Jitendra Kumar Journey: रामलीला के ताड़का से पंचायत के सचिव तक जितेंद्र कुमार की दिलचस्प जर्नी Read it later

आमतौर पर IIT में पढ़ने वाले बच्चे इंजीनियर बनकर विदेश में मोटी सैलरी पाते हैं, लेकिन jitendra kumar journey बिल्कुल अलग रही। हिंदी में एग्जाम देकर उन्होंने IIT क्रैक किया और IIT खड़गपुर में एडमिशन पाया, लेकिन इंजीनियरिंग के बजाय एक्टिंग ने उनका दिल जीत लिया। कैंपस प्लेसमेंट में उन्हें नौकरी तक नहीं मिली, जैसे किस्मत ने भी तय कर लिया था कि जितेंद्र को एक्टर ही बनना है।

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मुंबई पहुंचकर पहली बार में ही टूट गए थे जितेंद्र ( jitendra kumar journey)

एक्टर बनने मुंबई आए जीतू भइया का पहला अनुभव अच्छा नहीं रहा। उन्हें मुंबई पसंद नहीं आई और वापस भागकर MNC की नौकरी जॉइन कर ली। लेकिन वहां भी विवाद इतना बढ़ा कि बात हाथापाई तक पहुंच गई और जितेंद्र ने एक बार फिर मुंबई का रुख किया। इस बार सपनों की नगरी ने उन्हें स्वीकार किया और उन्होंने TVF के हिट शोज से अपनी पहचान बना ली।

बचपन से था इंजीनियरिंग का माहौल, पर दिल में एक्टिंग का सपना

जितेंद्र का जन्म राजस्थान के खैरथल गांव में हुआ। दसवीं तक की पढ़ाई के बाद कोटा में IIT की तैयारी शुरू की। घर का माहौल पूरी तरह पढ़ाई और इंजीनियरिंग का था। पिताजी, चाचा, ताऊ- सब इंजीनियर थे, लेकिन IIT पहुंचने वाला परिवार में पहला शख्स जितेंद्र ही था। छोटे शहरों के बच्चों के सामने सिर्फ दो विकल्प होते थे- डॉक्टर या इंजीनियर, और जितेंद्र ने IIT क्रैक करके पहला लक्ष्य पूरा किया।

jitendra kumar journey
(Photo Getty Images)
IIT में पढ़ाई के दौरान एक्टिंग का चस्का लगा

IIT खड़गपुर में एडमिशन के बाद जीतू का दिल इंजीनियरिंग के बजाय एक्टिंग में लगने लगा। यही से उनकी एक्टिंग की यात्रा शुरू हुई। यहां उन्होंने थिएटर ग्रुप में हिस्सा लिया और अपनी कला को निखारा। यही वजह रही कि कॉलेज के बाद उन्होंने एक्टिंग को करियर बनाने का फैसला किया।

रामलीला में ताड़का बनने से जगी एक्टिंग की चाहत

जितेंद्र ने बताया, “बचपन में हमारे गांव खैरथल में रामलीला होती थी। मैं सिर्फ देखने जाता था, पर एक दिन स्कूल की रामलीला में एक लड़की की तबीयत खराब हो गई और ड्रामा टीचर ने मुझे पकड़ लिया। उन्होंने मुझे ताड़का का रोल दिया और मैं यूनिफॉर्म में ही स्टेज पर पहुंच गया। यहीं से मुझे एक्टिंग में मजा आने लगा।”

स्टेज पर पहली बार ताड़का बना, डर के बावजूद लोगों को हंसाया

जितेंद्र कुमार ने बताया, “जब मुझे स्कूल में ताड़का का रोल दिया गया, तो मैं डर के मारे अंदर ही नहीं जा पा रहा था। आखिरी मिनट तक कहता रहा कि मुझसे नहीं होगा। तब मुझे धक्का देकर स्टेज पर पहुंचाया गया। ( jitendra kumar journey) स्टेज पर पहुंचते ही मैंने ताड़का के सीरियस रोल में कॉमेडी कर दी और लोगों को खूब हंसाया। उस एक परफॉर्मेंस से मेरा stage fear पूरी तरह खत्म हो गया और मैं स्कूल के बाकी कॉम्पिटिशन में भी हिस्सा लेने लगा।”

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स्‍कूल के दिनों में महिला किरदार में जितेंद्र कुमार।
IIT में एक्टर बनने की हुई असली ग्रूमिंग

