Rajasthan Solar Electricity: राजस्‍थान में पहली बार सूरज और हवा से बनने वाली बिजली 8 बांधों में होगी स्‍टोर Read it later

जयपुर न्‍यूज. (Rajasthan Solar Electricity) सूरज और हवा से मिलने वाली बिजली (अक्षय ऊर्जा) को पानी में स्टोरेज करने में राजस्थान हब बनने जा रहा है। इस फार्मूले को प्रदेश में सक्‍सेस करने के लिए काम शुरू हो गया है। अक्षय ऊर्जा निगम इस पर रिसर्च कर संभावना तलाश रहा है। इसके लिए उन जलाशयों, बांधों को देखा जा रहा है, जिनके नजदीक पहाड़ी है और वहां पानी स्टोर किया जा सके। ऐसे 8 बांधों का जायजा लिया है। राजस्थान में सरकार स्तर पर पहली बार ऐसा होने जा रहा है। अभी बिजली को स्टोरेज करने का सस्ता मैकेनिज्म नहीं है। इससे पहले ग्रीनको एनर्जी को इसकी अनुमति दी थी, लेकिन वन विभाग में मामला अटकने से ठंडा पड़ गया।

अभी ये है स्थ‍ित‍ि

सूरज और हवा से बनने वाली बिजली को ग्रिड में भेजा जाता है। इस दौरान यदि ज्यादा इलेक्‍ट्र‍िसि‍टी (Solar Electricity) बनती है तो डिस्कॉम्स को पहले उसी बिजली को सप्लाई करना जरूरी होता है, क्योंकि इसे स्टोरेज नहीं किया जा सकता है।

इस तरह बिजली होगी स्टोर

इंटीग्रेटेड पंप स्टोरेज (सूरज, हवा और ग्रिड तीनों जरिए से मिलने वाली बिजली का स्टोरेज) के रूप में यह देश का पहला प्रोजेक्ट होगा। स्टोरेज भी किसी बैट्री में नहीं बल्कि पानी में होगा और जरूरत पड़ने पर इस बिजली का उपयोग कर सकेंगे। बांध, जलाशय के नजदीक पहाड़ी पर जलाशय (तालाब) बनाए जाएंगे। एक नीचे और दूसरा ऊपर होगा। इन दोनों जलाशय में पानी भरा जाएगा। यहीं टरबाइन लगाया जाएगा।

सोलर (Rajasthan Solar Electricity) व विंड प्लांट से मिलने वाली बिजली को स्टोरेज सिस्टम में लगाया जाएगा। यहां टरबाइन के जरिए पानी को ऊपर की ओर पंप करेंगे और बिजली वहां पानी में स्टोरेज हो जाएगी। जब उसी बिजली की जरूरत पड़ेगी तो पानी को वापिस टरबाइन के जरिए नीचे वाले जलाशय में लाएंगे। इस प्रक्रिया से बिजली मिलेगी, जिसे डिस्कॉम्स या अन्य को सप्लाई किया जा सकेगा।

रात में सौर ऊर्जा (Rajasthan Solar Electricity) का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए जहां भी बिजली की जरूरत होगी तो ग्रिड से लेने की बजाय स्टोरेज ऊर्जा का उपयोग किया जा सकेगा।

राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल ढाका कहते हैं, पम्प स्टोरेज सिस्टम विकसित करने के लिए स्टडी कराई गई हैं, संभवतया इस माह रिपोर्ट जा जाएगी। इसमें मुख्य रूप से आठ बांध को चिन्हित किया है। जहां भी व्यवहारिकता मिलेगी, वहां पम्प स्टोरेज सिस्टम लगाएंगे। सस्ती बिजली स्टोरेज के लिए बड़ा काम होगा।

 

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