Atta Satta Marriage: राजस्थान की कुप्रथाओं में कई ऐसी हैं जो आज भी महलाओं के जीवन को नर्क के समान बना रही हैं। इन्हीं में से एक अटा-साटा है। राजस्थान में आटा-साटा के कारण विवाहित महिलाओं में सुसाइड के मामले भी बढ़े़ हैं। हाल ही बाड़मेर की लोक अदालत में भी एक इसी तरह का मामला सामने आया। इसमें एक लड़की की आत्महत्या और अट्टा-साटा (Atta Satta Marriage) शादी के बाद एक परिवार के टूटने, दोनों ही के उदाहरण देखने को मिले हैं। इस मामले में 10 साल से एक-दूसरे से दूर रह रहे पति-पत्नी कोर्ट के माध्यम से फिर से एक हो गए।
जानिए कैसे दोनों लोक अदालत में एक हुए और क्या होती है ये आटा-साटा कुप्रथा
दोनों पक्ष में मुकदमेबाजी चलती रही
मामला (Atta Satta Marriage) यह था कि बाड़मेर के चौहटन कस्बे के 30 साल जसराज का विवाह हऊआ के साथ साल 2013 में हुआ था। इसी आटे-साटे के तहत हऊआ के घर जसराज की बहन ब्याह हुआ। लेकिन घरेलु कारणों के चलते विवाह के एक साल बाद ही जसराज की बहन ने ससुराल में आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद दोनों परिवारों में मुकदमेबाजी चलती रही।
लेकिन इस मुकदमेबाजी के बीच 9 साल तक पति जसराज ससुराल वालों से नाराज रहा और उसने कोर्ट में हऊआ से तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। कोर्ट ने भी इसकी डिक्री पारित कर दी थी। लेकिन जब राष्ट्रीय लोक अदालत में समझाइश हुई तो दोनों ही एक दूसरे के साथ रहने को राजी हो गए। ऐसे में दोनों ने फिर से 10 साल बाद एक-दूसरे को माला पहनाकर जिंदगी की नई शुरुआत करने का प्रण लिया।
अब जानिए आखिर क्या होती है आटा-साटा प्रथा (Atta Satta Marriage)
इस प्रथा को आसान भाषा में समझें तो यह अदल- बदल या एक्सचेंज कर सकत हैं। आटा- साटा कुप्रथा (Atta Satta Marriage) के तहत यदि किसी लड़के की शादी किसी लड़की से कर दी जाती है तो लड़की की तरफ से लड़के की शादी पति की बहन से कर दी जाती है। इस तरह अदला-बदली की होती है।
लड़के का भविष्य तो सुरक्षित लेकिन लड़की पसंद का खयाल नहीं
इससे कई बार लड़के का भविष्य सुरक्षित माना जाता है, लेकिन लड़कियों को अपनी पसंद-नापसंद से समझौता करना पड़ता है। राजस्थान में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब यह अदला-बदली कम उम्र में हो जाती है और यहीं से समस्या शुरू होती है।
आटा- साटा कुप्रथा (Atta Satta Marriage) कदाचार से जुड़े कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब लड़कियों का एक- दो नहीं, बल्कि तीन या चार परिवारों के बीच मोलभाव किया जाता है, ताकि उनके उम्रदराज लड़कों की शादी हो जाए। यह कुप्रथा गांवों में सबसे अधिक प्रचलित है। कई ऐसे मामले भी सामने आए जब बच्चों के जन्म से पहले ही उनका रिश्ता तय हो जाता है।
कई ऐसे मामले भी आते हैं जब लड़कों की शादी नहीं हो रही होती है। ऐसे में उनके माता-पिता शर्त रखते हैं कि अगर आप हमें हमारे बेटे के लिए बेटी देंगे तो हम अपनी बेटी की शादी आपके बेटे से कर देंगे। इस अभ्यास में केवल वयस्क या युवा ही शामिल नहीं हैं। बाल विवाह के ज्यादातर मामलों में आटे-साटे होते हैं।
ऐसे बना दिए जाते हैं रिश्ते
आटा- साटा कुप्रथा (Atta Satta Marriage) परंपरा में कई ऐसे मामले भी सामने आते हैं जब एक रिश्ते की वजह से कई रिश्ते बन जाते हैं। कई मामलों में दो परिवारों के बीच लड़की के बदले लड़की देने की बात ही होती है, लेकिन कई बार उस परिवार के कई रिश्तेदारों के बच्चों की शादी हो जाती है। यानी एक साथ कई रिश्ते बनते हैं। ऐसे में लड़के और लड़की की उम्र को भी दरकिनार कर दिया जाता है। मसलन कि लड़की की उम्र 21 साल और लड़के की उम्र 40 साल है। ज्यादातर मामलों में ऐसी शादियां जबरन करा दी जाती हैं।
अब युवा हो रहे जागरूक, लेकिन लड़कियां अब भी परेशान
साक्षरता दर में बढ़ोतरी की वजह से राजस्थान के युवा अब शिक्षित हो रहे हैं। इसलिए उनमें जागरुकता बढ़ रही है। लड़का हो या लड़की कॅरियर बनाने की ओर युवा अग्रसर हैं। गांवों में रहने वाले ऐसे युवा इस प्रथा से सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं। खासकर लड़कियां इस प्रथा से ज्यादा परेशान रहती हैं।
आत्महत्या के मामले बढ़े, राज्य सरकार उठाए सख्त कदम
अब शिक्षित युवा किसी भी रूप में इस कुप्रथा का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं। इसलिए अब कई गांवों में आत्महत्या के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के अनुसार यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की प्रतिगामी प्रथाएं अभी भी समाज में प्रचलित हैं। शर्मा कहती हैं, महिलाओं को अपना जीवन साथी चुनने का पूरा अधिकार है और हम अपनी और बेटियों को नहीं खो सकते। राज्य सरकार को इस तरह की प्रथा (Atta Satta Marriage) को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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