जितेंद्र ने आगे बताया, “खैरथल से IIT क्रैक करने वाला मैं दूसरा या तीसरा बच्चा था। इस वजह से मेरे अंदर खुद को बहुत स्मार्ट और इंटेलिजेंट समझने का घमंड आ गया था। लेकिन IIT पहुंचकर एहसास हुआ कि यहां मुझसे कई गुना ज्यादा मेहनती और टैलेंटेड लोग हैं। यहीं से मेरी IIT grooming और Jitendra Kumar acting journey की असली शुरुआत हुई।”

हिंदी मीडियम से JEE क्रैक किया, IIT में आई मुश्किलें

जितेंद्र कुमार ने बताया, “मेरे बैच में मुझसे भी बेहतर रैंक वाले कई स्टूडेंट्स आए थे। IIT का सिलेबस बहुत मुश्किल था और यहां आने के बाद मेरी पढ़ाई छूटने लगी। मैंने JEE का एग्जाम Hindi medium IIT से क्रैक किया था, जो बहुत कम बच्चे कर पाते हैं। आमतौर पर बच्चे इंग्लिश में एग्जाम देते हैं, लेकिन मेरा पूरा बैकग्राउंड हिंदी मीडियम का था। IIT जाकर मुझे समझ नहीं आया कि मुझे अंग्रेजी समझ नहीं आ रही या सिलेबस ही टफ है।”

हिंदी ड्रामेटिक्स क्लब में मिली एक्टिंग को नई दिशा

इसी उलझन में कॉलेज में अलग-अलग भाषाओं के ड्रामेटिक्स क्लब ने मेरा ध्यान खींचा। मैं हिंदी ड्रामेटिक्स क्लब में शामिल हुआ और कई प्ले-शोज किए। यहीं से मेरी Jitendra Kumar acting की असली ग्रूमिंग शुरू हुई।

अंग्रेजी न आने से रहा हमेशा इनसिक्योरिटी का शिकार

जितेंद्र ने कहा, “पूरी पढ़ाई हिंदी मीडियम में हुई थी, इस वजह से IIT में पहुंचकर मैं खुद को लेकर काफी इनसिक्योर रहा। हालांकि किसी ने मुझे सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन मैं खुद ही डर के कारण सभी को बताता कि मुझे English insecurity है। पहले ही दिन कई फॉर्मेलिटीज करनी थीं जो इंग्लिश में ही थीं, इसीलिए मैंने आस-पास बैठे लोगों से कहा कि मुझे इंग्लिश नहीं आती, क्या तुम्हें आती है? जवाब में कई लोगों ने कहा कि उन्हें भी इंग्लिश में दिक्कत है और सब मैनेज हो जाएगा।”

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सीनियर्स ने रैगिंग में अल पचीनो का मोनोलॉग करने को कहा

जितेंद्र कुमार ने बताया, “IIT में पढ़ाई मुझे बहुत मुश्किल लग रही थी। दो-तीन दिन के लेक्चर के बाद मैंने कोटा की तरह पढ़ाई का शेड्यूल बनाने का सोचा। तभी एक दिन मैं कॉमन रूम में बैठा था, जब कुछ सीनियर्स ने सभी फ्रेशर्स को वहां बुलाकर दरवाजा बंद कर लिया। फिर उन्होंने सबको एक पेपर दिया, जिसमें ‘Scent of a Woman’ से Al Pacino monologue लिखा था।”

रैगिंग में हुआ अल पचीनो की मिमिक्री का मजेदार अनुभव

जितेंद्र ने आगे बताया, “मैंने सीनियर से कह दिया कि मैं ये नहीं करूंगा, मैं पढ़ाई करने आया हूं, ये सब करने नहीं। पर उन्होंने सख्ती से कहा कि करना होगा और शाम को अपने रूम पर बुलाया। वहां उन्होंने मुझे चार-पांच घंटे तक वो स्पीच दिखाई, क्योंकि अगले दिन मुझे इसे परफॉर्म करना था। रातभर रट्टा मारने के बाद जब मैंने अगले दिन परफॉर्म किया तो मेरी Al Pacino mimicry इतनी खराब थी कि सारे लोग हंसते-हंसते लोटपोट हो गए।”

