और डीजीपी कंट्रोल रूम से पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है।
प्रदेश प्रशासन की ओर से पूरे दिन समीक्षा बैठकों का दौर चलता रहा और जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाते रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हादसे की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कुंभ मेले का आयोजन भारत में सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। लाखों-करोड़ों श्रद्धालु इस मेले में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ते हैं। लेकिन भारी भीड़ और प्रशासनिक चूक के चलते कई बार भगदड़ जैसे दर्दनाक हादसे भी हुए हैं। 1954 से लेकर 2013 तक कई कुंभ मेलों में भगदड़ मच चुकी है, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
1954: स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ और 800 से अधिक मौतें
स्वतंत्रता के बाद 1954 में प्रयागराज में पहली बार कुंभ मेले का आयोजन हुआ। यह भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती थी। 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस दौरान करीब 800 लोग या तो कुचलकर या नदी में डूबकर मर गए।
क्या हुआ था?
- प्रशासन इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए तैयार नहीं था।
- सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था नाकाफी थी।
- स्नान के दौरान अचानक लोगों का संतुलन बिगड़ा और भगदड़ मच गई।
1986: हरिद्वार कुंभ में मची अफरातफरी, 200 की मौत
14 अप्रैल 1986 को हरिद्वार कुंभ के दौरान एक और बड़ा हादसा हुआ। इस बार भगदड़ का कारण वीआईपी मूवमेंट बना। यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसद हरिद्वार पहुंचे थे, जिससे प्रशासन ने आम लोगों की भीड़ को रोक दिया।
कैसे हुआ हादसा?
- वीआईपी मूवमेंट के कारण श्रद्धालुओं को गंगा तट पर जाने से रोका गया।
- भीड़ बेकाबू हुई और भगदड़ मच गई।
- इस हादसे में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई।
2003: नासिक कुंभ में भगदड़, 39 श्रद्धालुओं की मौत
1986 के हादसे के बाद क्राउड मैनेजमेंट में सुधार किए गए, लेकिन 2003 के नासिक कुंभ में एक बार फिर भगदड़ मच गई। इस दौरान 39 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
मुख्य कारण:
- सुरक्षा इंतजामों की कमी।
- स्नान घाटों पर भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की नाकामी।
2010: हरिद्वार कुंभ में साधु-श्रद्धालुओं की झड़प, 7 की मौत
2010 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में शाही स्नान के दौरान साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प हो गई। इससे भगदड़ मच गई, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए।
हादसे की वजह:
- शाही स्नान के दौरान सुरक्षा घेरा तोड़ा गया।
- साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच कहासुनी के बाद भगदड़ मच गई।
2013: प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भगदड़, 42 की मौत
2013 में प्रयागराज कुंभ में एक और हादसा हुआ, लेकिन यह हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुआ था। भीड़ अत्यधिक बढ़ जाने से 42 लोगों की मौत हो गई।
मुख्य कारण:
- लाखों श्रद्धालु कुंभ से लौट रहे थे, जिससे स्टेशन पर भीड़ बेकाबू हो गई।
- रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा प्रबंध नाकाफी थे।
सीख और क्राउड मैनेजमेंट में सुधार की जरूरत
इतिहास में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ की घटनाएं यह दिखाती हैं कि क्राउड मैनेजमेंट और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। प्रशासन को हर बार कुछ नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन सही प्लानिंग से इन हादसों को रोका जा सकता है।
जरूरी सुधार:
- प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाएं।
- भीड़ नियंत्रण के लिए तकनीकी उपाय अपनाए जाएं, जैसे AI और CCTV निगरानी।
- शहर के अंदर और बाहर ट्रैफिक प्रबंधन को और मजबूत किया जाए।
- स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं के लिए बैरिकेडिंग की व्यवस्था की जाए।
कुंभ मेला भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, लेकिन इसकी सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन को गंभीरता से लेना प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी है।
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