Health Insurance Gap India Medical Inflation विषय पर हालिया उपभोक्ता सर्वेक्षण में सामने आया है कि भारत में अब बीमारी पर खर्च भोजन और शिक्षा जैसे बुनियादी ज़रूरतों के बाद दूसरा सबसे बड़ा घरेलू खर्च बन चुका है। Policybazaar Survey के अनुसार, एक औसत भारतीय परिवार अपनी मासिक आय का 12.2% केवल Healthcare Services पर खर्च कर रहा है, जबकि भोजन, यात्रा और बच्चों की पढ़ाई जैसे आवश्यक खर्च कुल मिलाकर 31% ही होते हैं।
इस बढ़ते खर्च का मुख्य कारण है भारत में तेजी से बढ़ती Medical Inflation, जिससे इलाज की लागत पहले के मुकाबले कहीं अधिक हो गई है।
मेडिकल इंफ्लेशन ने बिगाड़ा बजट, बीमा की दर भी हुई महंगी
2019 से 2024 के बीच भारत में Medical Inflation India की दर 14% तक पहुंच गई है, जो एशिया के सभी प्रमुख देशों से अधिक है। इसका सीधा असर OPD खर्च, अस्पताल में भर्ती, सर्जरी और दवाइयों पर हुआ है। इसी दौरान, Health Insurance Premium में भी औसतन 12.8% प्रति वर्ष की दर से बढ़ोतरी हुई, जिससे लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना और मुश्किल हो गया।
यह बढ़ती लागत आम लोगों की जेब पर बोझ बन गई है, खासकर ऐसे लोगों के लिए जो पहले से ही सीमित मासिक आय में जीते हैं। Out-of-pocket health spending अब आम बात हो चुकी है।
बीमा से दूरी, बीमारी से नजदीकी: क्या कहता है डेटा?
रिपोर्ट बताती है कि भारतीय परिवार अपनी आय का सिर्फ 3% ही Mandatory Insurance (जैसे वाहन बीमा) पर खर्च करते हैं, जबकि हेल्थ खर्च लगातार बढ़ रहा है। इसका सीधा अर्थ है कि लोग आज भी Medical Emergency से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं।
इस दूरी के पीछे कई कारण हैं:
31% लोगों का कहना है कि हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बहुत महंगा है
26% के पास आर्थिक संसाधन नहीं हैं
20% लोगों को हेल्थ बीमा की प्रक्रिया या कार्यपद्धति की समझ नहीं
18% इसे जटिल मानते हैं
16% विकल्पों की अधिकता से कन्फ्यूजन में हैं
ये आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि भारत में अभी भी Insurance Awareness India की गंभीर कमी है।
कम कवरेज, ज्यादा जोखिम – अनदेखे खतरे
बीमा लेने वाले लोगों में भी 48% ने केवल ₹5 लाख या उससे कम का Insurance Coverage लिया है। आज के समय में, जब ICU, सर्जरी या कैंसर जैसे इलाज की लागत लाखों में होती है, यह राशि नाकाफी मानी जाती है।
साथ ही, 47.6% भारतीय अभी भी Term Insurance के फायदों से अनजान हैं। यह इंश्योरेंस भविष्य की Financial Planning में अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन इसकी स्वीकार्यता अभी बेहद सीमित है।
भारत में मेडिकल इंफ्लेशन: साल दर साल बढ़ोतरी
वर्ष | चिकित्सा मुद्रास्फीति दर (%) |
---|---|
2019 | ~7.0 |
2020 | ~8.0 |
2021 | ~10.0 |
2022 | ~12.0 |
2023 | ~10.3 |
2024 | 14.0 |
यह दर्शाता है कि कैसे हर वर्ष इलाज से जुड़ी लागत ने लगातार ऊंचाई पकड़ी है।
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दूसरे देशों के मुकाबले भारत क्यों महंगा है?
भारत में Healthcare Cost अन्य एशियाई देशों की तुलना में अधिक है:
NCDs (Non-Communicable Diseases) जैसे डायबिटीज़, हृदय रोग, आदि तेजी से बढ़े
सरकारी अस्पतालों की संख्या सीमित, जबकि Private Hospitals महंगे हैं
Health Insurance Coverage बेहद कम है
GST on Healthcare Equipment और आधुनिक तकनीक से लागत बढ़ी
Population Pressure और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी बड़ा कारण है
दूसरे देशों में स्वास्थ्य सेवाएं कैसे हैं बेहतर?
China: सरकारी अस्पताल अधिक, बीमा कवरेज व्यापक
Vietnam: Universal Health Coverage सफल मॉडल
UK: NHS के तहत मुफ्त इलाज
Germany: Statutory और Private Insurance का बैलेंस
Japan: उम्र के अनुसार Co-pay सिस्टम, रोकथाम पर फोकस
समाधान: बीमा को बनाएं प्राथमिकता, समझ और सरलता जरूरी
इस समस्या से निपटने के लिए कई पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है:
Affordable Health Insurance Plans का विस्तार
Digital Literacy Campaigns के जरिए बीमा की जानकारी
सरकारी और निजी क्षेत्रों की Collaborative Strategy
बीमा की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना
आम लोगों को बीमा लेने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर नागरिक को Quality Healthcare Access मिल सके। तभी Financial Burden और Out-of-pocket Medical Spending को नियंत्रित किया जा सकता है।
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