हिंदी परफॉर्मेंस से मिला कॉन्फिडेंस, जीत लिया गोल्ड

जितेंद्र कुमार ने बताया, “मोनोलॉग परफॉर्मेंस के बाद सीनियर्स ने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि तुम्हारा कॉन्फिडेंस अच्छा था। अगले दिन हिंदी एल्यूकेशन इवेंट था, जिसमें सीनियर्स ने मुझे हिस्सा लेने को कहा। मैंने वहां ‘Guru’ फिल्म से अभिषेक बच्चन का कोर्ट सीन परफॉर्म किया और गोल्ड मेडल जीत लिया। इसके बाद मैंने ड्रामेटिक्स क्लब के लिए ऑडिशन दिया। वहां माहौल रैगिंग जैसा था, जिससे मैं डर गया और जाने से मना कर दिया, लेकिन दोस्त के समझाने पर ऑडिशन दिया और सिलेक्ट हो गया।”

IIT से डिग्री के बाद भी नहीं मिली नौकरी

जितेंद्र ने कहा, “IIT से पढ़ाई के बाद माना जाता है कि हर किसी को जॉब मिल जाती है। मेरे बैच में 97% स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट मिल गया था, लेकिन मैं उन 3% में था, जिन्हें जॉब नहीं मिली। यह मेरे लिए बहुत निराशाजनक था। इसी दौरान मैं अपने सीनियर बिस्वपति सरकार के पास गया। उन्होंने पहले से तय कर लिया था कि उन्हें राइटर बनना है, इसलिए प्लेसमेंट में बैठे ही नहीं। जब मैंने उन्हें अपनी बात बताई तो उन्होंने कहा कि वो मुंबई जा रहे हैं। उन्होंने मुझे ऑफर दिया कि अगर मैं चाहूं तो उनके साथ चल सकता हूं। वो लिखेंगे और मैं Jitendra Kumar acting करूंगा।”

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TVF और यूट्यूब के बारे में सीनियर ने दी जानकारी

जितेंद्र कुमार ने बताया, “मुझे मेरे सीनियर बिस्वपति सरकार ने पहली बार TVF journey और यूट्यूब वीडियो के बारे में बताया था। हालांकि उस वक्त मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन मैंने उनके साथ मुंबई जाने का फैसला किया। वहां मैं वर्सोवा में बिस्वा के साथ रहने लगा। शुरुआत में जो स्केच बन रहे थे, उनमें मुझे एक्टिंग का मौका नहीं मिल रहा था और अगर कोई रोल मिलता भी था, तो उसमें चार लाइनें ही बोलनी पड़ती थीं। मैंने खुद के बनाए कई कैरेक्टर-ड्रिवन स्केच लोगों को दिखाए, लेकिन फीडबैक अच्छा नहीं आया। लोगों ने कहा कि इस पर बैकलैश होगा। तब मुझे लगा कि एक्टिंग मेरे लिए काम नहीं कर रही और मुझे और सीखने की जरूरत है।”

नौकरी में हाथापाई तक पहुंचा मामला

जितेंद्र ने आगे बताया, “मुंबई में तीन महीने तक Mumbai struggle करने के बाद मैंने वापस जाने का फैसला किया। मैंने बेंगलुरु में अपने दोस्त को कॉल किया, उसने बताया कि उसकी कंपनी में वैकेंसी है लेकिन बॉस बहुत सख्त है और कोई उसके अंडर काम नहीं करना चाहता। वो जापानी MNC में काम करता था। मैंने कहा कि मैं कर लूंगा और मुंबई से बेंगलुरु चला गया। तीन-चार महीने की ट्रेनिंग में सब कुछ अच्छे से सीखा और अच्छा काम भी किया, लेकिन असली दिक्कत साइट पर जाने के बाद शुरू हुई।” यह अनुभव जितेंद्र के लिए Jitendra Kumar experience में नया मोड़ साबित हुआ।

जापानीज परफेक्शन और इंडियन कॉन्ट्रैक्टर्स के बीच हुआ टकराव

जितेंद्र कुमार ने बताया, “जॉब के दौरान साइट पर कई इंडियन वेंडर्स और इंजीनियर्स होते थे। जापानीज कंपनी को भारतीय कॉन्ट्रैक्टर्स के साथ काम करना पड़ता था। जापानीज लोग Japanese perfection के लिए मशहूर हैं, जबकि भारतीय कॉन्ट्रैक्टर्स उस लेवल की बारीकी नहीं रखते। इसका असर रोज के कामकाज में दिखता था और मेरे कई बार उनकी टीम से झगड़े भी हुए। दो बार तो हाथापाई की नौबत आ गई।”

नौकरी छोड़ने का लिया फैसला, परिवार को बताने में डर लगा

जितेंद्र ने आगे कहा, “लगातार तनाव और विवाद के चलते मैंने आठ महीने में ही नौकरी छोड़ दी। घर पर यह बात बताने में मुझे डर लग रहा था, क्योंकि मेरे घर में सभी सिविल इंजीनियर थे। अगर मैं अपनी परेशानी बताता तो उनके लिए ये आम बात होती, लेकिन मेरे लिए यह एक बड़ा कदम था।”

वायरल वीडियो से एक्टिंग की दुनिया में वापसी

जितेंद्र ने बताया, “जब मैं बेंगलुरु में काम कर रहा था, तब TVF ने कई शानदार वीडियो बनाए जो वायरल हुए। फिर मेरा ‘मुन्ना जज्बाती’ वीडियो आया और वो भी बहुत वायरल हुआ। इससे TVF और उसमें नजर आने वाले एक्टर्स लोगों के बीच पॉपुलर होने लगे। इसी TVF viral video ने मुझे एक्टिंग की तरफ दोबारा लौटने के लिए प्रेरित किया और मेरी Jitendra Kumar comeback की शुरुआत हुई।”

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TVF पिचर्स से मिली जबरदस्त पहचान, युवाओं में बना क्रेज

जितेंद्र कुमार ने बताया, “TVF के लिए मैंने ‘पिचर्स’ किया, जिसका इम्पैक्ट यूथ और स्टार्टअप की दुनिया पर बहुत बड़ा पड़ा। TVF Pitchers ने उम्मीद से ज्यादा पॉपुलैरिटी हासिल की। पहले जब हम कोई स्केच बनाते थे और वो हिट हो जाता था, तो अगला स्केच भी उसी उम्मीद से बनाते, लेकिन वो नहीं चलता था। इसीलिए ‘पिचर्स’ को लेकर भी मन में डर था, पर ये जबरदस्त हिट रही और इसका अलग ही फैनडम बन गया। उस शो के फैंस का पागलपन आज भी नहीं भूल सकता।”

कोटा फैक्ट्री और पंचायत ने घर-घर दिलाई पहचान

जितेंद्र ने आगे कहा, “‘पिचर्स’ के बाद ‘परमानेंट रूममेट्स’ भी हिट हुआ, लेकिन ‘कोटा फैक्ट्री’ और Kota Factory के बाद तो मेरी पहचान हर घर तक पहुंच गई। वहीं, Panchayat fame ने मुझे घर-घर पॉपुलर कर दिया। TVF के साथ काम में इतना बिजी था कि फिल्मों के बारे में कभी नहीं सोचा। मुझे वहां काम करके मजा आ रहा था और वैलिडेशन भी मिल रहा था, इसलिए खुद को सेफ और सिक्योर महसूस करता था।”

फिल्में करने का मिला मौका, लेकिन पहले किया था मना

जितेंद्र ने बताया, “पहली बार मुझे TVF के बाहर से ‘चमनबहार’ फिल्म का ऑफर आया था, लेकिन मैंने मना कर दिया था। तब लोगों ने समझाया कि फिल्मों में भी काम करना चाहिए। इसके बाद मैंने हां बोला और उसी समय मुझे ‘गॉन केश’ का भी ऑफर मिल गया।”

पहली फिल्म से लेकर आयुष्मान के साथ फिल्म तक का सफर

जितेंद्र कुमार ने बताया, “मेरी पहली फिल्मChaman Bahaar’ थी, लेकिन उससे पहले ‘Gone Kesh’ रिलीज हो गई थी। इसके बाद मैंने आयुष्मान खुराना के साथ ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ में काम किया और फिर मेरी फिल्म ‘जादूगर’ आई।”

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पंचायत और कोटा फैक्ट्री ने दिलाई असली पहचान

जितेंद्र ने कहा, “‘कोटा फैक्ट्री’ और ‘Panchayat success’ ने मेरी एक्टिंग को वो मुकाम दिलाया, जिसके लिए मैं सालों से मेहनत कर रहा था। ‘पंचायत’ के पहले सीजन से ही फैंस ने मुझे भरपूर प्यार दिया।”

फैंस के बीच मिल रहा अपनापन ही सबसे बड़ा अचीवमेंट

जितेंद्र ने बताया, “जब लोग मुझसे मिलते हैं तो बहुत प्यार और अपनेपन से बात करते हैं। कई लोग मेरे कंधे पर हाथ रखकर ऐसे बात करते हैं जैसे सालों से दोस्त हों। मेरे लिए ये सबसे बड़ी उपलब्धि है कि लोग मुझे मेरे किरदारों की वजह से पहचानते हैं और अपनापन महसूस करते हैं।”

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